पंच प्रण में पहला बड़ा संकल्प है- विकसित भारत– मुख्य अतिथि डॉ नीलकंठ तिवारी..

दुनियां बुढ़ी हो रही है तो भारत जवान हो रहा है– कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा..

2047 में देश की आजादी के 100 वर्ष पूरे हो जाएंगे और इस पंच प्रण को स्वर्णिम काल तक हमे पूरा करना है।‘पंच प्रण’ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने ‘विकसित भारत’, ‘गुलामी से मुक्ति’, ‘विरासत पर गर्व’, ‘एकता और एकजुटता’ और ‘नागरिकों का कर्तव्य’ को रखा है। ‘पंच प्रण’ में पहला बड़ा संकल्प है- विकसित भारत।  अब देश बड़े संकल्प लेकर चलेगा। छोटे-छोटे संकल्प का अब समय नहीं है। आने वाले 25 वर्षों में हमें किसी भी कीमत पर विकसित भारत चाहिए, उससे कुछ कम नहीं होना चाहिए। स्वच्छता अभियान, कोरोना वैक्सीनेशन अभियान, ढाई करोड़ लोगों को बिजली कनेक्शन, खुले में शौच से मुक्ति, रिन्यूअल एनर्जी, हम सभी  मानकों पर संकल्प से आगे बढ़ रहे हैं। इन्हीं सभी बड़ी चीज़ों ने भारत के विकसित देश की नींव डाली है।उक्त विचार सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के पाणिनि भवन सभागार में आयोजित .विकसित भारत @2047 शीर्षक के अंतर्गत दिनांक 15 दिसंबर से आयोजित कार्यक्रम के संपूर्ति दिवस पर(संगोष्ठी)उत्तर प्रदेश के पूर्व धर्मार्थ कार्य मंत्री एवं विधायक डॉ नीलकंठ तिवारी ने बतौर मुख्य अतिथि व्यक्त किया।

पूर्व मंत्री एवं विधायक डॉ नीलकंठ तिवारी ने कहा कि हमारी विशेषता हमारा अध्यात्म है जो कि सनातन धर्म संस्कृति से युक्त है। हमारे पर्व जीवन दर्शन के सूत्र को परिभाषित करते हैं जैसे रक्षा बंधन का पवित्र त्योहार है। इसमें भाई- बहन का आत्मीय भाव के साथ रक्षा बंधन का अनुकरणीय पर्व है यह सनातन धर्म संस्कृति और अध्यात्म में ही निहित है।दूसरे की सेवा का भाव ही हमारी विशेषता है इसी के बल पर विकसित भारत की कल्पना को साकार करेंगे।

 अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के पूर्व कुलपति एवं तुलनात्मक धर्म दर्शन के विभागाध्यक्ष प्रो रजनीश कुमार शुक्ल ने बतौर विशिष्ट अतिथि कहा कि 2047 का केवल विकास का भारत नहीं संतुष्टि का भारत होगा।

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा ने  अध्यक्षता करते हुए कहा कि आज जब दुनिया बुढ़ी हो रही है तब भारत जवान हो रहा है। जिस देश के पास जवानी हो और जवानी देश भक्ति के लिए कुर्बान रहती हो,वो देश विकसित अवश्य होगा।यह देश युवा शक्ति के आधार पर ही विकसित भारत के सपने साकार करेगा।युवा शक्ति कौशल विकास के द्वारा सुदृढ़ होकर आत्मनिर्भरत होंगे तभी हम सपने के बुनियाद को मजबूत कर सकेंगे।यह देश अद्भुत और विकासशील है इसे कैसे विकसित किया जा सकता है तथा इसके आयाम, आदर्श  और आधार क्या हो सकते हैं? इस विषय पर विचार करते हुए कार्य रूप में परिणित करने की जरूरत है।

कुलपति प्रो शर्मा ने कहा कि विकास के दो माॅडल हुए एक भारतीय मॉडल तथा दूसरा पाश्चात्य मॉडल है, पहले ने इंसानियत को महत्व दिया दूसरे ने मशीन को महत्व दिया आज जिनके हाथ में मशीनगन है लेकिन भारत ने हमेशा मनुष्यता की अवधारणा से कार्य किया। इसी के बल पर हम विकसित भारत की परिकल्पना को साकार करेंगे।

 कुलसचिव श्री राकेश कुमार ने कहा कि आज भारतीयता का भाव हमारे अध्यात्म से युक्त होकर आगे बढ़ रहा है।

विकसित भारत @2047 के संयोजक प्रो रामपूजन पाण्डेय ने स्वागत किया। कार्यक्रम के सह संयोजक प्रो अमित कुमार शुक्ल ने संचालन किया। विकसित भारत @2047 के थीम पर आधारित विषय पर हुए निबंध प्रतियोगिता में विजेताओं को प्रमाणपत्र देकर पुरस्कृत किया गया।

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वैदिक, पौराणिक मंगलाचरण.मंचस्थ अतिथियों के द्वारा दीप प्रज्वलन एवं माँ सरस्वती के प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। मंच पर आसीन अतिथियों का माला, अंगवस्त्रम के साथ स्वागत और अभिनंदन किया गया। प्रो रामकिशोर त्रिपाठी,प्रो रामपूजन पाण्डेय, प्रो हरिशंकर पाण्डेय, प्रो रमेश प्रसाद, प्रो हरिप्रसाद अधिकारी, प्रो जितेन्द्र कुमार सिंह,प्रो अमित कुमार शुक्ल, प्रो हीरक कांत, प्रो विजय कुमार पाण्डेय,प्रो दिनेश कुमार गर्ग,प्रो विधु द्विवेदी, डॉ रविशंकर पाण्डेय, डॉ मधुसूदन मिश्र आदि उपस्थित थे।

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