01 अक्टूबर राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस पर विशेष-
– सुरेश सिंह बैस”शाश्वत”
एवीके न्यूज सर्विस
राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस हर साल 01 अक्टूबर को मनाया जाता है। अब रक्तदान के जरिए लोगों की जान बचाने के लिए जागरुकता फैलाने के लिए इसे प्रतिष्ठित किया जा रहा है। हर साल दुनिया भर में लाखों लोग रक्त और प्लाज्मा दान करने का निर्णय लेते हैं। हर साल राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस जैसे रक्तदान कार्यक्रमों में लोग क्यों हिस्सा लेते हैं? इसके कई कारण हैं। सबसे पहले, यह कई लोगों के जीवन को बचाने का एक तरीका है जो बीमारियों और स्थितियों से प्रभावित हैं। इसके अलावा, रक्तदान करने से ये रोगी अपना चिकित्सा उपचार जारी रख सकेंगे, जिससे उन्हें बीमारी से बचने के बेहतर मौके मिलेंगे। हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि उन्हें अपनी दवाओं या दवाओं को छोड़ना होगा अगर वे उन्हें लेने में असहज महसूस करते हैं तो वे हमेशा उनसे पीछे हटने का विकल्प चुन सकते हैं। कोरोनावायरस, एचआईवी / एड्स, हेपेटाइटिस आदि जैसी बीमारियों से प्रभावित पुरुषों और महिलाओं के जीवन को बचाना।इस दिन, दुनिया के विभिन्न देशों से पुरुषों और महिलाओं सहित स्वयंसेवक, जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए रक्त और प्लाज्मा दान करते हैं।
यदि आप उन लोगों में से एक हैं जो मदद करना चाहते हैं और रक्त दान और प्लाज्मा दान में भाग लेने का समय नहीं पा सकते हैं, तो आप अपना रक्त साझा करके इसकी भरपाई कर सकते हैं। राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस के दौरान अन्य लोगों की मदद करने का यह सबसे आसान तरीका है। रक्तदान का महत्व न केवल जीवन से वंचित हजारों लोगों के जीवन को बचाने के लिए है, बल्कि कई अन्य लोगों के जीवन को बचाने के लिए भी है जो विभिन्न बीमारियों से प्रभावित हैं और उन्हें कई बीमारियों से लड़ने में मदद करते हैं।
यह भी देखा गया है कि जब लोगों ने अपना रक्तदान किया है, तो उन्हें कई स्वास्थ्य लाभ प्राप्त हुए हैं। अधिकांश लोग जो अपना रक्त दान करते हैं वे अपनी बीमारियों से तेजी से ठीक हो जाते हैं और लंबा जीवन भी जीते हैं, यह वजन घटाने में भी मदद करता है, स्वस्थ यकृत और लोहे के स्तर को बनाए रखने में, दिल के दौरे और कैंसर के जोखिम को कम करता है।
हम आपकी रक्तदान से जुड़ीं भ्रांतियों को दूर करते हैं और इस महादान से संबंधित जरूरी बाते आपको बताते हैं – एक औसत व्यक्ति के शरीर में दस यूनिट यानी (5-6 लीटर) रक्त होता है। रक्तदान करते हुए डोनर के शरीर से केवल एक यूनिट रक्त ही लिया जाता है। कई बार केवल एक कार एक्सीडेंट (दुर्घटना) में ही, चोटील व्यक्ति को सौ यूनिट तक के रक्त की जरूरत पड़ जाती है। एक बार रक्तदान से आप तीन लोगों की जिंदगी बचा सकते हैं। भारत में सिर्फ सात प्रतिशत लोगों का ब्लड ग्रुप ‘O नेगेटिव’ है। ‘O नेगेटिव’ ब्लड ग्रुप यूनिवर्सल डोनर कहलाता है, इसे किसी भी ब्लड ग्रुप के व्यक्ति को दिया जा सकता है। इमरजेंसी के समय जैसे जब किसी नवजात बालक या अन्य को खून की आवश्यकता हो और उसका ब्लड ग्रुप ना पता हो, तब उसे ‘O नेगेटिव’ ब्लड दिया जा सकता है। ब्लड डोनेशन की प्रक्रिया काफी सरल होती है और रक्त दाता को आमतौर पर इसमें कोई तकलिफ नहीं होती हैं। कोई व्यक्ति 18 से 60 वर्ष की आयु तक रक्तदान कर सकता हैं। रक्त दाता का वजन, पल्स रेट, ब्लड प्रेशर, बॉडी टेम्परेचर आदि चीजों के सामान्य पाए जाने पर ही डॉक्टर्स या ब्लड डोनेशन टीम के सदस्य आपका ब्लड लेते हैं। पुरुष 3 महीने और महिलाएं 4 महीने के अंतराल में नियमित रक्तदान कर सकती हैं। हर कोई रक्तदान नहीं कर सकता। यदि आप स्वस्थ हैं, आपको किसी प्रकार का बुखार या बीमारी नहीं हैं, तो ही आप रक्तदान कर सकते हैं। अगर कभी रक्तदान के बाद आपको चक्कर आना, पसीना थे वो आना, वजन कम होना या किसी भी अन्य प्रकार की समस्या लंबे समय तक बनी हुई हो तो आप रक्तदान ना करें।