प्रधानमंत्री ने सशक्त नारी – विकसित भारत कार्यक्रम में हिस्सा लिया

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज सशक्त नारी – विकसित भारत कार्यक्रम में भाग लिया और भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा, नई दिल्ली में नमो ड्रोन दीदियों के कृषि ड्रोन प्रदर्शन के साक्षी भी बने। देशभर में 10 अलग-अलग स्थानों से नमो ड्रोन दीदियों ने भी एक साथ ड्रोन प्रदर्शन में भाग लिया। प्रधानमंत्री ने इस कार्यक्रम के दौरान 1,000 नमो ड्रोन दीदियों को ड्रोन भी सौंपे। प्रधानमंत्री ने प्रत्येक जिले में बैंकों के स्थापित बैंक लिंकेज शिविरों के माध्यम से रियायती ब्याज दर पर स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को लगभग 8,000 करोड़ रुपये के बैंक ऋण भी वितरित किए। प्रधानमंत्री ने स्वयं सहायता समूहों को लगभग 2,000 करोड़ रुपये की पूंजीगत सहायता निधि भी वितरित की। प्रधानमंत्री ने लाभार्थियों से बातचीत भी की।

इस अवसर पर अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने आज के अवसर को ऐतिहासिक बताया क्योंकि ड्रोन दीदियां और लखपति दीदियां सफलता के नए अध्याय लिख रही हैं। पीएम ने कहा कि ऐसी सफल महिला उद्यमियों के साथ बातचीत करना उन्हें देश के भविष्य को लेकर आश्वस्त करता है। उन्होंने नारी शक्ति के दृढ़ संकल्प और दृढ़ता की सराहना की। पीएम ने कहा कि इससे उन्हें 3 करोड़ लखपति दीदी बनाने की यात्रा शुरू करने का आत्मविश्वास मिला।

प्रधानमंत्री ने कहा कि कोई भी समाज अवसर पैदा करके और नारी शक्ति की गरिमा सुनिश्चित करके ही प्रगति कर सकता है। उन्होंने कहा कि थोड़ी सी मदद से ही नारी शक्ति को आगे और मदद की जरूरत नहीं पड़ती है और वो दूसरों के लिए भी सहारा बन जाती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि वह पहले प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने लाल किले की प्राचीर से महिलाओं के लिए शौचालय, सैनिटरी पैड, अस्वास्थ्यकर धुएं वाली रसोई, महिलाओं को दैनिक असुविधा से बचाने के लिए नल का जल, हर व्यक्ति के लिए जन धन खाता, महिलाओं के लिए अपमानजनक भाषा के खिलाफ और बेटों को नारी शक्ति के प्रति उचित व्यवहार के बारे में शिक्षित करने की जरूरत जैसे महिला सशक्तिकरण के मुद्दों पर बात की।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मोदी की संवेदनाएं और मोदी की योजनाएं रोजमर्रा की जिंदगी के अनुभवों से उभरी हैं। उन्होंने कहा कि जीवन की वास्तविकताओं को जीने के अनुभव ने इन संवेदनाओं और योजनाओं की जानकारी दी है। इसीलिए, ये योजनाएं देश की माताओं और बेटियों के लिए जीवन में सुगमता लाती हैं।

प्रधानमंत्री ने उन योजनाओं के बारे में बात की जो नारी शक्ति से संबंधित मुद्दों को उनके जीवन के हर चरण में सुलझाने के लिए लाई जा रही हैं। भ्रूण हत्या को रोकने के लिए बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, गर्भवती माताओं के पोषण के लिए 6000 रुपये, बालिकाओं की शिक्षा अवधि के दौरान संसाधन सुनिश्चित करने के लिए सुकन्या समृद्धि, उद्यम क्षेत्र में लाभकारी तरीके से जमने में मदद करने के लिए मुद्रा योजना, मातृत्व अवकाश की अवधि को बढ़ाना, मुफ्त चिकित्सा उपचार, किफायती दवाइयां और पीएम आवास के मकानों को महिलाओं के नाम पर पंजीकृत कर उनका स्वामित्व बढ़ाने से पुरानी मानसिकता में बदलाव आया है। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि कृषि में ड्रोन प्रौद्योगिकी के परिवर्तनकारी प्रभाव का नेतृत्व देश की महिलाएं कर रही हैं। किसी ड्रोन दीदी संग अपनी बातचीत को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने ड्रोन दीदी की आय, कौशल और मान्यता के माध्यम से सशक्तिकरण की भावना के बारे में विस्तार से बताया। प्रधानमंत्री ने सभी क्षेत्रों में महिलाओं की प्रगति का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि नारी शक्ति देश में प्रौद्योगिकी क्रांति का नेतृत्व करेगी। प्रधानमंत्री ने दूध और सब्जी उत्पादों को बाजार तक पहुंचाने, दवा वितरण आदि क्षेत्रों में ड्रोन प्रौद्योगिकी के विस्तार पर विस्तृत चर्चा की, जिससे ड्रोन दीदियों के लिए नए रास्ते खुलेंगे।

प्रधानमंत्री ने बताया कि पिछले दशक में भारत में स्वयं सहायता समूहों का विस्तार उल्लेखनीय रहा है। इन समूहों ने देश में महिला सशक्तिकरण की कहानी को फिर से लिखा है। स्वयं सहायता समूहों में महिलाओं की निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार करते हुए प्रधानमंत्री ने उनका आभार व्यक्त किया और कहा, “मैं आज स्वयं सहायता समूहों की प्रत्येक बहन को हार्दिक बधाई देता हूं। उनकी कड़ी मेहनत ने राष्ट्र निर्माण में इन समूहों को अग्रणी बना दिया है।” प्रधानमंत्री मोदी ने स्वयं सहायता समूहों में महिलाओं की भागीदारी की प्रभावशाली वृद्धि पर जोर देते हुए कहा कि स्वयं सहायता समूहों में महिलाओं की संख्या 10 करोड़ से अधिक हो गई है। स्वयं सहायता समूहों को मदद देने के सरकारी प्रयासों पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पिछले दस वर्षों में, हमारी सरकार ने न केवल स्वयं सहायता समूहों का विस्तार किया है, बल्कि इनमें से 98% समूहों को बैंक खाते खोलने की सुविधा भी प्रदान की है। उन्होंने बताया कि ऐसे समूहों को सहायता बढ़ाकर 20 लाख रुपये कर दी गई है और ऐसे समूहों के खातों में 8 लाख करोड़ रुपये से अधिक जमा किए गए हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि आधुनिक बुनियादी ढांचे पर जोर देने से इन स्वयं सहायता समूहों की आय तीन गुना बढ़ गई है।

