लाभार्थी किसान श्री गंगानगर, बूंदी और अलवर के हैं
क्षेमा जनरल इंश्योरेंस लिमिटेड ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के तहत राजस्थान के श्री गंगानगर, बूंदी और अलवर में 160 करोड़ रुपए से अधिक बीमा राशि का भुगतान किया है। यह भुगतान खरीफ सीज़न 2023-24 के लिए किया गया है। क्षेमा ने इन तीन जिलों से प्राप्त 5,81,606 आवेदनों के दावों का भुगतान किया है।
किसानों को किए गए भुगतान के बारे में बोलते हुए, क्षेमा जनरल इंश्योरेंस लिमिटेड के चीफ रिस्क ऑफिसर, कुमार सौरभ ने कहा, “मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि हमने राजस्थान के तीन जिलों- श्री गंगानगर, बूंदी और अलवर में पीएमएफबीवाई के तहत किसानों को 160 करोड़ रुपए से अधिक बीमा राशि का भुगतान किया है। ये पिछले वर्ष खरीफ सीज़न के दौरान फसलों को हुए नुकसान के दावों का निपटान है। ये भारत के उन सभी किसानों को हमारी प्रतिबद्धता दर्शाता है, जिन्होंने अब तक क्षेमा से एक करोड़ से अधिक फसल बीमा पॉलिसी खरीदी हैं। इस राशि के वितरण के पीछे का हमारा दृष्टिकोण चरम जलवायु घटनाओं की वजह से होने वाली आय की क्षति को कम करते हुए किसानों को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना है। इन दावों का भुगतान सरकारी दिशानिर्देशों के अनुसार किया गया है।”
इस दौरान क्षेमा बीमा धोखाधड़ी को रोकने और पीएमएफबीवाई का लाभ किसानों तक पहुँचे यह सुनिश्चित करने के लिए उन्नत तकनीक का उपयोग कर रही है। क्षेमा धोखाधड़ी का पता लगाने के लिए सैटेलाइट इमेजरी और भू-स्थानिक डेटा का उपयोग करती है, जैसे कि उन खेतों पर बीमा के लिए आवेदन करना जहाँ कोई फसल ही नहीं बोई गई या फिर जहाँ आवेदन पर सूचीबद्ध फसल और उगाई गई वास्तविक फसल के बीच कोई मेल नहीं है। क्षेमा किसानों के हितों की रक्षा और करदाताओं के पैसे की सुरक्षा के लिए धोखाधड़ी की पहचान करने के लिए तत्पर है। राजस्थान सरकार भी इन धोखाधड़ी के मामलों से निपटने के लिए क्षेमा के प्रयासों का समर्थन करती है।
पीएमएफबीवाई के तहत बीमा प्रदाताओं की भूमिका के बारे में बात करते हुए, श्री सौरभ ने कहा, “धोखाधड़ी का प्रयास या अपराध गैर-कानूनी है और इसकी वजह से उन किसानों को भी नुकसान का सामना करना पड़ता है, जो समय पर अपनी बीमा राशि प्राप्त करने के पात्र हैं। पीएमएफबीवाई के दिशानिर्देशों के अनुसार बीमा प्रदाताओं को संबंधित खेतों में सर्वेक्षण करने का अधिकार है। इस महत्वपूर्ण कर्तव्य को पूरा करने के दौरान गलत सूचना की वजह से कुछ गाँवों में क्षेमा कर्मचारियों को धमकी आदि जैसे खतरों का सामना करना पड़ा है। यहाँ तक कि फसलों की निगरानी करने की कोशिश के दौरान उन्हें हमलों का सामना भी करना पड़ा है। इस तरह की अफवाहें फैल रही हैं कि बीमा प्रदाता ये सर्वेक्षण इसलिए करते हैं, ताकि वे दावों के भुगतान से बच सकें। लेकिन, सच्चाई यह है कि यह सर्वेक्षण पीएमएफबीवाई प्रोटोकॉल का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसका उद्देश्य प्रासंगिक डेटा प्राप्त और प्रसारित करना है, ताकि दावों का निपटान तेजी से किया जा सके।”
बाधाएँ उत्पन्न होने की वजह से वास्तविक दावों वाले कई किसान पीएमएफबीवाई के तहत लाभ लेने से वंचित रह सकते हैं, जबकि हो सकता है कि उन किसानों के हक का यह भुगतान फर्जी दावेदारों को मिल जाए। इससे सभी पात्र किसानों को नुकसान का सामना करना पड़ता है, क्योंकि पीएमएफबीवाई के तहत फसल क्षति बीमा जनता के पैसे से होता है।
क्षेमा का लक्ष्य सरकारी दिशानिर्देशों का पालन करते हुए हर वैध बीमा दावे का शीघ्र निपटान करना है। बीमा आवेदन प्रक्रिया के दौरान गलत जानकारी प्रदान करना, जैसे कि आवेदन की तुलना में एक अलग फसल बोना, भूमि क्षेत्र का बेमेल होना, सर्वेक्षण या अधिकृत कर्मियों को उनके कर्तव्यों को पूरा करने में बाधा डालना, योग्य किसानों को योजना का लाभ प्राप्त करने से रोक सकता है। परिणामस्वरूप, पीएमएफबीवाई जैसी दूरदर्शी योजना उन लोगों तक नहीं पहुँच पाएगी, जिन्हें इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है।