समय से पता चलना और समय पर इलाज ही कैंसर का सफल उपचार

समय से पता चलना और समय पर इलाज ही कैंसर का सफल उपचार का अच्छा मौका है

बुलंदशहर, उत्तर प्रदेश: देश भर में कैंसर के मामलों में तेजी से बढ़ोत्तरी हो रही है, जिसमें मुंह का कैंसर भी एक है. इलाज के अभाव में इससे लाखों लोग अकाल मौत के मुंह में समा रहे हैं. जिसको लेकर मैक्स इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर केयर वैशाली ने एक सत्र का आयोजन किया. जिसमें उनके द्वारा मुंह के कैंसर को लेकर किए गए सफल इलाज को लेकर अवगत कराया गया. इस दौरान विशेषज्ञों ने कैंसर के इलाज के लिए एडवांस तकनीक को लेकरजोर दिया, जिसने सिर और गर्दन के कैंसर के परिणामों में सुधार किया है और इस तरह के कैंसर के उपचार आज संभव हैं. एक मरीज जिनका नाम बदला हुआ नाम आदेश शर्मा है वह स्टेज 4 मुंह के कैंसर से पीड़ित थे. गरीब सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि से होने के कारण उनके बड़े बेटे ने इलाज से इनकार कर दिया, जबकि बेरोजगार होने के बावजूद उनके छोटे बेटे और उनकी पत्नी ने हिम्मत बनाए रखी.
मैक्स इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर केयर वैशाली में रेडिएशन ऑन्कोलॉजी की प्रिंसिपल कंसल्टेंट डॉ राशि अग्रवाल ने मरीज आदेश शर्मा के बारे में बताया कि मरीज के मुंह में ट्यूमर था, इसलिए डॉक्टरों ने सभी निर्देशों और आहार योजना का पालन करने की सलाह दी. उन्हें 45 दिवसीय ईबीआरटी योजना शासन में शुरू किया गया था और बीच में मूल्यांकन किया गया था. चूंकि उसने अच्छी तरह से प्रतिक्रिया देना शुरू कर दिया था, उपचार योजना में कुछ बदलाव किए गए थे, जिससे उन्हें कुछ हद तक फायदा मिला. साथ ही उन्हें कीमोथेरेपी भी दी गई.

उन्हें पोषण युक्त भोजन खाने और अच्छा पोषण सुनिश्चित करने के लिए एक फीडिंग ट्यूब भी लगाई गई. इलाज के बाद मरीज पूरी तरह से ठीक हो गया है और काम पर वापस आ गया है. इस थेरेपी की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इससे चेहरे के खराब होने का कोई डर नहीं है और यह पूरी तरह से दाग रहित है.
मैक्स इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर केयर वैशाली के एसोसिएट डायरेक्टर, मेडिकल ऑन्कोलॉजी, डॉ. विकास गोस्वामी ने कहा कि कई रिपोर्टों के अनुसार, मुंह के कैंसर को विश्व स्तर पर छठा सबसे आम प्रकार का कैंसर कहा जाता है, जिसमें अकेले भारत में पूरे विश्व के एक तिहाई मरीज मुंह के कैंसर के रहते हैं. यानि भारत दुनिया का दूसरा ऐसा देश है जहां मुंह के कैंसर के सबसे अधिक मामले हैं. चूंकि मरीज ईबीआरटी के माध्यम से अच्छी तरह से ठीक हो रहा था, बाद के कीमोथेरेपी चक्रों की भी योजना बनाई गई थी, जिसने संभावित दुष्प्रभावों को कम किया. इससे न सिर्फ इलाज का वक्त घट गया, बल्कि उपचार के दौरान उनकी तेजी से रिकवरी भी हुई. कीमोथेरेपी कैंसर के इलाज की रीढ़ बनी हुई है.

पिछले कुछ वर्षों में हमने देखा है कि यह कम दुष्प्रभावों के साथ अधिक सहनशील होती जा रही है. देर से निदान, कम जागरूकता, और स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच की कमी जैसे कई कारणों के कारण कैंसर के मरीजों में आम तौर पर खराब इलाज होता है. समय से पता चलना और समय पर इलाज ही कैंसर का सफल उपचार का अच्छा मौका है. पिछले कुछ वर्षों में कैंसर के इलाज में काफी सुधार हुआ है, जिससे उपचार के परिणाम बेहतर हुए हैं.
डॉ. राशि अग्रवाल का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में हमारे देश में मुंह के कैंसर का प्रसार काफी बढ़ गया है, जिसमें बहुत से आम लोग जंक फूड, शराब और धूम्रपान जैसे खराब और गतिहीन जीवन शैली को अपना रहे हैं. इस प्रकार के कैंसर में आहार बहुत बड़ी भूमिका निभाता है, इसलिए आम जनता को इन जानलेवा कैंसर के लक्षणों, कारणों और निवारक तकनीकों के बारे में जागरूक होने की आवश्यकता है.
ऑन्कोलॉजी के क्षेत्र में एडवांस तकनीक के कारण, इलाज के बाद जीवन की गुणवत्ता में काफी सुधार हुआ है. इसलिए कैंसर के इलाज में एक व्यापक टीम की मदद से परिणामों को संभावनाओं पर छोड़ने के बजाय सटीक परिणामों की उम्मीद की जा सकती है. डॉ. गौरव अग्रवाल ने कहा कि जागरूकता की कमी के कारण लोग आमतौर पर शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज कर देते हैं और अक्सर बीमारी के एडवांस स्टेज में अस्पताल पहुंच जाते हैं. कैंसर के इलाज के बारे में जागरूकता फैलाना और जीवन शैली में मामूली बदलाव और आत्म-परीक्षा के साथ इसे रोकने के तरीकों के बारे में जागरूकता फैलाना महत्वपूर्ण है. जबकि बेहतर और उन्नत तकनीक उपलब्ध हैं, शुरुआती पहचान को लेकर जागरूकता महत्वपूर्ण है, क्योंकि बीमारी के लक्षणों को नजरअंदाज कर देर से निदान किया जाता है. मुंह के छाले जैसे सामान्य लक्षण जो ठीक नहीं होते, निगलने में कठिनाई और दर्द, और लाल या सफेद पैच जो मुंह के अंदर लगातार बने रहते हैं ऐसे लक्षणों को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए. ऐसे लक्षणों को नजरअंदाज करने से गांठ का विकास हो सकता है और कैंसर पैदा करने वाले घातक ट्यूमर में परिवर्तित हो सकता है.
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम (एनसीआरपी) के हालिया आंकड़ों के अनुसार, तीन में से एक कैंसर का मामला बीमारू राज्यों में से एक का है. 2020 में देश में दर्ज किए गए कुल कैंसर के मामलों में से लगभग(22.5 लाख मामले) 7.5 लाख मामले बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के थे, जिनमें अकेले यूपी से लगभग 4.6 लाख से अधिक केस थे, जो कि अधिकतम है. ग्लोबैकन डेटा 2020 के अनुसार, मुंह का कैंसर समग्र रूप से दूसरा सबसे आम कैंसर है और पुरुषों में सबसे आम कैंसर है. मुंह का कैंसर दुनिया भर में मृत्यु दर का छठा प्रमुख कारण है और यह भारत में लगभग 35 फीसदी से अधिक उत्तर प्रदेश से है.