हिन्दी दिवस पर सरस काव्य संध्या का आयोजन 

हिंद की आवाज़ है हिन्दी, देश का साज है हिन्दी

देश की अग्रणी साहित्यिक संस्था “हिंदी की गूंज” ने हिंदी दिवस के शुभ अवसर पर अपनी “हिंदी गूंजेगी दूर- सुदूर दिशाओं में” कार्यक्रम का आयोजन आभासी पटल के माध्यम से आयोजित किया। जिसमें  राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर के साहित्यकारों, लेखकों, संपादकों, हिन्दी संसाधकों आदि ने भाग लिया। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान की प्रधान सम्पादक डॉ.अमिता दुबे उपस्थित रहीं। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार एवं पत्रकार सत्यराज सिंह ने और संगोष्ठी का कुशल संचालन संस्था की मीडिया प्रभारी डॉ.ममता श्रीवास्तवा ‘सरुनाथ’ ने किया ।

कार्यक्रम का शुभारंभ मां हिंदी के वंदना गीत – ‘ हम भारत की गौरव गाथा मुक्त कंठ से गायेंगे ‘से हुआ। तत्पश्चात् संस्था के वरिष्ठ संरक्षक गिरीश चंद्र जोशी ने हिंदी की गूंज के बढ़ते कदम पर प्रकाश डालते हुए संस्था के द्वारा समय-समय पर हो रहे कार्यक्रमों की जानकारी देते हुए भविष्य की योजनाओं से भी अवगत कराया। श्याम सुंदर श्रीवास्तव कोमल ने अपने सुमधुर गीत सुना कर सभी को मंत्र मुग्ध कर दिया। चेन्नई से जुड़ी रोचिका अरुण शर्मा ने अपनी कविता- “हिंदी का सम्मान हो फैलाओ यह पैगाम” सुना कर हिंदी भाषा को और सुदृढ़ बनाने का पैगाम दिया, तो वहीं डॉ वर्षा सिंह ने- “हिंदी ना भुलानी है हिंदी संस्कृत है पुरखों की बानी है” कविता सुनाई। हाथरस से जुड़ी स्वर कोकिला मंजू शर्मा माधुरी ने अपना गीत- “तन मन से करते हैं वंदन अपनी प्यारी हिंदी का” सुना करके सभी श्रोताओं का मन मोह लिया। देश के जाने-माने शिक्षाविद् डॉ विनोद चौहान ने- “मां हिंदी का वंदन कर लें धड़कन सांसों में हिंदी हो, हम हिंदी जी कर देखें” गीत सुना कर सभी को हिंदी भाषा के साथ जोड़ दिया।

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 नीदरलैंड से जुड़ी डॉ ऋतु शर्मा ननन पांडे ने कहा कि- हिंदी की गूंज संस्था से जुड़कर मै हिंदी भाषा को और सशक्त बना पा रही हूं। सात समंदर पार रहकर हिन्दी की सेवा करने का सुख अनूठा है। देश की राजधानी दिल्ली से जुड़ी तरुणा पुंडीर तरुनिल ने हिंदी भाषा का बखान करते हुए अपनी कविता – “हिंदी की गूंज से गूंजा संसार है” सुनाया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में जुड़ी डॉ अमिता दुबे ने अपने मन की इच्छा अपनी संस्कृति और सभ्यता को याद करते हुए कहा कि- “सब कुछ पहले सा हो जाए ऐसा मन करता है” हिंदी की गूंज संस्था के संयोजक नरेंद्र सिंह नीहार ने अपनी कविता- ” जन मन की अभिलाषा हिन्दी, सपनों की परिभाषा हिन्दी ”  के माध्यम से हिंदी भाषा को अपनाने और भविष्य में हिंदी का परचम सर्वत्र फहराने का संदेश दिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे सत्यराज सिंह जी ने अपनी लघु कथाएं सुना कर सभी को आश्चर्य चकित कर दिया तथा हिंदी की गूंज संस्था के उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए कहा कि संस्था जिस गति से हिंदी भाषा के लिए समर्पित है, युवाओं में हिंदी भाषा को पुष्पित और पल्लवित करने का प्रयास कर रही है निश्चित रूप से हिंदी भाषा सुदृढ़ होगी और हिंदी की गूंज गुंजायमान होगी- चहुंदिस चहुंओर। श्रोता के रूप में जुड़े निर्मला जोशी, विमला रस्तोगी,कामता प्रसाद, कमलेन्द्र कुमार, राम कुमार पाण्डेय, अमृतलाल, डॉ. सुनीत कुमार,रामकेश मीणा आदि ने अपने संदेशों के माध्यम से सभी का उत्साहवर्धन किया।

भावना ‘मिलन’ अरोड़ा एडुकेशनिस्ट, लेखिका मोटिवेशनल स्पीकर
भावना ‘मिलन’ अरोड़ा
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