आधुनिक समय में भी स्वामी विवेकानंद के एक-एक शब्द दुनिया भर में लोगों को प्रेरित करते हैं, आधुनिक जीवन व तकनीकी प्रगति के बीच स्वामी विवेकानंद जी के विचार व शिक्षा दुनिया भर लोगों के लिए प्रकाश स्तंभ हैं, जो तनाव व मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने में लोगों का मार्गदर्शन करती हैं।
संघर्ष ही सफलता का मार्ग है
‘संघर्ष जितना बडा होगा, जीत उतना ही शानदार होगा’ इसका अर्थ है कि लक्ष्य को पाने के लिए जितना संघर्ष करना होगा, जीत उतनी ही बड़ी होगी। सभी लोग जीवन में कुछ सपने देखते हैं, जिन्हें पूरा करने में अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, कोशिशों के बाद भी यदि असफलता का सामना करना पड़ता है, तो मानसिक तनाव होता हैं। स्वामी विवेकानंद जी का मानना है कि असफलता जीवन का अहम हिस्सा है, जो व्यक्ति को एक नया अनुभव प्रदान करता है। इससे सफलता का मूल्य बढ़ता है। स्वामी विवेकानंद जी ने जीवन के कठिनाइयों से निकलने और सफलता के कई मंत्र दिए हैं, जिन्हें अपनाने पर कामयाबी के मार्ग खुल जातें हैं। तथा व्यक्ति तनाव मुक्त होकर गुणवत्तापूर्ण जीवन यापन करने में सक्षम हो सकता है।
स्वामी जी का जीवन दर्शन
स्वामी विवेकानंद जी के विचार प्राचीनता व आधुनिकता का मिश्रण हैं। वे मानते थे कि प्रत्येक व्यक्ति में अपार क्षमता होती है। उनका प्रसिद्ध नारा “उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए,” है। स्वामी विवेकानंद का जीवन दर्शन आधुनिक युग की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए ज्ञान की गतिशील व्याख्या है। उन्होंने आध्यात्मिकता के प्रति तर्कसंगत दृष्टिकोण अपनाने का संदेश दिया है। उन्होंने लोगों को स्वयं अन्वेषण करने का सलाह दिया। विवेकानंद जी ने ‘कर्म योग’ को महत्व दिया है। उन्होंने सिखाया कि खुशी व संतुष्टि जरूरत मंदों की सेवा करने से मिलती है। आज लोग व्यक्तिगत सफलता व प्रतिस्पर्धा से प्रेरित हैं जबकि विवेकानंद जी ने परोपकार पर जोर दिया है। विवेकानंद जी ने कहा है कि भक्ति एक शक्तिशाली शक्ति है जो असंभव को संभव कर सकती है। भक्ति के प्रति उनका दृष्टिकोण व्यावहारिक था।
विवेकानंद का दर्शन लोगों के व्यक्तिगत और आध्यात्मिक विकास के लिए एक व्यापक मार्गदर्शन प्रदान करता है। उनके विचार लोगों को केवल शैक्षणिक क्षेत्रों में ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक विकास व जीवन के अन्य सभी पहलुओं में उत्कृष्टता के लिए प्रयास करने के लिए प्रेरित करती है।
