प्रधानमंत्री ने गुजरात के अहमदाबाद में 1,06,000 करोड़ रुपये से अधिक की कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज गुजरात के अहमदाबाद में डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के ऑपरेशन कंट्रोल सेंटर में 1,06,000 करोड़ रुपये से अधिक की विभिन्न विकास परियोजनाओं को राष्ट्र को समर्पित किया और आधारशिला रखी। आज की विकास परियोजनाओं में रेलवे बुनियादी ढांचे, कनेक्टिविटी और पेट्रोरसायन सहित कई क्षेत्र शामिल हैं। उन्होंने 10 नई वंदे भारत ट्रेनों को भी हरी झंडी दिखाई।

प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर अपने संबोधन में 200 से अधिक विभिन्न स्थानों से इस कार्यक्रम में शामिल लाखों लोगों को धन्यवाद दिया और कहा कि आज के कार्यक्रम के पैमाने और आकार की तुलना रेलवे के इतिहास में किसी अन्य कार्यक्रम से नहीं की जा सकती है। उन्होंने आज के इस आयोजन के लिए रेलवे को भी बधाई दी। प्रधानमंत्री ने जोर देते हुए कहा कि देश भर में कई विकास परियोजनाओं के उद्घाटन और शिलान्यास के साथ विकसित भारत बनाने के लिए विकास कार्यों का लगातार विस्तार हो रहा है। प्रधानमंत्री ने बताया कि 2024 के 75 दिनों में, 11 लाख करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं का उद्घाटन या शिलान्यास किया गया है, जबकि पिछले 10 से 12 दिनों में 7 लाख करोड़ रुपये की परियोजनाओं का अनावरण किया गया है। आज के कार्यक्रम को विकसित भारत के लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि लगभग 1 लाख करोड़ रुपये की परियोजनाओं का उद्घाटन या शिलान्यास किया गया है, जहां लगभग 85,000 करोड़ रुपये की परियोजनाएं रेलवे को समर्पित हैं। उन्होंने दाहेज में 20,000 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाले पेट्रोनेट एलएनजी के पेट्रोरसायन परिसर की आधारशिला रखने का भी जिक्र किया और बताया कि इससे देश में हाइड्रोजन उत्पादन और पॉलीप्रोपाइलीन की मांग को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। महाराष्ट्र और गुजरात में एकता मॉल के शिलान्यास का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह भारत के कुटीर उद्योग और हस्तशिल्प को देश के हर कोने तक ले जाएगा, जिससे वोकल फॉर लोकल के लिए सरकार के मिशन को बढ़ावा मिलेगा और विकसित भारत की नींव मजबूत होगी। भारत में युवा आबादी को देखते हुए प्रधानमंत्री ने देश के युवाओं से कहा कि आज उद्घाटन की गईं परियोजनाएं उनके वर्तमान के लिए हैं और आज शिलान्यास की गईं परियोजनाएं उनके उज्ज्वल भविष्य की गारंटी हैं।

2014 से पहले रेल बजट में बढ़ोतरी की गति का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री श्री मोदी ने अपने शासन में रेल बजट को आम बजट में शामिल करने का जिक्र किया और कहा कि इससे आम बजट से रेलवे व्यय प्रदान करना संभव हो पाया। प्रधानमंत्री ने रेल सेवा में समय की पाबंदी, स्वच्छता और सामान्य सुविधाओं की कमी पर भी बोला। उन्होंने कहा कि 2014 से पहले पूर्वोत्तर की 6 राजधानियों में रेलवे कनेक्टिविटी नहीं थी और 10,000 से अधिक मानव रहित रेलवे क्रॉसिंग थे, और केवल 35 प्रतिशत रेलवे लाइनें विद्युतीकृत थीं। उन्होंने कहा कि उस दौरान रेलवे आरक्षण केंद्रों में भ्रष्टाचार का बोलबाला था और वहां टिकट लेने वालों की लंबी कतारें होती थीं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार ने रेलवे को उन नारकीय स्थितियों से बाहर निकालने की इच्छाशक्ति दिखाई है। अब रेलवे का विकास सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में है। प्रधानमंत्री ने 2014 से छह गुना बजट वृद्धि जैसी पहलों की चर्चा की और देशवासियों को आश्वासन दिया कि अगले 5 वर्षों में, रेलवे में बदलाव उनकी कल्पना से अधिक होगा। उन्होंने कहा कि 10 साल का यह काम सिर्फ एक झांकी है, मुझे अभी लंबा सफर तय करना है। उन्होंने बताया कि न सिर्फ ज्यादातर राज्यों को वंदे भारत ट्रेनें मिल चुकी हैं, बल्कि वंदे भारत ट्रेनों का शतक लग चुका है। वंदे भारत नेटवर्क देश के 250 जिलों को छू रहा है। लोगों की इच्छा का सम्मान करते हुए, वंदे भारत के मार्गों का विस्तार किया जा रहा है।

प्रधानमंत्री ने किसी राष्ट्र को विकसित और आर्थिक रूप से सक्षम बनाने में रेलवे की महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख करते हुए कहा कि रेलवे में बदलाव विकसित भारत की गारंटी है। उन्होंने रेलवे के बदलते परिदृश्य पर प्रकाश डाला और तेज गति से रेलवे ट्रैक बिछाने, 1300 से अधिक रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास, वंदे भारत, नमो भारत और अमृत भारत जैसी अगली पीढ़ी की ट्रेनों को हरी झंडी दिखाने और आधुनिक रेलवे इंजनों तथा कोच फ़ैक्टरियों के अनावरण का उल्लेख किया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि गति शक्ति कार्गो टर्मिनल नीति के तहत, भूमि पट्टे की नीति को सरल बनाने की वजह से कार्गो टर्मिनल के निर्माण में वृद्धि हुई है और पारदर्शिता के लिए इसे ऑनलाइन कर दिया गया है। उन्होंने गति शक्ति विश्वविद्यालय की स्थापना का भी जिक्र किया। प्रधानमंत्री ने रेलवे के आधुनिकीकरण संबंधी पहल को जारी रखा और मानव रहित क्रॉसिंग और स्वचालित सिग्नलिंग प्रणाली को खत्म करने की परियोजना के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि देश शत-प्रतिशत विद्युतीकरण की ओर बढ़ रहा है। स्टेशनों पर सौर ऊर्जा से चलने वाले स्टेशन और जन औषधि केंद्र बन रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इन रेलवे ट्रेनों, पटरियों और स्टेशनों का निर्माण मेड इन इंडिया का इको-सिस्टम बना रहा है। उन्होंने बताया कि मेड इन इंडिया लोकोमोटिव और कोचों को श्रीलंका, मोजाम्बिक, सेनेगल, म्यांमार और सूडान जैसे देशों में निर्यात किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मेड इन इंडिया सेमी हाई-स्पीड ट्रेनों की बढ़ती मांग से ऐसे कई और कारखाने खुलेंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि रेलवे का कायाकल्प और नए निवेश रोजगार के नए अवसरों की गारंटी हैं।

प्रधानमंत्री ने उन लोगों की आलोचना की जो सरकार की इन पहलों को चुनाव से जोड़ते हैं। उन्होंने कहा कि हमारे लिए ये विकास परियोजनाएं सरकार बनाने के लिए नहीं हैं, बल्कि ये राष्ट्र निर्माण का मिशन हैं। उन्होंने कहा कि अगली पीढ़ी को पिछली पीढ़ियों की तरह समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ेगा और यह ‘मोदी की गारंटी’ है।

