एक अच्छा व सच्चा दोस्त मिलने पर हमारा जीवन बहुत अच्छा हो जाता है

एक सच्चा दोस्त वह होता है जिस से हम अपने व किसी के बारें में भी आप सी बातचीत कर पाते हैं

कहा जाता है कि जीवन में एक अच्छा व सच्चा दोस्त मिलने पर हमारा जीवन बहुत अच्छा हो जाता है।क्यों कि एक अच्छा व सच्चा दोस्त स्वयं को और आप को बेहतर बनाने की हर मुकाम तक जिंदगी भर सहायता करता रहता है।अच्छे व बुरे पलों में एक सच्चा दोस्त ही हमारा साथ देता है।दोस्ती के एहसास में कुछ अलग सी बात छुपी होती है जैस पतझड़ की पत्तियों का अनुकरणीय सुनहरा रंग,अकेली शाम की चुप्पी,दोपहर की बारीश में घर की चाह।हम सब हंसते होगें और इन सब अजीब सी बातों के बारें में एक दूसरे को चिढ़ाते होगें।फिर भी एक दूसरे के दर्द को समझ जाते है,जब भी किसी की आंखों में आंसु भर जाएं तो तुरंत ही उस की भावनाओं को पहचान लेते है।ऐसे में ही एक सच्चे दोस्त की पहचान होती है लेकिन क्या ये ही वास्तव में एक सच्ची दोस्ती की पहचान है।


सच्ची दोस्ती क्या है?
आखिर सच्ची दोस्ती क्या होती हैï।आज विभिन्न पुस्तकों,अखबारों में,दिन प्रतिदिन की कहानियों में प्रदर्शित किया जाता है कि जो व्यक्ति अपने दोस्त के लिए अपना सब कुछ बलिदान कर दें वह ही एक सच्चा दोस्त कहलाता है.वैसे दोस्ती के पीछे बहुत सी मशहूर हस्तियों की दास्तां अभी भी याद की जाती है जैसे मशहूर प्रेमी युगल जोड़ी हैरी का सैली के प्यार में डूब जाना,यहां तक कि पौराणिक समय की बात की जाए तो सुदामा और कृष्ण की दोस्ती आज भी अपने आप में एक मिसाल मानी जाती है।जब सुदामा अपने दोस्त कृष्ण के लिए मुट्ïठी भर चावल ले गए थे और वही चावल श्री कृष्ण ने खाकर अपने मित्र सुदामा को रंक से राजा बना दिया।इसी प्रकार लोग सचिन तेंदुलकर और विनोद कांबली की दोस्ती भी हमेशा से चर्चा करते आए है।आज भी सचिन बड़े गर्व के साथ कांबली से अपने आत्मीय संबंधों का जिक्र करते हुए कहते है कि उन के साथ जब भी कोई अच्छी या बुरी घटना घटती तो वह अपने मित्र की बहुत कमी महसूस करते है।अपने जीवन के महत्वपूर्ण अवसरों पर उन्हें याद करना नहीं भुुलते ।ऐसे कई और उदाहरण आज भी मौजूद हैं जो अपनी दोस्ती के लिए जान तक की बाजी लगा देते है यानि कि अपने दोस्त के सुख और दुख दोनों में शामिल होते है।यदि अपने चारों तरफ लोगों से पूछें तो आप को हजारों लोगों से दोस्ती की हजारों परिभाषाएं जानने को मिलेगी।दोस्ती का केवल एक ही रंग नहीं होता।यह विभिन्न कोलाहल के रूप में आती है।इस की असंख्य धारणाएं होती हैं,यह विभिन्न प्रकार के धागों का गुच्छा ग्रहण किए हुए होती है।


मीडिया पेशेवर हेम बनर्जी कहती है कि एक सच्चा दोस्त वह होता है जो आप के साथ हर चीज के बारें में घंटों भर बैठ कर बात कर सकें।किसी प्रकार की हिचकिचाहट का एहसास न कर पाएं।इसी प्रकार वह अपनी दोस्तों से बात करते समय थोड़ी सी कवियत्री बन जाती है और अपने पसंदीदा अंदाज में उन्हें अपनी भावनाओं को प्रकट करती है।वह बताती है कि,‘मैं और मेरी दोस्त घंटो के लिए एक दूसरे के साथ शांत बैठ जाती हैं और जो कि हमारे बीच एक सब से बेहतरीन बातचीत भरापल होता है क्यों कि ऐसे में हम एक दूसरे से कुछ न कहकर भी बहुत कुछ कह जाती है।’
एक प्रतिष्ठिïत कंपनी में कार्यरत दीप गुप्ता विश्वास करते हैं कि एक सच्चा दोस्त वह होता है जिस से हम अपने व किसी के बारें में भी आप सी बातचीत कर पाते हैं।हम उसे सभी प्रकार की स्थिति में विशेषकर दु:ख की स्थिति में अपना कंधा देकर अर्थात साथ देकर उसे खुशियां प्रदान कर सके।सुजिका कहती है कि उन के लिए दोस्ती शब्द को परिभाषित करना बहुत मुश्किल काम है।वह जानती है कि अपने दोस्तों के समूह में से वह सभी दोस्तो से भिन्न-भिन्न कारणों से प्यार करती है और कोई एक खास दोस्त नहीं है बल्कि सभी ही उनके खास दोस्त हैं।


