पालतू जानवर रखने से पहले, हो जाएं सावधान


शौक और स्टेटस का परिचायक – पालतू जानवर

प्रस्तुति- सोनी राय

कहते है, दोस्ती एक ऐसा रिश्ता है, जो इंसान खुदबनाता है। लेकिन आजकल इंसानों की दोस्ती से लोगो का विश्वास डगमगाता जा रहा है। चूँकि लोग दोस्ती भी एक दुसरे का इस्तेमाल करने के लिए करते हुए नजर आ रहे है। ऐसे में एक वफादार दोस्त की छवि इंसान से ज्यादा जानवर में नजर आती है। तो आइये इस बारे में लोगो की राय जानते है-नवीन शर्मा बदला हुआ नाम जो कि एक मल्टीनेशनल कंपनी में उच्च पद पर कार्यरत हैं। वे लगभग एक सप्ताह तक हास्पिटल में भर्ती थे क्योंकि उन्हें कुछ एलर्जी हो गई थी। जिसके बाद डाक्टर ने उन्हें पूरी तरह से आराम की सलाह दी। जब डाक्टर ने उन्हें एलर्जी का कारण बताया तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई क्योंकि यह एलर्जी उनके पालतु कुत्ते से हुई थी। वैसे तो उनका डॉगी प्रिस, जिसके बिना वह एक पल नहीं रह पाते थे, अब उन्हें उसके बिना सात दिनों तक दूर रहना पड़ा।
दरअसल छः महीने पहले वे अपने दोस्त के यहां से एक कुत्ता लेकर आए थे। शर्मा ने बताया कि शुरुआत में मुझे छींके आने लगीं, तो इसे मौसमी बीमारी समझकर मैंने नजरअंदाज कर दिया। लेकिन जब ये लक्षण दिनों दिन बढने लगे तो मैंने डाक्टर को दिखाया। डाक्टर ने मुझसे पहला सवाल यही पूछा कि क्या मेरे घर में कोई पालतू जानवर है? तभी मुझे एहसास हुआ कि इन परेशानियों के पीछे मेरा कुत्ता हो सकता है।
शर्मा को हास्पिटल से डिस्चार्ज हुए दो सप्ताह हो गए हैं और वे अब काम पर भी जाने लगे हैं। दरअसल देखा जाए तो यह सही है कि कभी-कभी घर में पाले जाने वाले जानवर हमारे लिए बीमारियां भी लेकर आ जाते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार हम घरों में अपने बुजुर्ग लोगों को अक्सर खांसते, छींकते, बंद नाक, मुंह से सांस लेते हुए देखते हैं। कई ऐसे मामलों में इसके पीछे आपके द्वारा पाले हुए जानवर भी इसका एक बड़ा कारण हो सकते हैं।
विभिन्न तरह की एलर्जी के अलावा ये पालतू जानवर अन्य घातक समस्याओं को भी जन्म दे सकते हैं जैसे पैरासिटिक संक्रमणों का जमावड़ा जो कि शरीर में प्रवेश कर एक गांठ का रूप ले लेता है। समय रहते इसका निदान न हो तो मरीज की जान भी जा सकती है। यदि निदान हो जाए तो पीड़ित को सर्जरी करानी पड़ सकती है। यह एक प्रकार की अवस्था है जिसे टेपवोर्म के नाम से जाना जाता है। ये बीमारियां कुत्तों द्वारा मनुष्यों में ट्रांसमिट होती है। आगे चलकर ये एक विशाल गांठ का रूप ले लेती है जो कि जानलेवा भी साबित हो सकती है। दरअसल कुत्ते व बिल्लियों के इंटेस्टाइन में टेपवोर्म मौजूद होते हैं जो कि अक्सर उनके शरीर में भोजन द्वारा रिएक्ट करने पर भी पैदा हो सकते हैं और अगर कोई मनुष्य उसके संपर्क में आए तो वह इस बीमारी से पीड़ित हो सकता है।