प्रधानमंत्री ने पूर्वी और पश्चिमी समर्पित माल गलियारों को पिछले 10 वर्षों में विकास के उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया। मालगाड़ियों के लिए अलग ट्रैक से इसकी गति में बढ़ोतरी होती है और कृषि, उद्योग, निर्यात और व्यापार के लिए यह महत्वपूर्ण है। पिछले 10 वर्षों में पूर्वी और पश्चिमी तटों को जोड़ने वाला यह माल गलियारा लगभग पूरा हो चुका है। आज लगभग 600 किलोमीटर लंबे माल गलियारे का उद्घाटन किया गया है, अहमदाबाद में ऑपरेशन कंट्रोल सेंटर का भी उद्घाटन किया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार के प्रयासों से इस गलियारे पर मालगाड़ियों की गति अब दोगुनी से ज्यादा हो गई है। उन्होंने आगे बताया कि इस पूरे गलियारे में औद्योगिक गलियारा विकसित किया जा रहा है। आज कई जगहों पर रेलवे गुड्स शेड, गति शक्ति मल्टीमॉडल कार्गो टर्मिनल, डिजिटल कंट्रोल स्टेशन, रेलवे वर्कशॉप, रेलवे लोको शेड और रेलवे डिपो का भी उद्घाटन किया गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इसका माल ढुलाई पर भी बहुत सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार का जोर भारतीय रेल को आत्मनिर्भर भारत और वोकल फॉर लोकल का माध्यम बनाने पर है। उन्होंने बताया कि एक स्टेशन एक उत्पाद योजना के तहत देश के विश्वकर्मा, हस्तशिल्प पुरुष और महिला स्वयं सहायता समूहों के निर्मित उत्पाद अब रेलवे स्टेशनों पर बेचे जाएंगे, जहां 1500 स्टॉल खुल चुके हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि भारतीय रेलवे विकास के साथ-साथ विरासत के मंत्र को साकार करते हुए क्षेत्रीय संस्कृति और आस्था से जुड़े पर्यटन को बढ़ावा दे रहा है। पीएम मोदी ने कहा कि आज भारत गौरव ट्रेनें रामायण सर्किट, गुरु-कृपा सर्किट और जैन यात्रा पर चल रही हैं, जबकि आस्था स्पेशल ट्रेन देश के कोने-कोने से श्री राम भक्तों को अयोध्या ले जा रही है। उन्होंने बताया कि साढ़े चार लाख से अधिक श्रद्धालुओं को अयोध्या में रामलला के दर्शन कराने के लिए लगभग 350 आस्था ट्रेंनें पहले ही चल चुकी हैं।

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन को विराम देते हुए कहा कि भारतीय रेल आधुनिकता की गति से आगे बढ़ती रहेगी। यह मोदी की गारंटी है। उन्होंने विकास की इस गति को जारी रखने के लिए नागरिकों से सहयोग का आह्वान किया।

इस अवसर पर अन्य लोगों के अलावा गुजरात के राज्यपाल श्री आचार्य देवव्रत, गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र पटेल और केंद्रीय रेल मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि

रेलवे के बुनियादी ढांचे, कनेक्टिविटी और पेट्रोरसायन क्षेत्र को बड़े पैमाने पर बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री 1,06,000 करोड़ रुपये से अधिक की कई रेलवे और पेट्रोरसायन परियोजनाओं की आधारशिला रखने और उद्घाटन करने के लिए अहमदाबाद में डीएफसी के ऑपरेशन कंट्रोल सेंटर पहुंचे।

प्रधानमंत्री ने रेलवे कार्यशालाओं, लोको शेडों, पिट लाइनों/कोचिंग डिपो, फलटण – बारामती नई लाइन; इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन सिस्टम उन्नयन कार्य की आधारशिला रखी और पूर्वी डीएफसी के न्यू खुर्जा से साहनेवाल (401 मार्ग किलोमीटर) खंड और पश्चिमी डीएफसी के न्यू मकरपुरा से न्यू घोलवड खंड (244 मार्ग किलोमीटर) के बीच समर्पित माल गलियारे के दो नए खंड और वेस्टर्न डीएफसी का अहमदाबाद में ऑपरेशन कंट्रोल सेंटर (ओसीसी) राष्ट्र को समर्पित किया।

प्रधानमंत्री ने अहमदाबाद – मुंबई मध्य, सिकंदराबाद-विशाखापत्तनम, मैसूरु- डॉ एमजीआर मध्य (चेन्नई), पटना-लखनऊ, न्यू जलपाईगुड़ी-पटना, पुरी-विशाखापत्तनम, लखनऊ-देहरादून, कलबुर्गी-सर एम विश्वेश्वरैया टर्मिनल बेंगलुरु, रांची-वाराणसी, खजुराहो- दिल्ली (निज़ामुद्दीन) के बीच दस नई वंदे भारत ट्रेनों को भी हरी झंडी दिखाई।

प्रधानमंत्री ने चार वंदे भारत ट्रेनों के विस्तार को भी हरी झंडी दिखाई। अहमदाबाद-जामनगर वंदे भारत को द्वारका तक, अजमेर-दिल्ली सराय रोहिल्ला वंदे भारत को चंडीगढ़ तक, गोरखपुर-लखनऊ वंदे भारत को प्रयागराज तक और तिरुवनंतपुरम-कासरगोड वंदे भारत को मंगलुरु तक बढ़ाया जा रहा है। आसनसोल और हटिया तथा तिरूपति और कोल्लम स्टेशनों के बीच दो नई यात्री ट्रेनों को हरी झंडी दिखाई गई।

प्रधानमंत्री ने विभिन्न स्थानों – न्यू खुर्जा जंक्शन, साहनेवाल, न्यू रेवाड़ी, न्यू किशनगढ़, न्यू घोलवड और न्यू मकरपुरा से समर्पित माल गलियारे पर मालगाड़ियों को भी हरी झंडी दिखाई।

प्रधानमंत्री ने रेलवे स्टेशनों पर 50 प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केंद्र राष्ट्र को समर्पित किये। इन जन औषधि केंद्रों पर लोगों को सस्ती और गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाएं मिलेंगी।

प्रधानमंत्री ने 51 गति शक्ति मल्टी-मॉडल कार्गो टर्मिनल भी राष्ट्र को समर्पित किए। ये टर्मिनल परिवहन के विभिन्न साधनों से माल की निर्बाध आवाजाही को बढ़ावा देंगे।

प्रधानमंत्री ने 80 खंडों में 1045 मार्ग किलोमीटर स्वचालित सिग्नलिंग राष्ट्र को समर्पित की। इस उन्नयन से ट्रेन संचालन की सुरक्षा और दक्षता में वृद्धि होगी। प्रधानमंत्री ने 2646 स्टेशनों पर रेलवे स्टेशनों की डिजिटल कंट्रोलिंग भी राष्ट्र को समर्पित की। इससे ट्रेनों की परिचालन दक्षता और सुरक्षा में सुधार होगा।

प्रधानमंत्री ने 35 रेल कोच रेस्तरां राष्ट्र को समर्पित किये। रेल कोच रेस्तरां का लक्ष्य रेलवे के लिए गैर-किराया राजस्व उत्पन्न करने के साथ ही यात्रियों और जनता की जरूरतों को पूरा करना है।

प्रधानमंत्री ने देश भर में 1500 से अधिक एक स्टेशन एक उत्पाद स्टॉल राष्ट्र को समर्पित किये। इन स्टॉलों पर बिक्री के लिए स्थानीय उत्पाद उपलब्ध रहेंगे, जिससे स्थानीय कारीगरों और व्यावसायियों की कमाई बढ़ेगी।

प्रधानमंत्री ने 975 स्थानों पर सौर ऊर्जा संचालित स्टेशन/भवन राष्ट्र को समर्पित किये। यह पहल भारत के अक्षय ऊर्जा लक्ष्यों में योगदान देगी और रेलवे के कार्बन उत्सर्जन को कम करेगी।

प्रधानमंत्री ने गुजरात के दाहेज  में ईथेन और प्रोपेन हैंडलिंग सुविधाओं सहित पेट्रोनेट एलएनजी के पेट्रोरसायन परिसर की आधारशिला रखी, जिसकी लागत 20,600 करोड़ रुपये है। मौजूदा एलएनजी पुनर्गैसीकरण टर्मिनल के निकट पेट्रोरसायन परिसर की स्थापना से परियोजना के पूंजीगत व्यय और ओपेक्स लागत में काफी बचत होगी।

इस परियोजना के कार्यान्वयन से निष्पादन चरण के दौरान 50,000 लोगों के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार का अवसर पैदा होने की संभावना है और इसके परिचालन चरण के दौरान 20,000 से अधिक लोगों के लिए रोजगार का अवसर पैदा होगा, जिससे क्षेत्र में भारी सामाजिक-आर्थिक लाभ होगा।

प्रधानमंत्री ने दो राज्यों गुजरात और महाराष्ट्र में एकता मॉल की आधारशिला भी रखी, जिस पर लगभग 400 करोड़ रुपये की लागत आएगी।