इस अवसर पर स्वामी जी के जीवन से जुड़े एक प्रसंग की चर्चा करना प्रेरणादायक होगा, विवेकानंद जी के सामने एक चुनौती 1893 में आई जब वे शिकागो में विश्व धर्म संसद में जाने का फैसला किया। जिसमें दुनिया भर से लोग अलग-अलग धर्मों के बारे में बात करने आने वाले थे। स्वामी जी के पास ज़्यादा पैसे नहीं थे, उन्होंने लंबी यात्रा की, पैदल भी चलें, ऐसे समय का भी सामना किया जब उनके पास खाने के लिए पर्याप्त भोजन भी नहीं था। लेकिन उन्हें विश्वास था कि उनके पास लोगों से साझा करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण जानकारी है, इसलिए वे चलते रहें। जब विवेकानंद शिकागो पहुंचे, तो उन्हें एक और चुनौती का सामना करना पड़ा। कार्यक्रम के आयोजकों ने कहा कि उन्हें सम्मेलन में बोलने के लिए कुछ शर्तें रख दीं। तब भी स्वामी जी ने हार नहीं माना, वे शिकागो में ही रहे और ऐसे दोस्त बनाए जिन्होंने उनकी मदद की। उनका दृढ़ संकल्प रंग लाया, उन्हें बोलने की अनुमति मिल गई। उन्होंने सभा को सम्बोधित किया, उनके शब्द शक्तिशाली व प्रेरक थे, वे प्रसिद्ध हो गए। लोगों ने शांति और एकता के उनके संदेश की सराहना किया, वे नायक बन गए। विवेकानंद का जीवन हमें सिखाता है कि जब चीजें बहुत कठिन लगती हैं, तब भी हम बाधाओं को पार कर सकते हैं यदि हमें खुद पर विश्वास हो।
शैक्षणिक तनाव से निपटना
स्कूल कभी-कभी चुनौतीपूर्ण लग सकता है, क्योंकि बहुत सारा होमवर्क, कक्षा कार्य और परीक्षाएँ होती हैं, स्वामी जी का सलाह था कि तनाव से निपटने का तरीका सिर्फ अध्ययन करना और खुद व दुनिया को गहराई से समझना नहीं है। उन्होंने एक ख़ास तरह का योग बताया जिसे ‘ज्ञान योग’ कहा जाता है, यह केवल किताबों से सीखने के बारे में नहीं है, बल्कि अपने व अपने आस-पास की हर चीज़ के बारे में सीखने से है। कल्पना कीजिए कि आप एक शोरगुल वाले कमरे में हैं, लेकिन आप अपने दिमाग में एक शांत कोना ढूंढ सकते हैं, स्पष्ट रूप से सोच सकते हैं और शांति महसूस कर सकते हैं। यही वह चीज थी जिसे स्वामी जी छात्रों को सिखाना चाहते थे। उन्होंने कहा, “एक नायक बनो! हमेशा कहो, मुझे कोई डर नहीं है।” इसका मतलब यह है कि जब परीक्षाएँ या बड़े कार्य आते हैं, तो डरने के बजाय उनका साहस व धैर्य से सामना करना हैं। विवेकानंद जी ने बताया कि प्रत्येक व्यक्ति के अंदर शक्ति और साहस होता है। जब स्कूल तनावपूर्ण लगता है, तो व्यक्ति को स्वामी जी के शब्दों को याद करना चाहिए व खुद पर विश्वास रखना चाहिए। छात्र जीवन केवल ग्रेड के बारे में न होकर, जितना हो सके अपने आपको बेहतर बनने के बारे में होना चाहिए।
शारीरक स्वास्थ्य
विवेकानंद जी ने शरीर की देखभाल करने को महत्वपूर्ण बताया है क्योंकि स्वस्थ शरीर दिमाग को मजबूत रखने में मदद करता है। स्वामी जी ने सरल व्यायाम, अच्छा खाना और पर्याप्त नींद लेने को प्रोत्साहित किया है। विवेकानंद का कहना था कि हम में से प्रत्येक के अंदर शक्ति और साहस है। जब स्कूल तनावपूर्ण लगे, तो छात्रों को स्वामी जी के शब्दों को याद रखना चाहिए व खुद पर विश्वास रखना चाहिए।
एकाग्रता की शक्ति
