सूर्य की भांति काशी ही नहीं साथ-साथ सम्पूर्ण भारत देश को प्रकाशित किया- कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा

-विश्वविद्यालय के संस्थापक डॉ  सम्पूर्णानंद जी की 133 वें जयंती महोत्सव-

साहित्यप्रेमी, राजनेता,पत्रकार, लेखक,अध्यापक एवं समाजसेवी डॉ सम्पूर्णानंद का जन्म काशी के एक विद्वान श्री विजयानंद के घर में 01 जनवरी 1891 को हुआ था। प्रारम्भिक शिक्षा घर पर होने के बाद उन्हें काशी के विख्यात हरिश्चंद्र स्कूल और फिर क्विंस कालेज में अध्ययन किये।फिर वृंदावन में एक महाविद्यालय में अध्यापक बन गये।वे सूर्य की भांति काशी के साथ साथ सम्पूर्ण देश में अपने प्रकाश से प्रकाशित किए।

उक्त विचार सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी के कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा ने विश्वविद्यालय के संस्थापक पूर्व मुख्यमंत्री डॉ  सम्पूर्णानंद जयंती समारोह में बतौर अध्यक्षीय उद्बोधन में व्यक्त किया। कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा ने कहा कि अध्यापन के साथ ही स्वाध्याय पर भी ध्यान था। आप बहुआयामी व्यक्तित्व तथा साहित्य, कला, संस्कृति के क्षेत्र में समान अधिकार रखते हुये कुशल लेखक, राजनेता, एवं उत्कृष्ट वक्ता थे।आपके मौलिक लेखन से सभी प्रेरित होते हैं।आपके प्रयास से स्वस्थ मंच के रूप में इस संस्था का उदय हुआ जहां पर प्राच्यविद्या का संरक्षण- संवर्धन होता है आज इसी प्रारूप से संस्कृत के कई विश्वविद्यालयों का निर्माण किया गया है।डॉ  संपूर्णानंद जी  बहुत स्पष्टवादी थे जिसका उनके जीवन में पीड़ा भी सहना प़डा।

कुलपति प्रो शर्मा ने कहा कि आज उनके जयंती समारोह में उनके व्यक्तित्व- कृतित्व से हम संकल्प लें कि उनके विचारों के अनुरूप अपने जीवन को ढालकर लें चलें। आज के इस जयंती समारोह को संकल्प दिवस के रूप मनाया जाए।

जयंती के प्रारम्भ में कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा एवं विश्वविद्यालय परिवार के साथ परिसर में स्थापित डॉ  संपूर्णानंद जी के प्रतिमा पर माल्यार्पण कर याद किया गया। मंगलाचरण, दीप प्रज्वलन तथा माँ सरस्वती एवं डॉ सम्पूर्णानंद जी के चित्र पर माल्यार्पण किया गया।

प्रो रामपूजन पाण्डेय ने उनके  व्यक्तित्व परिचय देते हुए कहा कि  उन्होंने वेदांत, सामाजिक चेतना,समाजवाद सहित अनेकों क्षेत्रों  को लेकर तथा संस्कृत में भी पुस्तक एवं श्लोक लिखी गयी।इसके साथ ही बंगला, अंग्रेजी आदि भाषाओं में  उनके लेखन हैं। प्रो रजनीश कुमार शुक्ल, प्रो हरिप्रसाद अधिकारी, प्रो जितेन्द्र कुमार, प्रो विजय कुमार पाण्डेय, रमेश प्रसाद, प्रो महेंद्र पाण्डेय, प्रो विधु द्विवेदी, प्रो राजनाथ, डॉ विजय कुमार शर्मा।

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