इन एकता मॉल में भारतीय हथकरघा, हस्तशिल्प, पारंपरिक उत्पादों और ओडीओपी उत्पादों की समृद्ध और विविध विरासत की झलक होगी। एकता मॉल भारत की एकता और विविधता का प्रतीक होने के साथ-साथ हमारे पारंपरिक कौशल और इन क्षेत्रों के विकास तथा सशक्तिकरण के लिए उत्प्रेरक भी हैं।

प्रधानमंत्री ने नए विद्युतीकृत खंडों, पटरियों का दोहरीकरण/मल्टी-ट्रैकिंग, रेलवे गुड्स शेड, वर्कशॉप, लोको शेड, पिट लाइन/कोचिंग डिपो का विकास जैसी कई अन्य परियोजनाओं का भी उद्घाटन किया। ये परियोजनाएं आधुनिक और मजबूत रेलवे नेटवर्क बनाने के प्रति सरकार के समर्पण का प्रमाण हैं। इस निवेश से न केवल कनेक्टिविटी में सुधार होगा बल्कि आर्थिक विकास को भी बढ़ावा मिलेगा और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे।

अहमदाबाद, गुजरात में विकास कार्यों के शिलान्यास/उद्घाटन के अवसर पर प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ

गुजरात के गवर्नर आचार्य श्री देवव्रत जी, गुजरात के लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्रीमान भूपेंद्र भाई पटेल जी, कैबिनेट में मेरे साथी  रेल मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव जी, संसद में मेरे सहयोगी और गुजरात प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष श्रीमान सी आर पाटिल, और देश के कोने-कोने से जुड़े सभी गर्वनर श्री, आदरणीय मुख्यमंत्री गण, सांसदगण, विधायकगण, मंत्रीगण और मैं स्क्रीन पर देख रहा हूं मेरे सामने 700 से ज्यादा स्थान पर वहां के सांसद के नेतृत्व में, वहां के मंत्री के नेतृत्व में लाखों लोग आज इस कार्यक्रम में जुड़े हैं।  शायद रेलवे के इतिहास में  एक साथ हिन्दुस्तान के हर कोने में इतना बड़ा कार्यक्रम कभी नहीं हुआ होगा। 100 साल में पहली बार हुआ ये कार्यक्रम होगा। मैं रेलवे को भी इस भव्य आयोजन के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

विकसित भारत के लिए हो रहे नव-निर्माण का लगातार विस्तार हो रहा है। देश के कोने-कोने में परियोजनाओं का लोकार्पण हो रहा है, नई योजनाएं शुरू हो रही हैं। अगर मैं साल 2024 की ही बात करूं, 2024 यानि मुश्किल से अभी 75 दिन हुए हैं 2024 के, इन करीब-करीब 75 दिन में   11 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास कर चुका है। और अगर मैं पिछले 10-12 दिन की बात करूं, पिछले 10-12 दिन में ही 7 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास हुआ है  आज भी विकसित भारत की दिशा में देश ने एक बहुत बड़ा कदम उठाया है। इस कार्यक्रम में अब यहां एक लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास हुआ है। 

और आप देखिए, आज 85 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक से सिर्फ और सिर्फ रेलवे के प्रोजेक्ट्स देश को मिले हैं।  और इसके उपरांत समय का अभाव रहता है मुझे। विकास में मैं गति को धीमी नहीं होने देना चाहता। और इसलिए आज रेलवे के ही कार्यक्रम में एक और कार्यक्रम जुड़ गया है पेट्रोलियम वालों का। और दहेज में, गुजरात में दहेज में 20 हजार करोड़ रुपए से अधिक की लागत से बनने वाले पेट्रोकेमिकल परिसर का भी शिलान्यास हुआ है।  और ये प्रोजेक्ट हाइड्रोजन उत्पादन के साथ-साथ देश में पॉलि-प्रोपिलीन की डिमांड को पूरा करने में अहम भूमिका निभाने वाला है। आज ही गुजरात और महाराष्ट्र में एकता मॉल्स का भी शिलान्यास हुआ है। ये एकता मॉल्स भारत के समृद्ध कुटीर उद्योग, हमारे हस्तशिल्प, हमारा वोकल फॉर लोकल का जो मिशन है उसको देश के कोने-कोने तक ले जाने में सहायक होंगे और उसमे ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की नीव को भी मजबूत होते हम देखेंगे। 

मैं इन परियोजनाओं के लिए देशवासियों को बधाई देता हूं। और मैं मेरे नौजवान साथियों से कहना चाहता हूं, भारत एक युवा देश है, बहुत बड़ी तादाद में युवा रहते हैं देश में, मैं खास तौर पर मेरे युवा साथियों से कहना चाहता हूं। आज जो लोकार्पण हुआ है वो आपके वर्तमान के लिए है। और आज जो शिलान्यास हुआ है वो आपके उज्जवल भविष्य की गारंटी लेकर के आया है।

साथियों,

आजादी के बाद की सरकारों ने राजनीतिक स्वार्थ को जिस तरह प्राथमिकता दी, और उसकी बहुत बड़ी शिकार भारतीय रेल रही है। आप पहले 2014 के पहले के 25-30 रेल बजट देख लीजिए। रेल मंत्री देश की पार्लियामेंट में क्या बोलते थे? हमारी फलानी ट्रेन का वहां स्टोपेज दे देंगे। वहां हम डिब्बे 6 हैं तो 8 कर देंगे। यानि रेलवे और मैं देख रहा था पार्लियमेंट में भी धब-धब तालियां बजती थी। यानि यही सोच रही थी कि स्टोपेज मिला की नहीं मिला? ट्रेन वहां तक आती है मेरे स्टेशन तक, आगे बढ़ी की नहीं बढ़ी? देखिए 21वीं सदी में यही सोच रही होती तो देश का क्या होता?  और मैंने पहला काम किया रेल को अलग बजट से निकालकर के भारत सरकार के बजट में डाल दिया और उसके कारण् आज भारत सरकार के बजट के पैसे रेलवे के विकास के लिए लगने लगे। 

पिछल दिनों देखा है इन दशकों में समय की पाबंदी, आपने हालात देखा है यहां। ट्रेन पर main lock ये नहीं देखने जाते थे कि इस प्लेटफॉर्म पर कौन सी ट्रेन है। लोग ये देखते कितनी लेट है। यही कार्यक्रम है, घर से तो उस समय मोबाइल तो था नहीं, स्टेशन पर जाकर के देखना की भई कितनी लेट है। रिश्तेदारों को कहते भई रूके रहो पता नहीं ट्रेन कब आएगी, वर्ना घर वापस जाकर के फिर आएंगे, ये रहता था।  स्वच्छता की समस्या, सुरक्षा, सहूलियत, हर चीज पैसेंजर के नसीब पर छोड़ दी गई थी। 

2014 में देश में आज से 10 साल पहले नॉर्थ ईस्ट के 6 राज्य ऐसे थे जहां की राजधानी हमारे देश की रेलवे से नहीं जुड़ी थी। 2014 में देश में 10 हजार से ज्यादा ऐसे रेल फाटक थे, 10 हजार से ज्यादा जहां कोई व्यक्ति नहीं था,  लगातार accident होते थे। और उसके कारण हमारे होनहार बच्चों को, नौजवान को हमें खोना पड़ता था। 2014 में देश में सिर्फ 35 परसेंट रेल लाइनों का इलेक्ट्रिफिकेशन हुआ था। पहले की सरकारों के लिए रेल लाइनों का दोहरीकरण भी उनकी प्राथमिकता में नहीं था। इस परिस्थिति में हर पल कौन मुसीबतें झेल रहा था? कौन परेशानियों में पिसा जाता था…? हमारे देश का सामान्य मानवी, मध्यम वर्ग का परिवार,  भारत का छोटा किसान, भारत के छोटे उद्यमी। आप याद करिए, रेलवे रिजर्वेशन उसका भी क्या हाल थी। लंबी-लंबी लाइनें, दलाली, कमीशन, घंटों का इंतजार । लोगों ने भी सोच लिया था कि अब ये हालत कभी न कभी ऐसी है, मुसीबत है, चलो दो चार घंटे सफर करनी है कर लेंगे। चिल्लाओ मत, यही जिंदगी हो गई थी। और मैंने तो मेरी जिंदगी ही रेल की पटरी पर शुरू की है। इसलिए मुझे भलिभांति है रेलवे का क्या हाल था।

