पूर्वी नौसेना कमान मुख्यालय के तत्वावधान में वार्षिक नौसेना की उड़ान सुरक्षा बैठक (एनएफएसएम) और उड़ान सुरक्षा संगोष्ठी (एफएसएस) – वर्ष 2024 का आयोजन 12 से 13 नवंबर को आईएनएस डेगा, विशाखापत्तनम में सफलतापूर्वक संपन्न किया गया। संगोष्ठी की शुरुआत 12 नवंबर को हुई, जिसमें मुख्य अतिथि वाइस एडमिरल राजेश पेंढारकर, फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ पूर्वी नौसेना कमान ने मुख्य भाषण दिया।
संगोष्ठी “उभरते खतरे और चुनौतियां-नौसेना वायु संचालन और उड़ान सुरक्षा के साथ अनुपालन” विषय पर केंद्रित रही। इस संगोष्ठी में समकालीन विषयों पर ध्यान केंद्रित किया गया, जिसमें काउंटर-यूएवी/यूएएस प्रौद्योगिकी और रणनीति में प्रगति, विमानन संचालन में साइबर सुरक्षा जोखिम और विमान प्रणालियों के लिए जवाबी उपाय शामिल हैं। इसमें हवाई संचालन के दौरान मानसिक लचीलेपन के लिए ‘माइंडफुलनेस ट्रेनिंग’ के महत्व पर भी विचार-विमर्श किया गया।
चर्चा में उभरते परिचालन जोखिमों के प्रबंधन के लिए एक समग्र दृष्टिकोण को प्रोत्साहित किया गया। हवाई संपत्तियों की सुरक्षा के लिए सेवाओं में साझा सतर्कता की आवश्यकता पर भी बल दिया गया। विचारों के आदान-प्रदान ने आधुनिक नौसेना विमानन की चुनौतियों के लिए विशेष रूप से अनुकूल और सक्रिय सुरक्षा रणनीतियों की बढ़ती आवश्यकता को रेखांकित किया। संगोष्ठी में भारतीय सेना, भारतीय वायु सेना, भारतीय तटरक्षक और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) जैसे प्रमुख रक्षा संगठनों के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया।
13 नवंबर को, एनएफएसएम ने भारतीय नौसेना के प्रमुख उड़ान सुरक्षा हितधारकों को एक साथ लाया, जिसमें रियर एडमिरल जनक बेविल, सहायक नौसेना प्रमुख (वायु) ने बैठक की अध्यक्षता की। सभी परिचालन मिशनों को पूरा करते हुए सुरक्षित उड़ान सुनिश्चित करने के लिए परिचालन जोखिम प्रबंधन के उद्देश्य से नौसेना में सुरक्षा सहमति पर विस्तार से चर्चा की गई। चर्चा में पक्षियों और जानवरों के खतरे को कम करने के नवीनतम रुझानों को शामिल किया गया।
कार्यक्रम के दोनों दिन पैनल चर्चाएं और विशेषज्ञों के नेतृत्व में प्रस्तुतियां दी गईं, जिनमें उड़ान सुरक्षा प्रोटोकॉल को बढ़ाने और नौसेना विमानन में तत्परता के उच्चतम मानकों को सुनिश्चित करने के लिए भारतीय नौसेना की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया गया।