आदित्य अनमोल ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर पर एक किताब लिखी है। इसका टाइटल ‘द जननायक कर्पूरी ठाकुर: वॉइस ऑफ द वॉइसलेस है। हालाँकि, दिवंगत मंत्री का जीवन लोगों को प्रेरित करता है, लेकिन उनकी मौत अभी-भी कई लोगों के लिए एक रहस्य बनी हुई है। उनका निधन 1988 में रहस्यमय परिस्थितियों में हुआ था और इस पर कभी कोई आधिकारिक जाँच नहीं हुई। वहीं, कई लोगों को इसमें गड़बड़ी का शक था।
ऐसे में, जब आदित्य से पूछा गया कि क्या किताब उस पहलू को कवर करती है और उस पर स्पष्टता देती है, तो वे कहते हैं, “हमारी किताब इस जटिल कहानी में गहराई से उतरती है, उनकी मौत से पहले के इवेंट्स और विभिन्न नजरियों को डिटेल्ड अकाउंट्स और लेटर्स के जरिए पेश करती है। हम पाठकों को यह जानकारी देना चाहते हैं, ताकि वे कर्पूरी ठाकुर के इस रहस्यमय चैप्टर के बारे में अपना निष्कर्ष निकाल सकें।
यह किताब बिहार की राजनीति की कई कॉन्ट्रोवर्शियल घटनाओं को भी छूती है, लेकिन लेखक का कहना है, “हमारा मकसद सनसनी फैलाना या नए विवाद को आमंत्रित करना नहीं है, बल्कि कर्पूरी ठाकुर के जीवन और उनके द्वारा संचालित सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य का एक व्यापक और सच्चा विवरण प्रदान करना है।”
वहीं, जब उनसे पूछा गया कि क्या किताब को फीचर फिल्म में बदलने की कोई योजना है, तो आदित्य कहते हैं, “फिलहाल ऐसी कोई ठोस योजना नहीं है, लेकिन यह कुछ ऐसा है, जो हम एक्सप्लोर करने के लिए तैयार हैं। कर्पूरी ठाकुर के जीवन और उनका समय एक आकर्षक और इस्पायरिंग फिल्म के सब एलिमेंट्स रखता है और यह उनके योगदान का सम्मान करने और व्यापक दर्शकों तक पहुँचने का एक शानदार तरीका होगा।”