साथियों,

भारतीय रेल को उस नर्क जैसी स्थिति से बाहर निकालने के लिए जो इच्छाशक्ति चाहिए थी, वो इच्छाशक्ति हमारी सरकार ने दिखाई है। अब रेलवे का विकास, सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है। हमने 10 वर्षों में औसत रेल बजट को 2014 से पहले की तुलना में 6 गुणा ज्यादा बढ़ाया है। और मैं आज देश को ये गारंटी दे रहा हूं कि अगले 5 साल में वो भारतीय रेल का ऐसा कायाकल्प होते देखेंगे, जिसकी उन्होंने कल्पना भी नहीं की होगी। आज का ये दिन इसी इच्छाशक्ति का जीता-जागता सबूत है। देश का नौजवान तय करेगा उसको कैसा देश चाहिए, कैसी रेल चाहिए। ये 10 साल का काम अभी तो ट्रेलर है, मुझे तो और आगे जाना है। आज गुजरात, महाराष्ट्र, यूपी, उत्तराखंड, कर्नाटका, तमिलनाडु, दिल्ली, एमपी, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा इतने राज्यों में वंदे भारत ट्रेनें मिल चुकी हैं । और इसी के साथ ही देश में वंदे भारत ट्रेन की सेवाओं का शतक भी लग गया है। वंदे भारत ट्रेनों का नेटवर्क अब देश के 250 से अधिक जिलों तक पहुंच चुका है। जनभावनाओं का सम्मान करते हुए सरकार वंदे भारत ट्रेनों का रूट भी लगातार बढ़ा रही है। अहमदाबाद-जामनगर वंदे भारत ट्रेन अब द्वारका तक जाएगी। और मैं तो अभी-अभी द्वारका में जाकर के डुबकी लगाकर के आया हूं। अजमेर- दिल्ली सराय रोहिल्ला वंदे भारत एक्सप्रेस अब चंडीगढ़ तक जाएगी। गोरखपुर-लखनऊ वंदे भारत एक्सप्रेस अब प्रयागराज तक जाएगी। और इस बार तो कुंभ का मेला होने वाला है तो उसका महत्व और बढ़ जाएगा।  तिरुवनंतपुरम-कासरगोड वंदे भारत एक्सप्रेस मेंगलुरू तक विस्तार किया गया है। 

साथियों, 

हम दुनियाभर में कहीं भी देखें, जो देश समृद्ध हुए, औद्योगिक रूप से सक्षम हुए, उनमें रेलवे की बहुत बड़ी भूमिका रही है। इसलिए, रेलवे का कायाकल्प भी विकसित भारत की गारंटी है। आज रेलवे में अभूतपूर्व गति से Reforms हो रहे हैं। तेज गति से नए रेलवे ट्रैक्स का निर्माण, 1300 से ज्यादा रेलवे स्टेशनों का आधुनिकीकरण, वंदे भारत, नमो भारत, अमृत भारत जैसी नेक्स्ट जनरेशन ट्रेन, आधुनिक रेलवे इंजन और कोच फैक्ट्रियां, ये सब 21वी सदी की भारतीय रेल की तस्वीर बदल रही हैं।

साथियों, 

गति शक्ति कार्गो टर्मिनल पॉलिसी के तहत कार्गो टर्मिनल के निर्माण में गति लाई जा रही है। इससे कार्गो टर्मिनल बनने की गति तेज हुई है। लैंड लीजिंग पॉलिसी को और सरल किया गया है। लैंड लीजिंग प्रक्रिया को भी ऑनलाइन किया है, इससे काम में परदर्शिता आई है। देश के ट्रांसपोर्टेशन सेक्टर को मजबूती देने के लिए रेलवे मंत्रालय के तहत गति शक्ति विश्वविद्यालय की स्थापना भी की गई है। हम निरंतर भारतीय रेल को आधुनिक बनाने और देश के कोने-कोने को रेल से जोड़ने में जुटे हुए हैं। हम रेलवे के नेटवर्क से मानवरहित फाटक समाप्त करके ऑटोमेटिक सिग्नेलिंग सिस्टम लगा रहे हैं। हम रेलवे के शत प्रतिशत इलेक्ट्रिफिकेशन की तरफ बढ़ रहे हैं, हम सौर ऊर्जा से चलने वाले स्टेशन बना रहे हैं। हम स्टेशन पर सस्ती दवा वाले जनऔषधि केंद्र बना रहे हैं। 

और साथियों,

ये ट्रेनें, ये पटरियां, ये स्टेशन ही नहीं बन रहे, बल्कि इनसे मेड इन इंडिया का एक पूरा इकोसिस्टम बन रहा है। देश में बने लोकोमोटिव हो या ट्रेन के डब्बे हो, भारत से श्रीलंका, मोजांबिक, सेनेगल, म्यानमार, सूडान, जैसे देशों तक हमारे ये प्रोडक्ट एक्सपोर्ट किए जा रहे है। भारत में बनी सेमी-हाईस्पीड ट्रेनों की डिमांड दुनिया में बढ़ेगी, तो कितने ही नए कारखाने यहां लगेंगे। रेलवे में हो रहे ये सारे प्रयास, रेलवे का ये कायाकल्प, नए निवेश और निवेश से नए रोजगार की भी गारंटी दे रहा है।

साथियों, 

हमारे इन प्रयासों को कुछ लोग चुनावी चश्मे से देखने की कोशिश करते हैं। हमारे लिए ये विकास कार्य, सरकार बनाने के लिए नहीं, ये विकास कार्य सिर्फ और सिर्फ देश बनाने का मिशन है। पहले की पीढ़ियों ने जो कुछ भुगता, वो हमारे नौजवानों और उनके बच्चों को नहीं भुगतना पड़ेगा। और ये मोदी की गारंटी है। 

साथियों,

भाजपा के 10 वर्ष के विकास काल का एक और उदाहरण, पूर्वी और पश्चिमी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर भी हैं। दशकों से ये डिमांड की जा रही थी कि मालगाड़ियों के लिए अलग ट्रैक होना चाहिए। ऐसा होता तो मालगाड़ियों और पैसेंजर ट्रेन, दोनों की स्पीड बढ़ती। ये खेती, उद्योग, एक्सपोर्ट, व्यापार-कारोबार, हर काम के लिए ये तेजी लाना बहुत ज़रूरी था। लेकिन कांग्रेस के राज में ये प्रोजेक्ट लटकता रहा, भटकता रहा, अटकता रहा। बीते 10 वर्षों में पूर्व और पश्चिम के समुद्री तट, को जोड़ने वाला ये फ्रेट कॉरिडोर, करीब-करीब पूरा हो चुका है। आज करीब साढ़े 600 किलोमीटर फ्रेट कॉरिडोर का लोकार्पण हुआ है, अहमदाबाद में ये अभी आप देख रहे हैं ऑपरेशन कंट्रोल सेंटर का लोकार्पण हुआ है। सरकार के प्रयासों से अब इस कॉरिडोर पर मालगाड़ी की स्पीड दो गुना से अधिक हो गई है। इन कॉरीडोर पर अभी के मुकाबले, बड़े वैगन को चलाने की क्षमता है, जिनमें हम अधिक सामान ले जा सकते हैं। पूरे फ्रेट कॉरिडोर पर अब इंडस्ट्रियल कॉरिडोर भी विकसित किए जा रहे हैं। आज अनेक स्थानों पर रेलवे गुड्स शेड, गति शक्ति मल्टीमॉडल कार्गो टर्मिनल, डिजिटल नियंत्रण स्टेशन, रेलवे वर्कशॉप, रेलवे लोकोशेड, रेलवे डिपो का भी लोकार्पण आज हुआ है। इसका भी बहुत सकारात्मक प्रभाव माल ढुलाई पर पड़ने ही वाला है।

साथियों,

भारतीय रेल को हम आत्मनिर्भर भारत का भी एक नया माध्यम बना रहे हैं। मैं वोकल फॉर लोकल का प्रचारक हूं, तो भारतीय रेल वोकल फॉर लोकल का एक सशक्त माध्यम है। हमारे विश्वकर्मा साथियों, हमारे कारीगरों, शिल्पकारों, महिला स्वयं सहायता समूहों के स्थानीय उत्पाद अब स्टेशनों पर बिकेंगे। अभी तक रेलवे स्टेशनों पर ‘वन स्टेशन, वन प्रोडक्ट’ के 1500 स्टॉल खुल चुके हैं। इसका लाभ हमारे हजारों गरीब भाई-बहनों को हो रहा है। 