स्वामी विवेकानंद जी अक्सर कहते थे कि एकाग्रता जीवन में बहुत ज़रूरी है, विशेषकर छात्र जीवन में। उन्होंने कहा, “एकाग्रता की शक्ति ही ज्ञान प्राप्त करने की एकमात्र साधन है।” जब व्यक्ति ध्यान केंद्रित करता हैं तब वह अच्छे से सीख व समझ सकता है। एकाग्रता में बडी शक्ति है। जब व्यक्ति ध्यान केंद्रित करता है, तब छात्र गृह कार्य/ कक्षा कार्य को अधिक स्पष्ट रूप से समझ सकता है तथा सटीक व सही उत्तर देने में सक्षम होता है। विवेकानंद जी के अनुसार टीवी, वीडियो गेम व स्मार्टफ़ोन ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई उत्पन्न करतें है। उनके अनुसार दिमाग को तेज वनाया जा सकता है और केंद्रित होने के लिए प्रशिक्षित कर सकते हैं। एकाग्रता का अभ्यास किया जा सकता है। कुछ मिनट के लिए किसी एक बिन्दु/वस्तु या प्रकाश पर ध्यान केंद्रित करना, ध्यान केंद्रित करने का सरल अभ्यास हैं, जितना अधिक अभ्यास करेंगे, छात्र अपनी पढ़ाई पर उतना अधिक ध्यान केंद्रित कर सकता है और चीजों को जल्दी समझ सकता है।
स्वामी जी अनुसार मन चंचल होता है, जो एक विचार से दूसरे विचार पर चलता रहता है, जिससे लोग तनावग्रस्त महसूस करते हैं। मन को नियंत्रित करने के लिए उन्होंने एकाग्रता की शक्ति के बारे में बताया है। एक समय में एक चीज़ पर अपने दिमाग को केंद्रित करके, हम अपने कार्यों को बेहतर ढंग से कर सकते हैं। इससे अच्छी अनुभूति होती है। उन्होंने दिमाग को प्रशिक्षित करने के लिए कई तरीके सुझाए, उनमें ध्यान सबसे महत्वपूर्ण है।
धैर्य और समर्पण
स्वामी विवेकानंद का जीवन धैर्य और कभी हार न मानने की सच्ची कहानी है। दुनिया के साथ अपने ज्ञान को साझा करने की उनकी यात्रा चुनौतियों से भरी थी, लेकिन उन्होंने कभी उम्मीद नहीं खोई और न ही प्रयास करना बंद किया। उन्होंने बताया कि सच्ची ताकत हमारे सपनों को कभी न छोड़ने से आती है, चाहे हम कितनी भी बार असफल हों या गिरें। जब स्कूल या जीवन में चुनौतियों का सामना कर रहें हो, तो विवेकानंद के साहस को याद कर सकते हैं और आगे बढ़ सकते हैं।
परीक्षा के तनाव से निपटना
परीक्षा का समय तनावपूर्ण हो सकता है, लेकिन स्वामी विवेकानंद ने ऐसे समय के लिए कुछ बेहतरीन सलाह दी थी: “एक नायक बनो।” जिसका मतलब है कि जब व्यक्ति परीक्षाओं सामना करता है, तो उसे धैर्य धारण करना चाहिए। विवेकानंद जी ने दिमाग को तेज और शांत रखने में मदद करने के लिए योग और ध्यान करने का सुझाव दिया। गहरी साँस लेना, ध्यान लगाना , सकारात्मक वाक्य दोहराना की सरल क्रियाओं से व्यक्ति के जीवन में बड़ा बदलाव लाया जा सकता है। ये अभ्यास दिमाग को शांत करने, घबराहट व तनाव को कम करने व अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने का आत्मविश्वास देने में मदद करती हैं।
मन की शक्ति, आत्मविश्वास, दृढ़ता, नैतिकता के गुणों पर उनका ज्ञान आज अधिक प्रासंगिक है। जब छात्र शैक्षणिक जीवन के तनावों पर आगे बढते हैं, तो विवेकानंद की शिक्षाओं को अपनाने से उन्हें आंतरिक शक्ति और उद्देश्य पूरा करने की भावना जागृत होती है। विवेकानंद ने कहा है
इस तरह से हम देखते हैं कि स्वामी विवेकानंद जी ने वर्षों पूर्व मानसिक स्वास्थ्य प्रबंधन पर तार्किक उपाय का अन्वेषण किया है।