प्रधानमंत्री मोदी ने आर्थिक सशक्तिकरण के अलावा, स्वयं सहायता समूहों के सामाजिक प्रभाव की प्रशंसा करते हुए कहा कि इन समूहों ने ग्रामीण बुनियादी ढांचे के विकास और ग्रामीण समुदायों के समग्र उत्थान में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने बैंक सखी, कृषि सखी, पशु सखी और मत्स्य सखी की भूमिका और सेवाओं की सराहना की। पीएम ने कहा कि ये दीदियां देश के स्वास्थ्य से लेकर डिजिटल इंडिया तक के राष्ट्रीय अभियानों को नई गति दे रही हैं। प्रधानमंत्री ने बताया कि ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान चलाने वालों में 50 प्रतिशत से अधिक महिलाएं हैं और 50 प्रतिशत से अधिक लाभार्थी भी महिलाएं हैं। सफलताओं की यह श्रृंखला नारी शक्ति में मेरे विश्वास को और मजबूत करती है।

प्रधानमंत्री ने स्वयं सहायता समूहों से पीएम सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना के कार्यान्वयन में बढ़-चढ़कर शामिल होने को कहा। उन्होंने कहा कि जहां भी स्वयं सहायता समूह के सदस्य पहल करेंगे, उन्हें योजना में प्राथमिकता दी जायेगी।

इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री श्री अर्जुन मुंडा, डॉ मनसुख मंडाविया और श्री गिरिराज सिंह उपस्थित थे।

नमो ड्रोन दीदी और लखपति दीदी पहल, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के बीच आर्थिक सशक्तिकरण और वित्तीय स्वायत्तता को बढ़ावा देने की प्रधानमंत्री की सोच का अभिन्न अंग हैं। इस सोच को आगे बढ़ाने के लिए, प्रधानमंत्री लखपति दीदियों को सम्मानित करेंगे, जिन्होंने दीनदयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की मदद से सफलता हासिल की है और अन्य स्वयं सहायता समूह के सदस्यों को उनके उत्थान के लिए प्रेरित कर रहे हैं।

सशक्त नारी-विकसित भारत कार्यक्रम में प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान गिरिराज सिंह जी, श्री अर्जुन मुंडा जी, श्री मनसुख मांडविया जी, और देश के अलग-अलग हिस्सों से आई हुई, विशाल संख्या में यहां पधारीं हुई और आपके साथ-साथ वीडियो के माध्यम से भी देशभर में लाखों दीदी आज हमारे साथ जुड़ी हुई हैं। मैं आप सबका स्वागत करता हूं, अभिनदंन करता हूं। और इस सभागृह में तो मैं देख रहा हूं कि शायद ये लघु भारत है। हिन्दुस्तान की हर भाषा, हर कोने के लोग यहां नजर आ रहे हैं। तो आप सबको बहुत-बहुत बधाई।

आज का ये कार्यक्रम महिला सशक्तिकरण के लिहाज से बहुत ऐतिहासिक है। आज मुझे नमो ड्रोन दीदी अभियान के तहत, 1000 आधुनिक ड्रोन, महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों को सौंपने का अवसर मिला है। देश में जो 1 करोड़ से ज्यादा बहनें, पिछले दिनों अलग-अलग योजनाओं और लाख प्रयासों के कारण, 1 करोड़ बहनें लखपति दीदी बन चुकी हैं। ये आंकड़ा छोटा नहीं है। और अभी जब मैं बात कर रहा था तो वो किशोरी बहन मुझे कह रही थी, वो तो हर महीने 60-70 हजार, 80 हजार तक पहुंच जाती है, बोले कमाने में। अब देश के नौजवानों को भी प्ररेणा दे सकते हैं, गांव में एक बहन अपने उद्दयन से हर महीने 60 हजार, 70 हजार रूपया कमाती है। उनका आत्मविश्वास देखिए, हां किशोरी वहां बैठी है, हाथ ऊपर कर रही है। और जब मैं ये सुनता हूं, देखता हूं तो मेरा विश्वास बहुत बढ़ जाता है। आपको आश्चर्य होगा कभी-कभी आप जैसे लोगों से छोटी-मोटी बाते सुनने को मिलती है ना, तो मुझे विश्वास बढ़ जाता…हां यार हम सही देशा में हैं, देश का जरूर कुछ भला होगा। क्योंकि हम योजना तो बनाए, लेकिन इस योजना को पकड़कर के आप जो लग जाते हैं ना…और आप परिणाम दिखाते हैं। और उस परिणाम के कारण सरकारी बाबुओं को भी लगता है…हां यार कुछ अच्छा हो रहा है, तो काम तेजी से बढ़ता है। और इसी के कारण जब मैंने फैसला लिया कि मुझे अब 3 करोड़ लखपति दीदी के आंकड़ों को पार करना है। और इस ही उद्देश्य से आज 10 हजार करोड़ रुपए की राशि भी, इन दीदियों के खाते में ट्रांसफर की गई है। और मैं आप सभी बहनों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