साथियों, 

मुझे खुशी है कि भारतीय रेलवे आज विरासत भी विकास भी इस मंत्र को साकार करते हुए क्षेत्रीय संस्कृति और आस्था से जुड़े पर्यटन को भी बढ़ावा दे रही है। आज देश में रामायण सर्किट,  गुरु-कृपा सर्किट,जैन यात्रा पर भारत गौरव ट्रेनें चल रही हैं। यही नहीं आस्था स्पेशल ट्रेन तो देश के कोने कोने से श्री राम भक्तों को अयोध्या तक ले जा रही है।  अबतक क़रीब 350 आस्था ट्रेनें चली हैं और इनके माध्यम से साढ़े चार लाख से ज़्यादा श्रद्धालुओं ने अयोध्या में रामलला के दर्शन किए हैं।

साथियों,

भारतीय रेल, आधुनिकता की रफ्तार पर ऐसे ही तेजी से आगे बढ़ती रहेगी। और ये मोदी की गारंटी है। सभी देशवासियों के सहयोग से विकास का ये उत्सव भी निरंतर जारी रहेगा। एक बार फिर मैं सभी मुख्यमंत्रियों का, गर्वनर श्री का और इन 700 से अधिक स्थान पर जो इतनी बड़ी तादाद में लोग खड़े हैं, बैठे हैं, कार्यक्रम में आए हैं और सुबह 9-9.30 बजे ये कार्यक्रम करना कोई सरल काम नहीं है। लेकिन देश का जनमानस विकास के साथ जुड़ गया है। और इसलिए ये नजारा देखने को मिल रहा है। जो इतनी बड़ी तादाद में आज आए हैं इस कार्यक्रम में शरीक हुए हैं। 700 से अधिक जिलों में ये विकास, ये नई लहर उनको अनुभव हो रही है। मैं आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूं। और मैं आप सबकी विदाई लेता हूं। नमस्कार।

राजस्थान के पोखरण में ‘भारत शक्ति अभ्यास’ कार्यक्रम में प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ

भारत माता की जय!

भारत माता की जय!

राजस्थान के मुख्यमंत्री श्रीमान भजन लाल जी शर्मा, केन्द्रीय मंत्रिमंडल के मेरे साथी राजनाथ सिंह जी, गजेन्द्र शेखावत जी, कैलाश चौधरी जी, PSA प्रोफेसर अजय सूद जी, चीफ ऑफ डिफेन्स स्टाफ, जनरल अनिल चौहान, एयर चीफ मार्शल वी आर चौधरी, नेवी चीफ, एडमिरल  हरि कुमार, आर्मी चीफ जनरल मनोज पांडे, वरिष्ठ अधिकारीगण, तीनों सेनाओं के सभी वीर… और यहां पधारे पोखऱण के मेरे प्यारे भाइयों और बहनों!

आज यहां हमने जो दृश्य देखा, अपनी तीनों सेनाओं का जो पराक्रम देखा, वो अद्भुत है। आसमान में ये गर्जना… जमीन पर ये जांबाजी… चारों दिशाओं में गूंजता ये विजयघोष… ये नए भारत का आह्वान है। आज हमारा पोखरण, एक बार फिर भारत की आत्मनिर्भरता, भारत का आत्मविश्वास और भारत का आत्मगौरव इस त्रिवेणी का साक्षी बना है। यही पोखरण है, जो भारत की परमाणु शक्ति का साक्षी रहा है, और यहीं पर हम आज स्वदेशीकरण से सशक्तिकरण उसका दम भी देख रहे हैं। आज पूरा देश भारत शक्ति का ये उत्सव, शौर्य की भूमि राजस्थान में हो रहा है, लेकिन इसकी गूंज सिर्फ भारत में ही नहीं, पूरी दुनिया में सुनाई दे रही है। 

साथियों,

कल ही भारत ने MIRV आधुनिक टेक्नोलॉजी से लैस, लंबी दूरी की क्षमता वाली अग्नि-5 मिसाइल का परीक्षण किया है। दुनिया के बहुत ही कम देशों के पास इस तरह की आधुनिक टेक्नोलॉजी है, इस तरह की आधुनिक क्षमता है। ये डिफेंस सेक्टर में आत्मनिर्भर भारत की एक और बड़ी उड़ान है। 

साथियों, 

विकसित भारत की कल्पना, आत्मनिर्भर भारत के बिना संभव ही नहीं है। भारत को विकसित होना है, तो हमें दूसरों पर अपनी निर्भरता को कम करना ही होगा और इसलिए आज भारत, खाने के तेल से लेकर आधुनिक लड़ाकू विमान तक, हर क्षेत्र में आत्मनिर्भरता पर बल दे रहा है। आज का ये आयोजन, इसी संकल्प का हिस्सा है। आज मेक इन इंडिया की सफलता हमारे सामने है। हमारी तोपों, टैंकों, लड़ाकू जहाज़ों, हेलिकॉप्टर, मिसाइल सिस्टम, ये जो गर्जना आप देख रहे हैं- यही तो भारत शक्ति है। हथियार और गोला बारूद, संचार उपकरण, सायबर और स्पेस तक, हम मेड इन इंडिया की उड़ान अनुभव कर रहे हैं- यही तो भारत शक्ति है। हमारे pilots आज भारत में बने “तेजस” लड़ाकू विमान, एडवांस्ड लाइट हेलीकाप्टर, लाइट कॉम्बैट हेलीकाप्टर उड़ा रहे हैं- यही तो भारत शक्ति है। हमारे sailors पूरी तरह से भारत में बनी पनडुब्बियां, destroyers और aircraft कैरियर में लहरों के पार जा रहे हैं- यही तो भारत शक्ति है। हमारी थल सेना के जवान, भारत में बने आधुनिक अर्जुन टैंक्स और तोपों से देश की सीमाओं की सुरक्षा कर रहे हैं- यही तो भारत की शक्ति है। 

साथियों,

बीते 10 वर्षों में हमने देश को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक के बाद एक बड़े कदम उठाए हैं। हमने पॉलिसी स्तर पर नीति विषय सुधार किया, Reforms किए, हमने प्राइवेट सेक्टर को इससे जोड़ा, हमने MSME, startups को प्रोत्साहित किया। आज देश में उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में defence corridors बन रहे हैं। इनमें अब तक 7 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश हुआ है। आज हेलीकॉप्टर बनाने वाली एशिया की सबसे बड़ी फैक्ट्री, भारत में काम करना शुरू कर चुकी है। और आज मैं अपनी तीनों सेनाओं को भी बधाई दूंगा। हमारी तीनों सेनाओं ने सैकड़ों हथियारों की लिस्ट बनाकर तय किया कि अब वो इन्हें बाहर से नहीं मंगाएंगी। हमारी सेनाओं ने इन हथियारों के भारतीय इकोसिस्टम को सपोर्ट किया। मुझे खुशी है कि हमारी सेनाओं के लिए सैकड़ों सैन्य उपकरण अब भारत की कंपनियों से ही खरीदे जा रहे हैं। 10 वर्षों में लगभग 6 लाख करोड़ रुपये के रक्षा उपकरण स्वदेशी कंपनियों से खरीदे गए हैं। इन 10 वर्षो में देश का रक्षा उत्पादन, दो-गुना से भी ज्यादा, यानि 1 लाख करोड़ रुपए से अधिक हो चुका है। और इसमें हमारे नौजवान भी अहम भूमिका निभा रहे हैं। पिछले 10 वर्षों में 150 से ज्यादा नए defense Start ups शुरू हुए हैं। इनको हमारी सेनाओं ने 1800 करोड़ रुपए के Order देने का निर्णय लिया है।

