फागुन के रंग, पिया संग: भावना ‘मिलन’

फागुन के रंग संग पिया का प्यार! होली के रंगों में भीगी प्रीत भरी पलों की…

महंगाई की पिचकारी से फीकी होली के रंग!

महंगाई की मार में होली के रंग भी फीके! इस कविता में पढ़ें कैसे बढ़ती कीमतों…

महिला सशक्तिकरण

कुकर की सीटी से घर सँभालने तक, नारी शक्ति की अनूठी पहचान। परिवार का ख्याल रखने…

शिव का डमरू

डमरू की गूंज संग नाचते भोलेनाथ, नीलकंठधारी शिव का दिव्य रूप, कृपा और मानवता का संदेश…

शिव नहीं कहते

शिव की भक्ति कर्म में है, दिखावे में नहीं। भूखों की सेवा, करुणा और सच्चे कर्म…

प्यासे खेत प्रश्न करें

प्यासे खेत, मौन महारथी, जलती शमा—यह कविता सत्ता, अन्याय और सामाजिक विषमताओं पर करारा प्रहार करती…

बांट रहे समाज को

समाज बंट रहा, संकट में धैर्यवान माताएं, जल-जंगल संकट, गंगा-यमुना मैली, पर स्वच्छता के वीर भी…

सुख संतुष्टि शांति शुभ

सुख, संतुष्टि व शांति से भरपूर जीवन के लिए राम-सीता का सुमिरन करें, कथा-भजन सुनें व…

झोपड़ी बहुत उदास 

सत्ता से सवाल न करने वालों का वजूद लाश समान है। महलों में राग-रास, झोपड़ी में…

समता मधुरस घोल

समता और मधुरता का संचार करें, मन की आँखें खोलें। परहित में जीवन अर्पित करें, क्योंकि…

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