माताओं-बहनों,

कोई भी देश हो, कोई भी समाज हो, वो नारीशक्ति की गरिमा बढ़ाते हुए, उनके लिए नए अवसर बनाते हुए ही आगे बढ़ सकता है। लेकिन दुर्भाग्य से देश में पहले जो सरकारें रहीं, उनके लिए आप सभी महिलाओं का जीवन, आपकी मुश्किलें, कभी प्राथमिकताएं नहीं रहीं, और आपको, आपके नसीब पर छोड़ दिया। मेरा अनुभव ये है कि अगर हमारी माताओं-बहनों को थोड़ा अगर अवसर मिल जाए, थोड़ा उनको सहारा मिल जाए तो फिर उनको सहारे की जरूरत नहीं रहती है, वे खुद लोगों का सहारा बन जाती है। औऱ ये मैंने तब ज्यादा महसूस किया, जब लाल किले से मैंने महिला सशक्तिकरण के बारे में बात करनी शुरू की। मैं पहला प्रधानमंत्री हूं जिसने लाल किले से हमारी माताओं-बहनों को शौचालय ना होने के विषय में जो मुश्किलें होती हैं, उस पीड़ा को मैंने व्यक्त किया था कि कैसे गांव की बहनें, कैसे जिंदगी जीती हैं।

मैं पहला प्रधानमंत्री हूं जिसने लाल किले से सैनीटरी पैड्स का विषय उठाया था। मैं पहला प्रधानमंत्री हूं जिसने लाल किले से कहा कि रसोई में लकड़ी पर खाना बनाती हमारी माताएं-बहनें 400 सिगरेट का जितना धुआं होता है ना…वो हर रोज बर्दाश्त करती हैं, अपने शरीर में ले जाती हैं। मैं पहला प्रधानमंत्री हूं जिसने घर में नल से जल ना आने पर आप सभी महिलाओं को होने वाली परेशानी का जिक्र किया, इसके लिए जल जीवन मिशन का ऐलान किया। मैं पहला प्रधानमंत्री हूं जिसने लाल किले से हर महिला के पास बैंक खाते होने की जरूरत पर बात कही। मैं पहला प्रधानमंत्री हूं जिसने लाल किले से आप महिलाओं के खिलाफ बोले जाने वाले अपमानजनक शब्दों का विषय उठाया।

मैं पहला प्रधानमंत्री हूं जिसने कहा कि बेटी तो अगर देर से घर आती है शाम को तो मां, बाप, भाई सब पूछते हैं कि कहा गई थी, क्यों देर हो गई। लेकिन ये दुर्भाग्य है कि कोई मां-बाप अपना बेटा देर से आता है तो पूछता नहीं कि बेटा कहा गया था, क्यों? बेटे को भी तो पूछो। और ये बात मैंने लाल किले से उठाई थी। और मैं आज देश की हर महिला, हर बहन, हर बेटी को ये बताना चाहता हूं। जब-जब मैंने लाल किले से आपके सशक्तिकरण की बात की, दुर्भाग्य से कांग्रेस जैसे देश के राजनीतिक दल, उन्होंने मेरा मजाक उड़ाया, मेरा अपमान किया।

साथियों,

मोदी की संवेदनाएं और मोदी की योजनाएं, ये जमीन से जुड़े जीवन के अनुभवों से निकली हैं। बचपन में जो अपने घर में देखा, अपने आस-पास, पड़ोस में देखा, फिर देश के गांव-गांव में अनेक परिवारों के साथ रहकर के अनुभव किया, वही आज मोदी की संवेदनाओं और योजनाओं में झलकता है। इसलिए ये योजनाएं मेरी माताओं-बहनों-बेटियों के जीवन को आसान बनाती हैं, उनकी मुश्किलें कम करती हैं। सिर्फ अपने परिवार के लिए सोचने वाले, परिवारवादी नेताओं को ये बात कतई समझ नहीं आ सकती है। देश की करोड़ों को मुश्किलों से, माताओं-बहनों को मुक्ति दिलाने की सोच, ये हमारी सरकार की अनेक योजनाओं का आधार रही है।

मेरी माताओं-बहनों,

पहले की सरकारों ने एक दो योजनाएं शुरू करने को ही महिला सशक्तिकरण का नाम दे दिया था। मोदी ने इस राजनीतिक सोच को ही बदल दिया। 2014 में सरकार में आने के बाद मैंने आप महिलाओं के जीवन चक्र के हर पड़ाव के लिए योजनाएं बनाईं, उन्हें सफलतापूर्वक लागू किया। आज पहली सांस से लेकर आखिरी सांस तक मोदी कोई ना कोई योजना लेकर के भारत की बहन-बेटियों की सेवा में हाजिर हो जाता है। गर्भ में बेटी की हत्या ना हो, इसके लिए हमने बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान शुरू किया। गर्भ की अवस्था में मां को सही पोषण मिले, इसके लिए हर गर्भवती को 6 हजार रुपए की आर्थिक मदद दी। जन्म के बाद बेटी को पढ़ाई में मुश्किल ना हो, इसके लिए ज्यादा से ज्यादा, ज्यादा ब्याज देने वाली सुकन्या समृद्धि योजना शुरू की। बड़ी होकर बेटी काम करना चाहे तो आज उसके पास मुद्रा योजना का इतना बड़ा साधन है। बेटी के करियर पर प्रभाव ना पड़े, इसके लिए हमने प्रेगनेंसी लीव को भी बढ़ाकर 26 हफ्ते कर दिया। 5 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज देने वाली आयुष्मान योजना हो, 80 परसेंट डिस्काउंट पर सस्ती दवा देने वाले जन औषधि केंद्र हों, इन सबका सबसे ज्यादा लाभ आप माताओं-बहनों-बेटियों को ही तो हो रहा है।