साथियों,

रक्षा जरूरतों में आत्मनिर्भर होता भारत, सेनाओं में आत्मविश्वास की भी गारंटी है। युद्ध के समय जब सेनाओं को पता होता है कि जिन हथियारों का वो इस्तेमाल कर रही हैं, वो उनके अपने हैं, वो कभी भी कम नहीं पड़ेंगे, तो सेनाओं की ऊर्जा कई गुना बढ़ जाती है। बीते 10 वर्षों में, भारत ने अपना लड़ाकू हवाई जहाज बनाया है। भारत ने अपना aircraft carrier बनाया है। ‘C–295’ transport aircraft भारत में बनाये जा रहे हैं। आधुनिक इंजन का निर्माण भी भारत में होने वाला है। और आप जानते हैं, कुछ दिन पहले ही कैबिनेट ने एक और बड़ा फैसला लिया है। अब 5th Generation लड़ाकू विमान भी हम भारत में ही डिजायन, डेवलप और मैन्यूफेक्चर करने वाले हैं। आप कल्पना कर सकते हैं कि भविष्य में भारत की सेना और भारत का डिफेंस सेक्टर कितना बड़ा होने वाला है, इसमें युवाओं के लिए रोजगार और स्वरोजगार के कितने अवसर बनने वाले हैं। कभी भारत, दुनिया का सबसे बड़ा डिफेंस इंपोर्टर हुआ करता था। आज भारत डिफेंस सेक्टर में भी एक बड़ा निर्यातक बनता जा रहा है। आज भारत का डिफेंस एक्सपोर्ट 2014 की तुलना में 8 गुना से ज्यादा बढ़ चुका है। 

साथियों,

आजादी के बाद से एक दुर्भाग्य ये रहा कि जिन्होंने दशकों पर देश पर शासन किया, वो देश की सुरक्षा को लेकर गंभीर नहीं रहे। हालत ये थी कि आजादी के बाद देश का पहला बड़ा घोटाला सेना में खरीद के दौरान ही हुआ। उन्होंने जानबूझकर भारत को रक्षा ज़रूरतों के लिए विदेशों पर निर्भर रखा। आप ज़रा, 2014 से पहले की स्थिति याद कीजिए- तब क्या चर्चा होती थी? तब रक्षा सौदों में घोटालों की चर्चा होती थी। दशकों तक लटके रहे रक्षा सौदों की चर्चा होती थी। सेना के पास, इतने दिनों का गोला-बारूद बचा है, ऐसी चिंताएं सामने आती थीं। उन्होंने हमारी ऑर्डिनेंस फैक्ट्रियों को बर्बाद कर दिया था। हमने इन्हीं ऑर्डिनेंस फैक्ट्रियों को जीवनदान दिया, उन्हें 7 बड़ी कंपनियों में बदला। उन्होंने HAL को बर्बादी के कगार पर पहुंचा दिया था। हमने HAL को रिकॉर्ड प्रॉफिट लाने वाली कंपनी में बदल दिया। उन्होंने, कारगिल युद्ध के बाद भी CDS जैसे पद के गठन की इच्छा शक्ति नहीं दिखाई। हमने इसको ज़मीन पर उतारा। वो दशकों तक हमारे वीर बलिदानी सैनिकों के लिए एक राष्ट्रीय स्मारक तक नहीं बना पाए। ये कर्तव्य भी हमारी ही सरकार ने पूरा किया। पहले की सरकार तो, हमारी सीमाओं पर आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने से भी डरती थी। लेकिन आज देखिए, एक से एक आधुनिक रोड, आधुनिक टनल, हमारे सीमावर्ती क्षेत्रों में बन रही हैं। 

साथियों,

मोदी की गारंटी का मतलब क्या होता है, ये हमारे सैनिक परिवारों ने भी अनुभव किया है। आप याद कीजिए, चार दशकों तक OROP- One Rank One Pension को लेकर कैसे सैनिक परिवारों से झूठ बोला गया। लेकिन मोदी ने OROP लागू करने की गारंटी दी थी और उस गारंटी को बड़े शान के साथ पूरा भी कर दिया। इसका फायदा यहां जब राजस्थान में आया हूं मैं तो बताता हूं, राजस्थान के भी पौने 2 लाख पूर्व सैनिकों को मिला है। उन्हें OROP के तहत 5 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा मिल चुके हैं। 

साथियों,

सेना की ताकत भी तभी बढ़ती है, जब देश की आर्थिक ताकत बढ़ती है। बीते 10 वर्षों के अथक और ईमानदार प्रयासों से हम दुनिया की 5वीं बड़ी आर्थिक ताकत बने, तो हमारा सैन्य सामर्थ्य भी बढ़ा है। आने वाले वर्षों में जब हम दुनिया की तीसरी बड़ी आर्थिक ताकत बनेंगे, तो भारत का सैन्य सामर्थ्य भी नई बुलंदी पर होगा। और भारत को तीसरी बड़ी आर्थिक ताकत बनाने में राजस्थान की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। विकसित राजस्थान, विकसित सेना को भी उतनी ही ताकत देगा। इसी विश्वास के साथ भारत शक्ति के सफल आयोजन की फिर से एक बार मैं आप सबको और तीनों सेनाओं के द्वारा संयुक्त प्रयास को हृदय की गहराई से बहुत-बहुत बधाई देता हूं। मेरे साथ बोलिए-

भारत माता की जय! 

भारत माता की जय!

भारत माता की जय! 

बहुत-बहुत धन्यवाद!

कोचरब आश्रम के उद्घाटन और गुजरात में साबरमती आश्रम परियोजना के मास्टर प्लान के शुभारंभ पर प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ

गुजरात के राज्यपाल श्रीमान आचार्य देवव्रत जी, यहां के लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र भाई पटेल, मुलुभाई बेरा, नरहरि अमीन, सी आर पाटिल, किरीटभाई सोलंकी, मेयर श्रीमती प्रतिभा जैन जी, भाई कार्तिकेय जी, अन्य सभी महानुभाव, देवियों और सज्जनों!   

पूज्य बापू का ये साबरमती आश्रम हमेशा से ही एक अप्रतिम ऊर्जा का जीवंत केंद्र रहा है। और मैं जैसे हर किसी को जब-जब यहाँ आने का अवसर मिलता है, तो बापू की प्रेरणा हम अपने भीतर स्पष्ट रूप से अनुभव कर सकते हैं। सत्य और अहिंसा के आदर्श हों, राष्ट्र आराधना का संकल्प हों, गरीब और वंचित की सेवा में नारायण सेवा देखने का भाव हो, साबरमती आश्रम, बापू के इन मूल्यों को आज भी सजीव किए हुए है। मेरा सौभाग्य है कि आज मैंने यहाँ साबरमती आश्रम के पुनर्विकास और विस्तार का शिलान्यास किया है। बापू के पहले, जो पहला आश्रम था, शुरू में जब आए, वो कोचरब आश्रम उसका भी विकास किया गया है, और मुझे खुशी है कि आज उसका भी लोकार्पण हुआ है। साउथ अफ्रीका से लौटने के बाद गांधी जी ने अपना पहला आश्रम कोचरब आश्रम में ही बनाया था। गांधी जी यहाँ चरखा चलाया करते थे, कार्पेंटरी का काम सीखते थे। दो साल तक कोचरब आश्रम में रहने के बाद फिर गांधी जी साबरमती आश्रम में शिफ्ट हुए थे। पुनर्निर्माण होने के बाद अब गांधी जी के उन दिनों की यादें कोचरब आश्रम में और बेहतर तरीके से संरक्षित रहेंगी। मैं पूज्य बापू के चरणों में नमन करता हूँ, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं सभी देशवासियों को इन महत्वपूर्ण प्रेरक स्थानों के विकास के लिए भी बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। 

साथियों, 

आज 12 मार्च वो ऐतिहासिक तारीख भी है। आज के ही दिन बापू ने स्वतंत्रता आंदोलन की उस धारा को बदला और दांडी यात्रा स्वतंत्रता के आंदोलन के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में अंकित हो गई। आज़ाद भारत में भी ये तारीख ऐसे ही ऐतिहासिक अवसर की, नए युग के सूत्रपात करने वाली गवाह बन चुकी है। 12 मार्च 2022 को, इसी साबरमती आश्रम से देश ने आज़ादी के अमृत महोत्सव का शुभारंभ किया था। दांडी यात्रा ने आज़ाद भारत की पुण्यभूमि तय करने में, उसकी पृष्ठभूमि बनाने में, उस पुण्यभूमि का पुन: स्मरण करते हुए आगे बढ़ने में एक अहम भूमिका निभाई थी। और, अमृत महोत्सव के शुभारंभ ने अमृतकाल में भारत के प्रवेश का श्रीगणेश किया। अमृत महोत्सव ने देश में जनभागीदारी का वैसा ही वातावरण बनाया, जैसा आज़ादी के पहले दिखा था। हर हिन्दुस्तानी को प्राय: खुशी होगी कि आज़ादी का अमृत महोत्सव, उसकी व्यापकता कितनी थी और उसमें गांधी के विचारों का प्रतिबिंब कैसा था। देशवासी जानते हैं, आज़ादी के अमृतकाल के इस कार्यक्रम के दरमियान 3 करोड़ से ज्यादा लोगों ने पंच प्राण की शपथ ली। देश में 2 लाख से ज्यादा अमृत वाटिकाओं का निर्माण हुआ। 2 करोड़ से ज्यादा पेड़ पौधे लगाकर उनके पूरी तरह से विकास की चिंता की गई। इतना ही नहीं जल संरक्षण की दिशा में एक बहुत बड़ा क्रांतिकारी कार्य हुआ, 70 हजार से ज्यादा अमृत सरोवर बनाए गए। और हमें याद है, हर घर तिरंगा अभियान पूरे देश में राष्ट्रभक्ति की अभिव्यक्ति का एक बहुत बड़ा सशक्त माध्यम बन गया था। ‘मेरी माटी, मेरा देश अभियान’ के तहत करोड़ों देशवासियों ने देश के बलिदानियों को श्रद्धांजलि दी। अमृत महोत्सव के दौरान, 2 लाख से ज्यादा शिला-पट्टिकाएं भी स्थापित की गई हैं। इसलिए, साबरमती आश्रम आज़ादी की लड़ाई के साथ-साथ विकसित भारत के संकल्प का भी तीर्थ बना है। 