दोस्त कौन होते हैं?
मशहूर फिलोस्पर एरिस्टोटले एक लाइन में कहते हैं कि,‘एक सच्चा दोस्त दो शरीर में एक आत्मा की भांति होता है।’ हन्नरी फोर्ड जब कोई नया दोस्त बनाने की सोचते है तो वह उस में अपने पक्के मित्र की विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए एक बेहतर दोस्त का चुनाव करते हैं।लेखक पवन के वर्मा कहते हैं कि,‘आप किसी पर स्पष्टï और निष्ठïापूर्वक विश्वास कर सकते है,ऐसा कोई जो कभी भी आप की खुशियों के खिलाफ नहीं जाता।साथ ही यह भी कहते है कि यह कुछ गणित की गणना करने की भांति होती है कि यदि आप दिल्ली में पांच दोस्तों को अपने लिए बेहतर गिना सकते है तो आप अपने आप को सबसे बेहतर व्यक्ति साबित कर सकते है।’


आप को आप जीवन में धनवत्ता अपने दोस्त से अपने आप ही मिल जाएगी जो आप की सामान्य चाहतों जैसे गोल्फ खेलना,जापानी खाना खाना,कविताओं आदि को एक दूसरे के साथ बांटे।यदि आप दोनों की पसंदे एक जैसी है तो यह आप के साथ को बनाएं रखने में बहुत मददगार साबित हो सकेगी।हमेशा एक जैसा सोचना यह दोस्तों के लिए जरूरी नहीं है।दोस्तों के साथ के बिना,अभिनेता मनोज वाजपेयी मुंबई शहर जो कि बिहार जैसे पिछड़े गांव से कोसों दूर है में बिल्कुल ही घबरा ही जाते।वह कहते है कि मेरे दोस्त ही थे जिन्होंने मेरा साथ दिया व मुझे प्रोत्साहित किया।मैं उन का बहुत बड़ा ऋ णी हूं।
दोस्तो का ऋ णी होना


तान्या स्वामी कहती है कि,‘वह अपना जीवन अपने दोस्त के नाम करना चाहती है।मेरी शादी के तीन महीनें बाद मेरी पति ने आत्महत्या कर ली।कई महीनों के लिए मैं बिल्कुल अंधकार में फंस गयी।मेरे लिए सभी चीजें बहुत बुरी हो गई कि मैं एकदम से चुप-चुप रहने लगी और मजबूरी में एक आधुनिक पागलखाने में शरण लेनी पड़ी।वहां मेरी दोस्त मुझ से हर दिन मिलने आयी करती,मुझ से बहुत सारी बातें करती।उस ने मेरे साथ बहुत से हफ्ते गुजारे जब तक मैं अपनी जीवन की खतरनाक परछाइयों से बाहर नहीं आ गई।यदि आज मैं एक बेहतर जीवन व्यतीत कर रही हूं तो अपनी दोस्त की वजह से।उस के बिना तो आज मैं पागल ही हो गई होती।’


ऐसे कई और उदाहरण देखने को मिलते है जैसे अंशु सेठी उन का गुस्सा बर्बाद कर रहा था। इस में परेशानी की बात यह थी कि अंशु छोटी सी छोटी बात पर गुस्सा हो जाता था।वह जानता था कि वह एक जाल में फंसता जा रहा है लेकिन उस में उतनी शक्ति नहीं थी कि वह अकेले इस जाल से बाहर निकल सकें।वह कहते हैं कि,‘मैं सोचता हूं यह सब होना पहले से ही निर्दिष्टï था कि मेरी जिंदगी में एक बहुत अच्छी दोस्त आएगी।उस ने मेरी शक्तियों और कमजोरियों को चित्रित किया और वर्णित कर के मुझे बहुत परामर्श दिया।एक सही दिशा की तरफ राह दिखाई।उस ने मुझे बहुत सी तकलीफों के बारें में स्पष्टï किया और मुझे एक बेहतर सकारात्मक विचारों वाला व्यक्ति बनाने में मदद की।स्वामी और सेठ दोनों बहुत भाग्यशाली व्यक्ति हैं जिन्होंने ऐसे दोस्त पाएं जो उन के साथ कॉफी पीने और एक साथ किसी पब में जाने के लिए ही नहीं बल्कि वह उन की हर स्थिति का सामना करने के लिए उन के जीवन में उन के साथ अपनी दोस्ती निभा रहे है।