माताओं-बहनों,

मोदी समस्याओं को टालता नहीं, उनसे टकराता है, उनके स्थाई समाधान के लिए काम करता है। मैं जानता हूं कि भारत में महिलाओं को सशक्त करने के लिए हमें उनकी आर्थिक भागीदारी बढ़ानी होगी। इसलिए हमने अपनी सरकार के हर निर्णय में, हर योजना में इस पहलू का ध्यान रखा। मैं आप माताओं-बहनों को एक उदाहरण देता हूं। आप भी जानती हैं कि हमारे यहां, संपत्ति होती थी तो पुरुष के नाम पर होती थी। कोई जमीन खरीदता था…तो पुरुष के नाम पर..कोई दुकान खरीदी जाती थी…तो पुरुष के नाम पर…घर की महिला के नाम पर कुछ भी नहीं होता था? इसलिए हमने पीएम आवास के तहत मिलने वाले घर महिलाओं के नाम रजिस्टर किए। आपने तो खुद देखा है कि पहले नई गाड़ी आती थी, ट्रैक्टर आता था, तो ज्यादातर पुरुष ही चलाते थे। लोग सोचते थे कि कोई बिटिया इसे कैसे चला पाएगी? घर में कोई नया उपकरण आता था, नया टीवी आता था, नया फोन आता था, तो पुरुष ही खुद को उसके स्वाभाविक जानकार मानते थे। उन परिस्थितियों से, उस पुरानी सोच से अब हमारा समाज आगे निकल रहा है। और आज का ये कार्यक्रम इसका एक और उदाहरण बना है कि भारत की कृषि को नई दिशा देने वाली ड्रोन टेक्नोलॉजी की पहली पायलट ये मेरी बेटियां हैं, ये मेरी बहनें हैं।

हमारी बहनें देश को सिखाएंगी कि ड्रोन से आधुनिक खेती कैसे होती है। ड्रोन पायलट, नमो ड्रोन दीदियों का कौशल अभी मैं मैदान में जाकर के देखके आया हूं। मेरा विश्वास है और मैं कुछ दिन पहले ‘मन की बात’ में ऐसे ही एक ड्रोन दीदी से बात करने का मौका मिला था। उसने कहा मैं एक दिन में इतने खेत में काम करती हूं, एक दिन में इतने खेत में, मेरी इतनी कमाई होती है। और बोले मेरा इतना विश्वास बढ़ गया है और गांव में मेरा इतना सम्मान बढ़ गया है, गांव में अब मेरी पहचान बदल गई है। जिसको साइकिल चलाना भी नहीं आता है, उसको गांव वाले पायलट कहकर के बुलाते हैं। मेरा विश्वास है देश की नारीशक्ति, 21वीं सदी के भारत की तकनीकी क्रांति का नेतृत्व दे सकती है। आज हम स्पेस सेक्टर में देखते हैं, IT सेक्टर में देखते हैं, विज्ञान के क्षेत्र में देखते हैं, कैसे भारत की महिलाएं अपना परचम लहरा रही हैं। और भारत तो महिला कमर्शियल पायलट्स के मामले में दुनिया का नंबर वन देश है। हवाई जहाज उड़ाने वाली बेटियों की संख्या हमारी सबसे ज्यादा है। आसमान में कमर्शियल फ्लाइट हो या खेती किसानी में ड्रोन्स, भारत की बेटियां कहीं भी किसी से भी पीछे नहीं हैं। और इस बार तो 26 जनवरी आपने देखा होगा TV पे, 26 जनवरी के कार्यक्रम में कर्तव्य पथ पर सारा हिन्दुस्तान देख रहा था, नारी-नारी-नारी-नारी की ही ताकत का जलवा था वहां पर। 

साथियों,

आने वाले सालों में देश में ड्रोन टेक्नोलॉजी का बहुत विस्तार होने वाला है। छोटी-छोटी मात्रा में दूध-सब्ज़ी और दूसरे उत्पाद अगर नज़दीक के मार्केट तक पहुंचाना हैं, तो ड्रोन एक सशक्त माध्यम बनने वाला है। दवाई की डिलिवरी हो, मेडिकल टेस्ट के सैंपल की डिलिवरी हो, इसमें भी ड्रोन बहुत बड़ी भूमिका निभाते हैं। यानि नमो ड्रोन दीदी योजना से जो बहनें ड्रोन पायलट बन रही हैं, उनके लिए भविष्य में अनगिनत संभावनाओं के द्वार खुलने जा रहे हैं।

माताओं-बहनों,

बीते 10 वर्षों में जिस तरह भारत में महिला स्वयं सहायता समूहों का विस्तार हुआ है, वो अपने आप में एक अध्ययन का विषय है। इन महिला स्वयं सहायता समूहों ने भारत में नारी सशक्तिकरण का नया इतिहास रच दिया है। आज इस कार्यक्रम से मैं स्वयं सहायता समूह की हर बहनों को उनका मैं गौरवगान करता हूं, उनको शुभकामनाएं देता हूं। उनकी मेहनत ने महिला स्वयं सहायता समूहों को राष्ट्र निर्माण का प्रमुख समूह बना दिया है। आज स्वयं सहायता समूहों में महिलाओं की संख्या 10 करोड़ को पार कर गई है। बीते 10 वर्षों में हमारी सरकार ने सेल्फ हेल्प ग्रुप्स का विस्तार ही नहीं किया, बल्कि 98 प्रतिशत समूहों के बैंक अकाउंट भी खुलवाए हैं, यानि करीब-करीब 100 परसेंट। हमारी सरकार ने समूहों को मिलने वाली मदद भी 20 लाख रुपए तक बढ़ा दी है। अभी तक 8 लाख करोड़ से, अब आंकड़ा छोटा नहीं है। आप लोगों के हाथ में 8 लाख करोड़ रूपये से भी अधिक की मदद बैंकों से मेरी इन बहनों के पास पहुंच चुकी है। इतना पैसा, सीधा-सीधा गांव में पहुंचा है, बहनों के पास पहुंचा है। और बहनों का स्वभाव होता है, सबसे बड़ा गुण होता है ‘बचत’ वो बर्बाद नहीं करती वो बचत करती है। और जो बचत की ताकत होती है ना…वो उज्जवल भविष्य की निशानी भी होती है। और मैं जब भी इन दीदियों से बात करता हूं तो ऐसी-ऐसी, नई-नई चीजें बताती है वो, उनका आत्मविश्वास बताता है। यानि, सामान्य मानवी कल्पना नहीं कर सकता है। और जो इतने बड़े स्तर पर गांव में आजकल जो सड़कें बनी हैं, हाईवे बने हैं, इसका लाभ भी इन समूहों को हुआ है। अब लखपति दीदियां, अपने उत्पादों को शहर में जाकर आसानी से बेच पा रही हैं। बेहतर कनेक्टिविटी की वजह से शहर के लोग भी अब गांवों में जाकर इन समूहों से सीधी खरीद करने लगे हैं। ऐसे ही कारणों से बीते 5 वर्षों में सेल्फ हेल्प ग्रुप्स के सदस्यों की आय में 3 गुना की वृद्धि हुई है।