साथियों, 

जो देश अपनी विरासत नहीं संजो पाता, वो देश अपना भविष्य भी खो देता है। बापू का ये साबरमती आश्रम, देश की ही नहीं ये मानव जाति की ऐतिहासिक धरोहर है। लेकिन आजादी के बाद इस धरोहर के साथ भी न्याय नहीं हो पाया। बापू का ये आश्रम कभी 120 एकड़ में फैला हुआ था। समय के साथ अनेक कारणों से, ये घटते-घटते केवल 5 एकड़ में सिमट गया था। एक जमाने में यहां 63 छोटे-मोटे कंस्ट्रक्शन के मकान होते थे, और उनमें से भी अब सिर्फ 36 मकान ही बचे हैं, 6-3, 3-6 हो गया। और इन 36 मकानों में से भी केवल 3 मकानों में ही पर्यटक जा सकते हैं। जिस आश्रम ने इतिहास का सृजन किया हो, जिस आश्रम की देश की आजादी में इतनी बड़ी भूमिका रही हो, जिसे देखने के लिए, जानने के लिए, अनुभव करने के लिए दुनिया भर से लोग यहां आते हों, उस साबरमती आश्रम को सहेज कर रखना हम सभी 140 करोड़ भारतीयों का दायित्व है।

और साथियों, 

आज साबरमती आश्रम का जो विस्तार संभव हो रहा है, उसमें यहाँ रहने वाले परिवारों की बहुत बड़ी भूमिका रही है। इनके सहयोग के कारण ही आश्रम की 55 एकड़ जमीन वापस मिल पाई है। जिन-जिन लोगों ने इसमें सकारात्मक भूमिका निभाई हैं, मैं उन परिवारों की सराहना करता हूं, उनका आभार व्यक्त करता हूं। अब हमारा प्रयास है कि आश्रम की सभी पुरानी इमारतों को उनकी मूल स्थिति में संरक्षित किया जाए। जिन मकानों को नए सिरे से बनाने की जरूरत होगी, मेरी तो कोशिश रहती है, जरूरत पड़े ही नहीं, जो कुछ भी होगा इसी में करना है मुझे। देश को लगना चाहिए कि ये पारंपरिक निर्माण की शैली को बनाए रखता है। आने वाले समय में ये पुनर्निर्माण देश और विदेश के लोगों में एक नया आकर्षण पैदा करेगा। 

साथियों, 

आजादी के बाद जो सरकारें रहीं, उनमें देश की ऐसी विरासत को बचाने की ना सोच थी और ना ही राजनीतिक इच्छाशक्ति थी। एक तो विदेशी दृष्टि से भारत को देखने की आदत थी और दूसरी, तुष्टिकरण की मजबूरी थी जिसकी वजह से भारत की विरासत, हमारी महान धरोहर ऐसे ही तबाह होती गई। अतिक्रमण, अस्वच्छता, अव्यवस्था, इन सभी ने हमारी विरासतों को घेर लिया था। मैं काशी का सांसद हूं, मैं काशी का आपको उदाहरण देता हूं। वहां 10 साल पहले क्या स्थिति थी, पूरा देश जानता है। लेकिन जब सरकार ने इच्छाशक्ति दिखाई, तो लोगों ने भी सहयोग किया और काशी विश्वनाथ धाम के पुनर्निमाण के लिए 12 एकड़ जमीन निकल आई। आज उसी जमीन पर म्यूजियम, फूड कोर्ट, मुमुक्षु भवन, गेस्ट हाउस, मंदिर चौक, एंपोरियम, यात्री सुविधा केंद्र, अनेक प्रकार की सुविधाएं विकसित की गई हैं। इस पुनर्निर्माण के बाद अब आप देखिए 2 साल में 12 करोड़ से ज़्यादा श्रद्धालु विश्वनाथ जी के दर्शन करने आए हैं। इसी तरह अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि के विस्तारीकरण के लिए हमने 200 एकड़ जमीन को मुक्त कराया। इस जमीन पर भी पहले बहुत सघन कंस्ट्रक्शन था। आज वहां राम पथ, भक्ति पथ, जन्म भूमि पथ, और अन्य सुविधाएं विकसित की जा रही हैं। अयोध्या में भी पिछले 50 दिन में एक करोड़ से ज्यादा श्रृद्धालु भगवान श्रीराम के दर्शन कर चुके हैं। कुछ ही दिन पहले मैंने द्वारका जी में भी विकास के अनेक कार्यों का लोकार्पण किया है। 

वैसे साथियों, 

देश को अपनी विरासत को सहेजने का मार्ग एक तरह से यहां गुजरात की धरती ने दिखाया था। याद कीजिए, सरदार साहेब के नेतृत्व में सोमनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार, अपने आप में बहुत ही ऐतिहासिक घटना थी। गुजरात अपने आप में ऐसी अनेकों विरासत को संभाले हुए है। ये अहमदाबाद शहर, वर्ल्ड हेरिटेज सिटी है। रानी की वाव, चाँपानेर और धोलावीरा भी वर्ल्ड हेरिटेज में गिने जाते हैं। हजारों वर्ष पुराने पोर्ट सिटी लोथल की चर्चा दुनिया भर में है। गिरनार का विकास हो, पावागढ़, मोढेरा, अंबाजी, ऐसे सभी महत्वपूर्ण स्थलों में अपनी विरासत को समृद्ध करने वाले काम किए गए हैं। 

साथियों, 

हमने स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी विरासत के लिए, राष्ट्रीय प्रेरणा से जुड़े अपने स्थानों के लिए भी विकास का अभियान चलाया है। हमने, दिल्ली में आपने देखा होगा एक राजपथ हुआ करता था।  हमने राजपथ को कर्तव्यपथ के रूप में विकसित करने का काम किया। हमने कर्तव्यपथ पर नेताजी सुभाषचंद्र बोस की प्रतिमा स्थापित की। हमने अंडमान निकोबार द्वीप समूह में स्वतंत्रता संग्राम और नेताजी से जुड़े स्थानों का विकास किया, उन्हें सही पहचान भी दी। हमने बाबा साहब अंबेडकर से जुड़े स्थानों का भी पंच तीर्थ के रूप में विकास किया। यहाँ एकता नगर में सरदार वल्लभ भाई पटेल की स्टेचू ऑफ यूनिटी आज पूरी दुनिया के लिए आकर्षण का केंद्र बन गई है। आज लाखों लोग सरदार पटेल जी को नमन करने वहां जाते हैं। आप दांडी देखेंगे, वो कितना बदल गया है, हजारों लोग दांडी जाते हैं आज। अब साबरमती आश्रम का विकास और विस्तार इस दिशा में एक और बड़ा कदम है। 

