केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान परीक्षा बोर्ड (एनबीईएमएस) के 42वें स्थापना दिवस की अध्यक्षता की और राज्य मंत्री प्रोफेसर एस. पी. सिंह बगेल, नीति आयोग के सदस्य, स्वास्थ्य डॉ वी के पॉल की उपस्थिति में मुख्य भाषण दिया।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने प्रारंभ की गई पहलों और पाठ्यक्रमों के लिए संस्थान और गवर्निंग बोर्ड के सदस्यों को बधाई देते हुए कहा कि पिछले दो वर्षों के भीतर 25 पाठ्यक्रम शुरू किए गए हैं। उन्होंने कहा कि यह विकास चिकित्सा छात्रों के लिए अधिक अवसर प्रदान करने का कार्य करता है और भारत सर्वोत्तम स्वास्थ्य सेवाओं और विशेषज्ञ डॉक्टरों को प्राप्त करने में सक्षम है, जो एक स्वस्थ समाज और स्वस्थ राष्ट्र के लिए राष्ट्र की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सेवा करते हैं। उन्होंने दोहराया कि चिकित्सा क्षेत्र देश के विकास में सर्वोपरि भूमिका निभाता है और छात्रों से आने वाले वर्षों में भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने में योगदान देने और आकार देने के लिए प्रतिबद्ध होने का आग्रह किया।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने 9 पहलों का शुभारंभ किया:
1.मेडिसन में 11 नए एनबीईएमएस फैलोशिप पाठ्यक्रम
2. इंमरजेंसी मेडिसन में एनबीईएमएस डिप्लोमा
3.एनबीईएमएस परीक्षा कमांड सेंटर
4. कंप्यूटर आधारित टेस्ट के लिए एनबीईएमएस केंद्र
5.एनबीईएमएस गुड क्लिनिकल प्रैक्टिस दिशानिर्देश (दूसरा संस्करण)
6.संयुक्त प्रत्यायन कार्यक्रम और स्टैंड-अलोन (स्वचालित)प्रयोगशालाओं और नैदानिक केंद्रों की मान्यता
7.एनबीईएमएस कौशल और वर्चुअल प्रशिक्षण कार्यक्रम
8.एनबीईएमएस शिक्षकों के लिए फैकल्टी टाइटिल का शुभारंभ
9. एनबीईएमएस मेडिकल लाइब्रेरी
डॉ. मांडविया ने प्रोफेसर एस.पी सिंह बघेल के साथ निम्नलिखित श्रेणियों में स्वास्थ्य विशेषज्ञों को सम्मानित किया:
- नारी शक्ति पुरस्कार
- स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय उत्कृष्टता पुरस्कार
- कार्यकारी निदेशक सर्टिफिकेट ऑफ अप्रीशिएशन अवार्ड
- राष्ट्रपति एनबीईएमएस उत्कृष्टता पुरस्कार
डॉ वी.के पॉल को उत्कृष्टता के राष्ट्रपति एनबीईएमएस पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
राज्य मंत्री ने स्वास्थ्य कर्मियों विशेषकर हमेशा संकट का सामना करने वाले पैरा मेडिकल स्टाफ की बहादुरी के लिए उनकी सराहना करते हुए कहा कि उनके योगदान ने एक पावर हाउस के रूप में भारत की धारणा को बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभाई है। उन्होंने वसुधैव कुटुंबकम और एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य के प्रधानमंत्री के विजन की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह हमें न केवल एक स्वस्थ भारत के लिए बल्कि एक स्वस्थ विश्व के लिए प्रयास करने के लिए प्रेरित करता है।
एस.पी. सिंह बघेल ने कहा कि भारतीय डॉक्टरों की शक्ति और मूल्य ऐसा है कि विश्व के हर भाग में एक भारतीय डॉक्टर सेवा में मिलेगा। उन्होंने एबीएचए कार्ड को स्वतंत्रता के बाद भारत के सबसे बड़े विकास में से एक बताया जो स्वास्थ्य सेवाओं को दूरवर्ती क्षेत्रों तक पहुंचने और वंचित समुदाय को लाभान्वित करने में सक्षम बनाता है। उन्होंने कहा कि भारत की चिकित्सा शिक्षा अपने स्वर्ण युग में है। उन्होंने टॉपर्स से आग्रह किया कि वे अपने अनुभवों और प्रेरणाओं को छोटे शहरों और गांवों के कॉलेजों और स्कूलों के साथ साझा करें ताकि उन्हें आज के शिखर पर पहुंचने के लिए प्रेरित किया जा सके।
डॉ वी.के पॉल ने समारोह को संबोधित करते हुए पिछले आठ वर्षों के परिवर्तन पर प्रकाश डाला और चिकित्सा शिक्षा तथा संबंधित संस्थानों की वृद्धि और विकास की प्रशंसा की। उन्होंने इस क्षेत्र की सफलता को गिनाते हुए कहा, ” प्रारंभ की गई पहलों के कारण यह चिकित्सा शिक्षा के लिए एक परिवर्तनकारी समय है।‘’ उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड में स्नातकोत्तर सीटें तीन गुना बढ़कर 4000 सीटों से 13000 से अधिक हो गई हैं। उन्होंने संचालन में बदलाव पर बल देते हुए एक नए नियामक के रूप में राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग को जोड़ने, नीट प्रारंभ करने हवाला दिया, जिसमें योग्यता-आधारित पाठ्यक्रम के साथ-साथ जिला रीजेंसी कार्यक्रम भी शामिल है, जो सभी द्वितीय वर्ष के स्नातकोत्तर छात्रों को 3 महीने के लिए जिला अस्पतालों में अपनी सेवाएं देने के लिए अनिवार्य बनाता है, ताकि वे वंचितों की सेवा कर सकें।
उन्होंने क्षेत्र के विकास को रेखांकित करते हुए कहा कि मेडिकल कॉलेज 387 से बढ़कर 704 हो गए हैं, इस वर्ष 52 नए कॉलेज जोड़े गए हैं, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है और मेडिकल छात्रों के लिए सीटें भी स्नातक के लिए 52,000 से बढ़कर 107,000 और स्नातकोत्तर के लिए 32,000 से 67,000 हो गई हैं। डॉ पॉल ने बल देते हुए कहा कि यह स्वर्ण युग है और इस क्षेत्र में नए डॉक्टरों और विशेषज्ञों को इसमें अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान देना चाहिए।
नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन इन मेडिकल साइंसेज (एनबीईएमएस) भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय का एक स्वायत्त निकाय है और इसे अखिल भारतीय आधार पर आधुनिक चिकित्सा के क्षेत्र में परीक्षा आयोजित करने का कार्य सौंपा गया है। एनबीईएमएस पिछले 4 दशकों से चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में काम कर रहा है और गुणवत्ता वाले स्नातकोत्तर और पोस्टडॉक्टरल प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए विभिन्न अस्पतालों की अवसंरचना का उपयोग किया है। एनबीईएमएस प्रत्येक वर्ष नीट-पीजी, एनईईटी-एसएस और एनईईटी-एमडीएस परीक्षाओं का सफलतापूर्वक संचालन कर रहा है। एनबीईएमएस ने विभिन्न विशिष्टताओं में 12,000 से अधिक पीजी सीटों के साथ 1100 से अधिक अस्पतालों को मान्यता दी है। समारोह में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अधिकारी, एनबीईएमएस के अध्यक्ष अभिजात सेठ, एनबीईएमएस की मानद कार्यकारी निदेशक डॉ. मीनू बाजपेयी, एनबीईएमएस गवर्निंग बॉडी के सदस्य उपस्थित थे।