साथियों,

जिन बहनों को, उनके सपनों को, आकांक्षाओं को सीमित कर दिया गया था, आज वे राष्ट्रनिर्माण में अपनी भूमिका का विस्तार कर रही हैं। आज गांव-देहात में नए-नए अवसर बन रहे हैं, नए-नए पद बने हैं। आज लाखों की संख्या में बैंक सखी, कृषि सखी, पशु सखी, मत्स्य सखी और सर्विस सेक्टर से जुड़ी दीदियां, गांवों में सेवाएं दे रही हैं। ये दीदियां, स्वास्थ्य से लेकर डिजिटल इंडिया तक, देश के राष्ट्रीय अभियानों को नई गति दे रही हैं। प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान को चलाने वाली 50 प्रतिशत से अधिक महिलाएं और 50 प्रतिशत से अधिक लाभार्थी भी महिलाएं हैं। सफलताओं की ये श्रंखला ही नारीशक्ति पर मेरे भरोसे को और ज्यादा मजबूत करती है। मैं देश की हर माता-बहन-बेटी को ये विश्वास दिलाता हूं कि हमारा तीसरा कार्यकाल नारीशक्ति के उत्कर्ष का नया अध्याय लिखेगा।

और मैं देखता हूं कि कई बहनें शायद स्वयं सहायता समूह की अपनी मिले, बैठे का छोटा सा आर्थिक कारोबार ऐसा नहीं, कुछ लोग तो मैंने देखा है गांव में बहुत सी चीजें कर रही हैं। खेलकूद स्पर्धाएं कर रही है, स्वयं सहायता समूह बहनों को प्रोत्साहित कर रही हैं। जो बच्चियां पढ़ती हैं, उनको बुलाकर के, लोगों को बुलाकर के उनसे बातचीत करवाती है। खेलकूद में जो बच्चियां गांव में अच्छा काम कर रही हैं, स्वयं सहायता समूह की बहनें उनका स्वागत-सम्मान करती हैं। यानि, मैंने देखा है कि कुछ स्कूलों में इन स्वयं सहायता समूह की बहनों को भाषण के लिए बुलाते हैं, उनको कहते हैं आपका सफलता का कारण बताइए। और स्कूल वाले भी बड़े आतुरतापूर्वक सुनते है बच्चे, टीचर सुनते हैं। यानि एक प्रकार से बहुत बड़ा Revolution आया है। और मैं स्वयं सहायता समूह की दीदी से कहूंगा, मैं अभी एक योजना लाया हूं जैसे ड्रोन दीदी है ना, वो तो मैंने आप ही के चरणों में रख दी है, और मुझे विश्वास है, जिन माताओं-बहनों के चरणों में मैंने ड्रोन रखा है ना, वो माताएं-बहनें ड्रोन को आसमान में तो ले जाएगी, देश के संकल्प को भी इतना ही ऊंचा ले जाएगी।

लेकिन एक योजना ऐसी है जिसमें हमारी स्वयं सहायता समूह की बहनें आगे आए। मैंने एक योजना बनाई है ‘पीएम सूर्यघर’ ये ‘पीएम सूर्यघर’ की विशेषता ये है, एक प्रकार से मुफ्त बिजली की ये योजना है। बिजली का बिल जीरो। अब आप ये काम कर सकते हैं कि नहीं कर सकते? कर सकते हैं कि नहीं कर सकते? सब बताए तो मैं बोलू…कर सकते हैं…पक्का कर सकते हैं। हमने तय किया है कि हर जो परिवार में छत होती है उस पर ‘सोलर पैनल’ लगाना, सूर्य किरण से बिजली पैदा करना, और उस बिजली का घर में उपयोग करना। 300 यूनिट से ज्यादा बिजली का उपयोग करने वाले परिवार बहुत कम होते हैं। पंखा हो, एयर कंडीशन हो, घर में फ्रिज हो, वाशिंग मशीन हो तो 300 यूनिट में गाड़ी चल जाती है। मतलब आपका जीरो बिल आएगा, जीरो बिल। इतना ही नहीं, अगर आपने ज्यादा बिजली पैदा की, आप कहेंगे बिजली पैदा तो बड़े-बड़े कारखाने में बिजली पैदा होती है, बड़े-बड़े अमीर लोग बिजली पैदा कर सकते हैं, हम गरीब क्या कर सकते हैं। यही तो मोदी करता है, अब गरीब भी बिजली पैदा करेगा, अपने घर पर ही बिजली का कारखाना लग जाएगा। और अतिरिक्त जो बिजली बनेगी, वो बिजली सरकार खरीद लेगी। उससे भी हमारी इन बहनों को, परिवार को इनकम होगी।

तो आप ये पीएम सूर्यघर, उसको आप अगर, आपके यहां कॉमन सभी सेंटर में जाएंगे तो वहां पर अप्लाई कर सकते हैं। मैं सब बहनों को कहूंगा स्वयं सहायता समूह की बहनों को कहूंगा कि आप मैदान में आइए और इस योजना को घर-घर पहुंचाइए। आप इसका कारोबार हाथ में ले लीजिए। आप देखिए कितना बड़ा बिजली का काम अब मेरी बहनों के द्वारा हो सकता है और मुझे पूरा विश्वास है, हर घर में जब जीरो यूनिट बिजली का बिल हो जाएगा ना…पूरा जीरो बिल तो वो आपको आशीर्वाद देंगे कि नहीं देंगे। और उनका जो पैसा बचेगा वो अपने परिवार के काम आएगा कि नहीं आएगा। तो ये योजना का सबसे ज्यादा लाभ हमारी स्वयं सहायता समूह की जो बहनें हैं उसका नेतृत्व करके अपने गांव में करवा सकती हैं। और मैंने सरकार को भी कहा है कि जहां-जहां स्वयं सहायता समूह की बहनें इस काम के लिए आगे आती हैं, हम उनको प्राथमिकता देंगे और जीरो बिल बिजली का इस अभियान को भी सफलतापूर्वक मुझे आगे बढ़ाना है। मैं फिर एक बार आपको                             

बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।

बहुत-बहुत धन्यवाद।

हरियाणा के गुरुग्राम में राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं के उद्घाटन/शिलान्यास के अवसर पर प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ

भारत माता की जय।

भारत माता की जय।

भारत माता की जय। 

हरियाणा के गवर्नर बंडारू दत्तात्रेय जी, यहां के कर्मठ मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल जी, केंद्र में मेरे वरिष्ठ साथी श्री नितिन गडकरी जी, राव इंद्रजीत सिंह, कृष्ण पाल गुर्जर जी, हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत जी, बीजेपी के प्रदेश के अध्यक्ष और पार्लियामेंट में मेरे साथी नायब सिंह सैनी जी, अन्य सभी महानुभाव, और विशाल संख्या में पधारे हुए मेरे प्यारे भाइयों और बहनों! 

मैं अभी मेरे सामने स्क्रीन पर देख रहा था, आधुनिक टेक्नोलॉजी कनेक्टिविटी के द्वारा देश के कोने-कोने में लाखों लोग हमारे इस कार्यक्रम से जुड़े हैं। एक जमाना था दिल्ली से विज्ञान भवन से कार्यक्रम होता था, देश जुड़ता था। वक्त बदल चुका है, गुरूग्राम में कार्यक्रम होता है, देश जुड़ जाता है। ये सामर्थ्य हरियाणा दिखा रहा है। देश ने आज आधुनिक कनेक्टिविटी की तरफ एक और बड़ा अहम कदम उठाया है। मुझे खुशी है कि आज मुझे, द्वारका एक्सप्रेसवे को देश को समर्पित करने का अवसर मिला है। इस एक्सप्रेसवे पर 9 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किए गए हैं। आज से, दिल्ली-हरियाणा के बीच यातायात का अनुभव हमेशा के लिए बदल जाएगा। ये आधुनिक एक्सप्रेसवे केवल गाड़ियों में ही नहीं, बल्कि दिल्ली-एनसीआर के लोगों की जिंदगी में भी गियर शिफ्ट करने का काम करेगा। मैं दिल्ली-NCR और हरियाणा की जनता को इस आधुनिक एक्सप्रेसवे के लिए अनेक-अनेक शुभकामनाएँ देता हूँ। 

साथियों, 

पहले की सरकारें छोटी सी कोई योजना बनाकर, छोटा सा कार्यक्रम करके उसकी डुगडुगी पांच साल तक पीटते रहते थे। वहीं भाजपा सरकार जिस रफ्तार से काम कर रही है, उसमें शिलान्यास-लोकार्पण के लिए समय कम पड़ रहा है, दिन कम पड़ रहे हैं जी। साल 2024 में ही, यहां के लोग तो ज्यादा समझदार हैं। आप सुनिए 2024 में ही, यानि अभी 2024 का तीन महीना भी पूरा नहीं हुआ है। इतने कम समय में अब तक 10 लाख करोड़ रुपए की परियोजनाओं का या तो शिलान्यास किया है, या तो लोकार्पण हो चुका है। और मैं ये जो कह रहा हूं ना, ये तो मैं सिर्फ उन प्रोजेक्ट्स की चर्चा कर रहा हूं जिनमें मैं खुद शामिल हुआ हूं। उसके सिवाय मेरे मंत्रियों ने, हमारे मुख्यमंत्रियों ने जो किया है वो अलग। और आप देखिए 5-5 साल में कभी आपने सुना नहीं होगा, देखा नहीं होगा 2014 के पहले का जमाना, जरा याद करिए। आज भी यहां एक दिन में देश भर के लिए 1 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की 100 से अधिक परियोजनाओं का या तो लोकार्पण हुआ है या शिलान्यास हुआ है। इनमें दक्षिण में कर्नाटका, केरला, आंध्र प्रदेश के विकास कार्य हैं, उत्तर में हरियाणा और यूपी के विकास कार्य हैं, पूरब में बिहार और बंगाल के प्रोजेक्ट्स हैं, और पश्चिम में महाराष्ट्र, पंजाब और राजस्थान के लिए हजारों करोड़ रुपयों के विकास परियोजनाएं हैं। आज जो लोकार्पण हुआ है उसमें राजस्थान में अमृतसर-भटिंडा-जामनगर कॉरिडोर की लंबाई 540 किलोमीटर तक बढ़ाई जाएगी। बेंगलुरु रिंग रोड के विकास से वहां ट्रैफिक की मुश्किलें काफी मात्रा में कम होगी। मैं पूरब से पश्चिम, उत्तर से दक्षिण, सभी राज्यों के करोड़ों-करोड़ों नागरिकों को इतनी सारी विकास की योजनाओं के लिए अनेक-अनेक बधाई देता हूँ। 

साथियों, 

समस्या और संभावना में केवल सोच का फर्क होता है। और समस्याओं को संभावनाओं में बदल देना, ये मोदी की गारंटी है। द्वारका एक्सप्रेसवे खुद इसका बहुत बड़ा उदाहरण है। आज जहां द्वारका एक्सप्रेसवे का निर्माण हुआ है, एक समय शाम ढलने के बाद लोग इधर आने से बचते थे। टैक्सी ड्राइवर भी मना कर देते थे कि इधर नहीं आना है। इस पूरे इलाके को असुरक्षित समझा जाता था। लेकिन, आज कई बड़ी कंपनियां यहां आकर अपने प्रोजेक्ट्स लगा रही हैं। ये इलाका एनसीआर के सबसे तेजी से विकसित हो रहे इलाकों में शामिल हो रहा है। ये एक्सप्रेसवे दिल्ली में इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे तक कनेक्टिविटी को बेहतर बनाएगा। इससे एनसीआर का integration बेहतर होगा, यहाँ Economic Activities को गति मिलेगी।