साथियों, 

भविष्य में आने वाली पीढ़ियां…यहां इस आश्रम में आने वाले लोग, यहां आकर ये समझ पाएंगे कि साबरमती के संत ने कैसे चरखे की ताकत से देश के जन-मन को आंदोलित कर दिया था। देश के जन-मन को चेतनवंत बना दिया था। और जो आज़ादी के अनेक प्रवाह चल रहे थे, उस प्रवाह को गति देने का काम कर दिया था। सदियों की गुलामी के कारण जो देश हताशा का शिकार हो रहा था, उसमें बापू ने जन आंदोलन खड़ा करके एक नई आशा भरी थी, नया विश्वास भरा था। आज भी उनका विज़न हमारे देश को उज्ज्वल भविष्य के लिए एक स्पष्ट दिशा दिखाता है। बापू ने ग्राम स्वराज और आत्मनिर्भर भारत का सपना देखा था। अब आप देखिए हम वोकल फॉर लोकल की चर्चा करते हैं। आधुनिक लोगों के समझ में आए इसलिए शब्द प्रयोग कुछ भी हो। लेकिन मूलत: तो वो गांधी जी की स्वेदशी की भावना है और क्या है। आत्मनिर्भर भारत की महात्मा गांधी जी की जो संकल्पना थी, वहीं तो है उसमें। आज मुझे अभी हमारे आचार्य जी बता रहे थे कि क्योंकि वे प्राकृतिक खेती के लिए मिशन लेकर के काम कर रहे हैं। उन्होंने मुझे कहा कि गुजरात में 9 लाख किसान परिवार, ये बहुत बड़ा आंकड़ा है। 9 लाख किसान परिवार अब प्राकृतिक खेती की तरफ मुड़ चुके हैं, जो गांधी जी का सपना था, केमिकल फ्री खेती और उन्होंने मुझे कहा कि 3 लाख मैट्रिक टन यूरिया गुजरात में इस बार कम उपयोग में लिया गया है। मतलब की धरती मां की रक्षा का काम भी हो रहा है। ये महात्मा गांधी के विचार नहीं है तो क्या है जी। और आचार्य जी के मार्गदर्शन में गुजरात विद्यापीठ ने भी एक नई जान भर दी है। हमारे इन महापुरूषों ने हमारे लिए बहुत कुछ छोड़ा है। हमें आधुनिक स्वरूप में उसको जीना सीखना पड़ेगा। और मेरी कोशिश यही है, खादी, आज इतना खादी का ताकत बढ़ गई है जी। कभी सोचा नहीं होगा कि खादी कभी…वरना वो नेताओं के परिवेश के रूप में अटक गई थी, हमने उसे बाहर निकाल दिया। हमारा गांधी के प्रति समर्पण का ये तरीका है। और हमारी सरकार, गांधी जी के इन्हीं आदर्शों पर चलते हुए गांव-गरीब के कल्याण को प्राथमिकता दे रही है, आत्मनिर्भर भारत का अभियान चला रही है। आज गाँव मजबूत हो रहा है, ग्राम स्वराज का बापू का विज़न साकार हो रहा है। हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था में एक बार फिर से महिलाएं अहम भूमिका निभा रही हैं। सेल्फ हेल्प ग्रुप्स हों, उसमें जो काम करने वाली हमारी माताएं-बहनें हैं। मुझे प्रसन्नता है कि आज देश में, गॉवों में सेल्फ हेल्प ग्रुप्स में काम करने वाली 1 करोड़ से ज्यादा बहनें लखपति दीदी बन चुकी हैं, और मेरा सपना है तीसरे टर्म में 3 करोड़ लखपति दीदी बनाने का। आज हमारे गांव की सेल्फ हेल्प ग्रुप्स की बहनें ड्रोन पायलट बनी हैं। खेती की आधुनिकता की दिशा में वो नेतृत्व कर रही हैं। ये सारी बातें सशक्त भारत का उदाहरण है। सर्व-समावेशी भारत की भी तस्वीर है। हमारे इन प्रयासों से गरीब को गरीबी से लड़ने का आत्मबल मिला है। 10 वर्षों में हमारी सरकार की नीतियों की वजह से 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आए हैं। और मैं पक्का मानता हूं पूज्य बापू की आत्मा जहां भी होती होगी, हमें आशीर्वाद देती होगी। आज जब भारत आज़ादी के अमृतकाल में नए कीर्तिमान गढ़ रहा है, आज जब भारत जमीन से अन्तरिक्ष तक नई ऊंचाइयों को छू रहा है, आज जब भारत विकसित होने के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है, तो महात्मा गांधी जी की तपोस्थली हम सभी के लिए बहुत बड़ी प्रेरणा है। और इसलिए साबरमती आश्रम, कोचरब आश्रम, गुजरात विद्यापीठ ऐसे सभी स्थान हम उसको आधुनिक युग के लोगों को उसके साथ जोड़ने के पक्षकार हैं। ये विकसित भारत के संकल्प, उसकी प्रेरणाओं में हमारी आस्था को भी सशक्त करता है। और मैं तो चाहूंगा अगर हो सके तो, क्योंकि मुझे पक्का विश्वास है, मेरे सामने जो साबरमती आश्रम का चित्र बना पड़ा है, उसको जब भी साकार होते आप देखेंगे, हजारों की तादाद में लोग यहां आएंगे। इतिहास को जानने का प्रयास करेंगे, बापू को जानने का प्रयास करेंगे। और इसलिए मैं गुजरात सरकार से भी कहूंगा, अहमदाबाद म्युनिसिपल कॉरपोरशन से भी कहूंगा कि क्या एक काम कर सकते हैं। हम एक बहुत बड़ा, लोग गाइड के रूप में आगे आए और एक गाइड का कंपटीशन करें। क्योंकि ये हेरिटेज सिटी है, बच्चों के बीच में कंपटीशन हो, कौन बेस्ट गाइड का काम करता है। साबरमती आश्रम में बेस्ट गाइड की सेवा कर सकें, ऐसे कौन लोग हैं। एक बार बच्चों में कंपटीशन होगी, हर स्कूल में कंपटीशन होगी तो यहां का बच्चा-बच्चा जानेगा साबरमती आश्रम कब बना, क्या है, क्या करता था। और दूसरा 365 दिन हम तय करें कि प्रतिदिन अहमदाबाद के अलग-अलग स्कूल के कम से कम एक हजार बच्चे साबरमती आश्रम में आकर के कम से कम एक घंटा बिताएंगे। और वो जो बच्चे उसके स्कूल के गाइड बने होंगे, वो ही उनके बताएंगे कि यहां पर गांधी जी बैठते थे, यहां पर खाना खाते थे, यहां पर खाना पकता था, यहां गौशाला थी, सारी बातें बताएंगे। हम इतिहास को जी सकते हैं जी। कोई एक्स्ट्रा बजट की जरूरत नहीं है, एक्स्ट्रा मेहनत की जरूरत नहीं है, सिर्फ एक नया दृष्टिकोण देना होता है। और मुझे विश्वास है, बापू के आदर्श, उनसे जुड़े ये प्रेरणातीर्थ राष्ट्र निर्माण की हमारी यात्रा में और अधिक मार्गदर्शन करते रहेंगे, हमें नई ताकत देते रहेंगे। 

मैं देशवासियों को आज इस नए प्रकल्प को आपके चरणों में समर्पित करता हूं। और इस विश्वास के साथ मैं आज यहां आया हूं और मुझे याद है, ये कोई सपना मेरा आज का नहीं है, मैं मुख्यमंत्री था, तब से इस काम के लिए लगा था। अदालतों में भी बहुत सारा समय बीता मेरा, क्योंकि पता नहीं भांति-भांति के लोग, नई-नई परेशानियां पैदा कर रहे थे। भारत सरकार भी उसमें अड़ंगे डालती थी उस समय। लेकिन, शायद ईश्वर के आशीर्वाद हैं, जनता-जनार्दन का आशीर्वाद है कि सारी समस्याओं से मुक्ति पाकर के अब उस सपने को साकार कर रहे हैं। मैं फिर एक बार आप सबको बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं। और राज्य सरकार से मेरा यही अनुरोध है कि जल्द से जल्द इसका काम प्रारंभ हो, जल्द से जल्द पूर्ण हो, क्योंकि इस काम को पूर्ण होने में मुख्य काम है- पेड़-पौधे लगाना, क्योंकि ये गीच, जंगल जैसा अंदर बनना चाहिए तो उसमें तो समय लगेगा, उसको ग्रो होने में जितना टाइम लगता है, लगेगा। लेकिन लोगों को फीलिंग आना शुरू हो जाएगा। और मैं जरूर विश्वास करता हूं कि मुझे तीसरे टर्म में फिर एक बार…मुझे अब कुछ कहने का बाकी नहीं रहता है।                   

बहुत-बहुत धन्यवाद। 

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