साहित्य अर्पण की दिल्ली के काव्य मंच “अंजूमन काव्य गॉष्ठी” काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। दिग्गज कवियों/कवियत्रियों द्वारा बेहतरीन गजलों और कविताओं का वाचन हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता नेहा शर्मा (दुबई) द्वारा की गई। परपंरानुसार सर्वप्रथम सरस्वती वंदना की भक्ति मय वाणी ने मंच को ओजस्विता से भर दिया। तदुपरांत मंच की संचालिका भावना अरोरा”मिलन” के कुशल संचालन से मंच का आगाज हुआ। सर्वप्रथम दिल्ली के वरिष्ठ कवि अरुण कुमार अरुण की ग़ज़ल से शुरुआत हुई:-
उसकी आंखों में कुछ नमी सी है,
बर्फ़ ज्यों आग पर जमी सी है।
काफिया,रदीफ की शानदार जोड़ी ने ग़ज़ल की शान को मुकाम तक पहुँचाया। उनकी एक और नायाब ग़ज़ल :-
कौन कहता है ज़माना बदल गया साहेब ने तय कर दिया कि आज की महफिल कामयाब और पुरअसर होने वाली है।
इसके बाद के वरिष्ठ कवि राहुल गौड़ जी ने अपनी कविताओं से मंच की गरिमा को बढ़ा दिया। उनकी कविताओं में राजनीति की बिसातें भी बिछी और बचपन के गलियारों को भी पार किया। बानगी के तौर पर :-
सियासत के दंगल में क्या खुब हाथापाई है
रीढ़ की, जुबान के लचीलेपन की लड़ाई है या उदास, लंबी ,नीरव एक दोपहर में
अपने आप से मिले बहुत दिन हो गये
बचपन की गलियों में घूम ही रहे थे कि प्रिया झा जी की कविता ने मंच को नारी सशक्तिकरण के सशक्त विचारों से संप्रेषित किया। उनकी कविता में ” नारी तुम कमजोर नहीं, बलशाली हो” की भावना निहित थी :-
नारी हूँ
हाँ आज की नारी हूँ
तोड़ बेड़ियों को
संवारा है खुद को हमने
अपनी कमियों को
जान हुनर को
निखारा है हमने
इसके बाद मंच सजा श्री दुष्यंत जी की मुक्तक और ग़ज़ल से।
मुस्कुरा कर जब हम कुछ सोचने लगे
दुनिया वाले हमें खुश देखकर कोसने लगे
मुझको दिल में बसाया भी जा सकता है
मुझसे ये रिश्ता निभाया भी जा सकता है
शब्दों की बेहतरीन कारीगरी की उन्होंने अपनी रचनाओं में। दुनियादारी के तमाम अंदाज उनकी रचनाओं में सजे मिले।
शिवानी जी ने फूलों को माध्यम बना कर अपनी कविता “फूलों की बहार” शीर्षक से प्रस्तुत की। फूलों की महत्ता का उन्होंने जीवन के हर पहलू में बसे होने की बात कही। बानगी के तौर पर :- फूलों से ही अपने जीवन का साज और श्रृंगार है।
सभी रचनाकारों की प्रस्तुति के बाद भावना जी ने अंजू निगम को मंच पर अपनी कविता के साथ आमंत्रित किया और उन्होंने एक विरह कविता प्रस्तुत की। शीर्षक था :- मैंने कभी तो नहीं चाहा
भावना जी को उनकी कविता के साथ आमंत्रित किया गया । उन्होंने अपनी दो रचनाओं की प्रस्तुति दी। जिनके बोल थे:-
दुआएं काम करती है जग में नाम करती है,
अगर शिद्दत हो पूरी तो सफल अंजाम करती है
गीत विधा
सजी अयोध्या नगरी सारी,
बज रहे ढोल-नगाड़े,
हो रही जय-जयकार,
अवध में राम पधारे ।
बेहतरीन ढंग से अपनी बात रखने में भावना जी को महारत हासिल है और उनका यह व्यक्तित्व उनकी रचनाओं में भी झलकता है।
आखिर में मंच की अध्यक्षता कर रही नेहा जी ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य मे सभी रचनाकारों को उनकी बेहतरीन प्रस्तुति के लिए बधाई दी और आज के कार्यक्रम की संचालिका भावना जी”मिलन” के उम्दा मंच संचालन के लिये उन्हें बधाई दी। इसके अलावा तय समय सीमा पर कार्यक्रम को पूर्ण करने का भी उल्लेख किया जो किसी भी सफल कार्यक्रम का एक जरूरी अंग होता है। अंत में साहित्य अर्पण परिवार की इस शानदार काव्य गोष्ठी को अंजाम तक पहुँचने की असीम बधाई।