और साथियों, 

द्वारका एक्सप्रेसवे जब दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे से जुड़ेगा, तो एक नए अध्याय की शुरुआत होगी। पूरे पश्चिमी भारत में ये कॉरिडॉर, इंडस्ट्री और एक्सपोर्ट को एक नई एनर्जी देने का काम करेगा। इस एक्सप्रेसवे के निर्माण में हरियाणा सरकार और विशेषकर मुख्यमंत्री मनोहर लाल जी को, उनकी जो तत्परता रही है, मैं आज इसकी भी सराहना करूंगा। हरियाणा के विकास के लिए जिस तरह मनोहर लाल जी दिन-रात काम करते रहे हैं, उसने राज्य में आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर का एक बड़ा नेटवर्क तैयार कर दिया है। और मनोहर लाल जी और मैं बहुत पुराने साथी हैं, दरी पर सोने का जमाना था तब भी साथ काम करते थे। और मनोहर लाल जी के पास एक मोटर साइकिल रहती थी, तो वो मोटर साइकिल चलाते थे, मैं पीछे बैठता था। रोहतक से निकलता था और गुरूग्राम आकर के रूकता था। ये हमारा लगातार हरियाणा का भ्रमण मोटर साइकिल पर हुआ करता था। और मुझे याद है उस समय गुरूग्राम में मोटर साइकिल पर आते थे, रास्ते छोटे थे, इतनी दिक्कत होती थी। आज मुझे खुशी हो रही है कि हम भी साथ हैं और आपका भविष्य भी साथ है। विकसित हरियाणा-विकसित भारत के मूल मंत्र को हरियाणा की राज्य सरकार मनोहर जी के नेतृत्व में निरंतर सशक्त कर रही है। 

साथियों, 

21वीं सदी का भारत बड़े विजन का भारत है। ये बड़े लक्ष्यों का भारत है। आज का भारत प्रगति की रफ्तार से कोई समझौता नहीं कर सकता। और आप लोगों ने मुझे भली-भांति जाना भी है, पहचाना भी है, समझा भी है। आपने देखा होगा ना मैं छोटा सोच सकता हूं, ना मैं मामूली सपने देखता हूं, नहीं मैं मामूली संकल्प करता हूं। मुझे जो भी करना है विराट चाहिए, विशाल चाहिए, तेज गति से चाहिए। इसलिए कि मुझे 2047 में हिन्दुस्तान को विकसित भारत के रूप में देखना है दोस्तों। आपके बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए जी-जान से जुट़े रहना है जी।            

साथियों, 

इसी रफ्तार को बढ़ाने के लिए हमने दिल्ली-एनसीआर में होलिस्टिक विजन के साथ इंफ्रास्ट्रक्चर डवलपमेंट का काम शुरू किया। हमने बड़े प्रोजेक्ट्स को तय समयसीमा में पूरा करने का टारगेट रखा। ये द्वारका एक्सप्रेसवे हो, पेरिफेरल एक्सप्रेसवे का निर्माण हो…ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे हो…दिल्ली मेरठ एक्सप्रेसवे हो…ऐसे अनेक बड़े प्रोजेक्ट्स हमारी सरकार ने पूरे किए हैं। और कोविड के 2 साल के संकट के बीच देश को इतनी तेजी से हम आगे बढ़ा पाए हैं। दिल्ली-NCR में पिछले 10 वर्षों में 230 किलोमीटर से ज्यादा नई मेट्रो लाइनें शुरू हुई हैं। जेवर में इंटरनेशनल एयरपोर्ट के निर्माण का काम तेज गति से आगे बढ़ रहा है। ‘DND सोहना स्पर’ जैसी परियोजनाएं भी निर्माण के अंतिम चरण में हैं। इन परियोजनाओं से यातायात तो आसान होगा ही, साथ ही दिल्ली-एनसीआर की प्रदूषण की समस्या में भी कमी आएगी। 

साथियों, 

विकसित होते भारत में आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण और देश में कम होती गरीबी, दोनों आपस में जुड़े हुए हैं। जब एक्सप्रेसवे ग्रामीण इलाकों से होकर जाते हैं, जब गांवों को अच्छी सड़कों से जोड़ा जाता है, तो गांव में अनेक नए अवसर लोगों के घर के दरवाजे तक पहुंच जाते हैं। पहले गांव के लोग कोई भी नया अवसर खोजने शहर तक चले जाते थे। लेकिन अब, सस्ते डेटा और कनेक्टिविटी के डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर के कारण गांवों में ही नई संभावनाओं का जन्म हो रहा है। जब अस्पताल, शौचालय, नल से जल और घरों का रिकॉर्ड गति से निर्माण होता है, तो सबसे गरीब को भी देश के विकास का लाभ मिलता है। जब कॉलेज, यूनिवर्सिटी और इंडस्ट्री जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ते हैं, तो इससे नौजवानों को प्रगति की संभावना अनगिनत अवसर लेकर के आती है। ऐसे ही अनेक प्रयासों के कारण, बीते 10 वर्षों में 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आ सके हैं। और लोगों की इसी प्रगति की शक्ति से हम 11वीं बड़ी अर्थव्यवस्था से पांचवी सबसे बड़ी इकोनॉमी बन गए हैं। 

साथियों, 

देश में तेजी से हो रहा ये इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण का काम, भारत को उतनी ही तेजी से दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक ताकत भी बनाएगा। और इससे उतने ही ज्यादा रोजगार-स्वरोजगार के भी मौके बनेंगे। इस स्केल के इंफ्रा को बनाने में, हाइवेज और एक्स्प्रेसवेज को बनाने में बड़ी संख्या में इंजीनियर्स और वर्कर्स की जरूरत पड़ती है। सीमेंट, स्टील जैसे उद्योगों को बल मिलता है, वहाँ भी बड़ी संख्या में युवा काम करते हैं। इन्हीं एक्सप्रेसवेज के किनारे आज इंडस्ट्रियल कॉरिडॉर बन रहे हैं। नई कंपनियाँ, नई फ़ैक्टरियां skilled युवाओं के लिए लाखों रोजगार लेकर के आ रही हैं। इसके अलावा, अच्छी सड़कों के होने से टू व्हीलर और फोर व्हीलर इंडस्ट्री को भी गति मिलती है। इससे साफ है कि आज युवाओं को रोजगार के कितने नए अवसर मिल रहे हैं, देश के manufacturing सेक्टर को कितनी ताकत मिल रही है। 