हालांकि यह बहुत बड़ा मिथ्या है कि सिर्फ पोर्क खाने से ही गांठें बनती हैं। ऐसा शत-प्रतिशत सत्य नहीं है। विषेशज्ञों के अुनसार यदि पालतू जानवरों की सही ढ़ंग से साफ-सफाई न की जाए व उनके स्वास्थ्य का ख्याल न रखा जाए तो उन्हें पालने वाले भी खतरे में आ सकते हैं। जिन लोगों के शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम होती है, जैसे छोटे बच्चे, बुजुर्ग, किसी बीमारी से पीड़ित, कीमोथैरेपी करा रहे लोग आदि इन सब समस्याओं की चपेट में जल्दी आते हैं। ऐसे लोगों को अपने पालतू जानवर से अधिक दोस्ती नहीं बढ़ानी चाहिए। ऐसे में विशेषज्ञ यह सुझाते हैं कि यदि आप पालतू जानवर पाल रहे हैं खासकर कुत्ते या बिल्ली, तो उनके रखरखाव की जानकारी को बढ़ाएं व साफ सफाई का अच्छी तरह से ध्यान रखें।
कुछ खास टिप्स-
उन्हें नहलाने या साफ करते समय दस्ताने पहनें।
जब भी आप उनके मल मूत्र को साफ करें तो ध्यान दें कि उसके संपर्क में न आने पाएं।
पालतू जानवर बैक्टीरियल, पैरासिटिक, फंगल व वायरल संक्रमण फैला सकते हैं।
अपने पालतू जानवर और आसपास के माहौल को साफ सुथरा रखें।
जानवरों को छूने के बाद व खाना खाने से पहले अपने हाथों को अच्छी तरह से धोएं।
गार्डेनिंग करते समय व कच्चा मीट आदि छूने के बाद हाथ धोएं।
फल व सब्जियां इस्तेमाल में लाने से पहले उन्हें अच्छे से धोलें।
अपने पालतू जानवरों की अच्छी तरह से जांच कराएं।
अपने बीमार पालतू जानवरों का उपचार अच्छे डाक्टर से करवाएं।
अगर सही मायने में पालतू जानवर रखने का शौक है तो उसका रूटीन चेकअप जरूर कराएं।
इसके साथ ही उन्हें आवश्यक टीकाकरण भी जरूर करवाएं।
अपने जावनरों से मौखिक संपर्क में न आएं।
जानवरों को जितना हो सके घर के भीतर ही रखने का प्रयास करें।
अगर आप के जानवर ने आप को काट लिया है, तो तुरंत डाक्टर को दिखाएं. कतई भी नजरअंदाज न करें।
उनके शेल्टरों को बार-बार साफ करें। किसी प्रकार का कचरा आदि इकऋा न होने दें।
उन्हें पूरा पका हुआ खाना दें न कि अधपका।
उनकी देखभाल के लिए आजकल मार्केट में वैसे भी काफी सारे प्रोडक्ट मौजूद हैं जो पालतू जानवरों को और भी स्टाइलिश और फैशनेबल तो बनातें ही हैं साथ ही उनके देखभाल के लिए भी फायदेमंद होते हैं। जैसे उनके कपड़े, उनकी ट्रॉली, उनका मार्डन फूड आदि। गंदे और खराब भोजन खिलाने से अच्छा है कि उन्हें मार्केट में मिल रहे रेडी टू इट फूड ही खिलाएं।
कुछ खास बीमारियां तो पालतू जानवरों से खास तौर से होती हैं-
स्केबीज-
यह एक प्रकार का त्वचा रोग है जिसमें त्वचा में खुजली होने लगती है। आगे चलकर यह ऐक्जीमा का रूप ले सकता है।
राउंडवोर्म –
राउंडवोर्म के अंडे आसानी से बच्चों या बड़ों के संपर्क में आ जाते हैं, जिससे षरीर में कई प्रकार की समस्याएं उभर सकती हैं।
रिंगवोर्म –
यह एक प्रकार का त्वचा, सिर या बालों में होने वाला संक्रमण होता है। जिसमें बालों का झड़ जाना, शरीर के अंगों पर गोलाई में चकते होना, इसके लक्षण हो सकते हैं।
कैट स्क्रैच-
यह ऐसा बैक्टीरियल संक्रमण है, जो कि बिल्लियों से मनुश्य तक पहुंचता है. यह एक खरोच के द्वारा भी हो सकता है। इससे तेज बुखार, भूख न लगना, कमजोरी आदि हो सकता है।
रेबीज –
यह अक्सर जानवरों के काटने से होता है। इससे बचने के लिए मार्केट में उपलब्ध इंजेक्शन लगवाना पड़ता है।
खास बात तो यह है कि आप जानवर तो पालो मगर थोड़ी सावधानी से, क्योंकि आपने तो सुना ही होगा कि सावधानी हटी तो दुर्घटना घटी।

Translate »