ज़ी टीवी की सीरीज़ ‘12/24 करोल बाग’ (2009) में सिमी के रूप में अपनी शुरुआत करने वाली, अभिनेत्री स्मृति कालरा, कई टीवी प्रोडक्शन, फिल्मों और टेलीप्ले इत्यादि का हिस्सा रही हैं। उन्होंने टीवी शो ‘इत्ती सी ख़ुशी’ (2014) में नेहा की प्रशंसित भूमिका के ज़रिये काफी लोकप्रियता पायी है। उन्होंने कई फ़िल्मों में अभिनय करने के अलावा पुरस्कृत शॉर्ट फ़िल्म ‘अम्बू’ (2019) का निर्देशन भी किया है।
उनके अभिनय कौशल और लोकप्रियता के कारण वह ज़ी थिएटर के टेलीप्ले ‘लाइट्स आउट’ में एक महत्वपूर्ण भूमिका के लिए बिल्कुल उपयुक्त साबित होती हैं। प्रसिद्ध नाटककार मंजुला पद्मनाभन ने 1982 में मुंबई के सांताक्रूज़ में हुए एक भयानक अपराध पर आधारित ये नाटक लिखा था। 1986 में जब इसका प्रीमियर मंच पर हुआ, तो इसने अपने उत्तेजक विषय के चलते सनसनी मचा दी थी। रितेश मेनन द्वारा निर्देशित नाटक के टेलीप्ले संस्करण पर चर्चा करते हुए, स्मृति कहती हैं, “‘लाइट्स आउट’ हमारे समाज में बसे आंतरिक अंधकार को उजागर करता है। कहानी में एक महिला पर किया गया हमला हमारे सामाजिक ढांचे में एक विशेष वर्ग के लोगों की उदासीनता और संवेदनहीनता को दिखाता है। ‘लाइट्स आउट’ में तीन दशक पहले उठाए गए मुद्दे आज भी प्रासंगिक हैं।”
अपने किरदार की दुविधा के बारे में बोलते हुए, स्मृति कहती हैं, “लीला उस जड़ता और लाचारी का प्रतीक है जिसे एक महिला अक्सर अपने सामाजिक बंधनों के कारण अनुभव करती है। जब वह एक औरत की हताश चीखें सुनती है, तो वह चाहती है कि उसका पति भास्कर हस्तक्षेप करे मगर वो उसकी इस बात को खारिज कर देता है।” जब उनसे पूछा गया कि अगर उन्होंने कोई अपराध देखा तो क्या वे रिपोर्ट करेंगी, तो स्मृति ने जवाब दिया, “एक जिम्मेदार नागरिक के तौर पर मैं निश्चित रूप से ऐसा करूंगी। वास्तव में, जिस चीज ने मुझे इस नाटक की ओर आकर्षित किया, वह था इसका विषय और सामाजिक जिम्मेदारी का संदेश।”