साथियों, 

देश में लाखों करोड़ रुपए के इन विकास कार्यों से सबसे ज्यादा दिक्कत अगर किसी को है तो वो है कांग्रेस और उसके घमंडिया गठबंधन। उनकी नींद हराम हो गई है। इतने सारे विकास के काम और वो एक की बात कर रहे हैं तो मोदी 10 और कर देता है। उनको समझ ही नहीं आ रहा है क्या इतनी तेजी से काम भी हो सकते हैं क्या। और इसलिए अब विकास के मुद्दों पर चर्चा करने की उनकी ताकत बची नहीं है। और इसलिए वो लोग कह रहे हैं कि मोदी चुनाव की वजह से लाखों करोड़ रुपए के काम कर रहा है। 10 वर्षों में देश इतना बदल गया। लेकिन, काँग्रेस और उसके दोस्तों का चश्मा नहीं बदला है। इनके चश्मे का नंबर अभी भी वही है- ‘ऑल नेगेटिव’! ‘ऑल नेगेटिव’! Negativity और केवल Negativity, यही कांग्रेस और इंडी गठबंधन वालों का चरित्र बन गया है। ये तो वो लोग हैं जो केवल चुनावी घोषणाओं की सरकार चलाते थे। इन्होंने 2006 में नेशनल हाइवे डवलपमेंट प्रोजेक्ट के तहत 1 हजार किलोमीटर एक्सप्रेसवे बनाने का ऐलान किया था। लेकिन ये लोग घोषणा कर-कर के घोसले में घुस गए, हाथ पर हाथ रखकर के बैठे रहे। ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे की बातें 2008 में की गई थी। लेकिन, इसे पूरा हमारी सरकार ने 2018 में किया। द्वारका एक्सप्रेसवे और अर्बन एक्सटेंशन रोड का काम भी 20 वर्षों से लटका था। हमारी डबल इंजन की सरकार ने सभी मुद्दों को सुलझाया और हर प्रोजेक्ट को पूरा भी किया। 

आज हमारी सरकार जिस काम का शिलान्यास करती है, उसे समय पर पूरा करने के लिए भी उतनी ही मेहनत करती है। और तब हम ये नहीं देखते हैं कि चुनाव हैं या नहीं। आज आप देख लीजिए…देश के गांवों को लाखों किलोमीटर ऑप्टिक फाइबर केबल्स से जोड़ा गया है। चाहे चुनाव हो या ना हो। आज देश के छोटे-छोटे शहरों तक में एयरपोर्ट्स बनाए जा रहे हैं, चाहे चुनाव हो या ना हो। आज देश के गांव-गांव तक सड़कों का निर्माण किया गया है, चाहे चुनाव हो या ना हो। हम टैक्स पेयर के एक-एक पैसे की कीमत जानते हैं, और यही कारण है कि हमने योजनाओं को तय बजट और तय समय में पूरा किया है।

पहले इंफ्रास्ट्रक्चर की घोषणा चुनाव जीतने के लिए होती थी। अब चुनाव में इंफ्रास्ट्रक्चर के काम पूरे होने की बात होती है। यही नया भारत है। पहले Delay होते थे, अब Delivery होती है। पहले विलंब होता था, अब विकास होता है। आज हम देश में 9 हजार किलोमीटर हाईस्पीड कॉरिडोर बनाने पर फोकस कर रहे हैं। इसमें से करीब 4 हजार किलोमीटर हाईस्पीड कॉरिडोर बनकर तैयार हो चुका है। 2014 तक सिर्फ 5 शहरों में मेट्रो की सुविधा थी, आज 21 शहरों में मेट्रो की सुविधा है। इन कामों के पीछे लंबी प्लानिंग लगती है, दिन-रात की मेहनत लगती है। ये काम विकास के विज़न से होते हैं। ये काम तब होते हैं, जब नीयत सही होती है। अगले 5 वर्षों में विकास की ये गति और कई गुना तेज होगी। कांग्रेस ने सात दशक तक जो गड्ढे खोदे थे, वो अब तेजी से भरे जा रहे हैं। अगले 5 वर्ष अपनी इस नींव पर बुलंद इमारत बनाने का काम होने वाला है। और ये मोदी की गारंटी है। 

साथियों, 

आप सभी को इस विकास के लिए मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूं। आप, मेरा सपना है- 2047 तक  हमारा देश विकसित होकर रहना चाहिए। आप सहमत हैं…देश विकसित होना चाहिए…होना चाहिए कि नहीं होना चाहिए। क्या हमारा हरियाणा विकसित होना चाहिए? ये हमारा गुरूग्राम विकसित होना चाहिए। ये हमारा मानेसर विकसित होना चाहिए। हिन्दुस्तान का कोना-कोना विकसित होना चाहिए। हिन्दुस्तान का गांव-गांव विकसित होना चाहिए। तो विकास के उस उत्सव के लिए आइए मेरे साथ अपने मोबाइल फोन बाहर निकालिए…अपने मोबाइल फोन की फ्लैशलाइट चालू कीजिए और ये विकास के उत्सव को इनवाइट कीजिए आप। चारों तरफ, मंच पर भी मोबाइल फोन वाले जरा…चारों तरफ जिन-जिन के पास मोबाइल है, हर एक के मोबाइल फोन का फ्लैशलाइल चले। इस विकास का उत्सव है ये, विकास का संकल्प है ये। ये आपकी भावी पीढ़ी के उज्जवल भविष्य के लिए मेहनत करने का संकल्प है, जी-जान से जुट़ने का संकल्प है। मेरे साथ बोलिए-               

भारत माता की जय।

भारत माता की जय।

भारत माता की जय। 

बहुत बहुत धन्यवाद! 

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