आयुष मंत्रालय के केंद्रीय योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा अनुसंधान परिषद (सीसीआरवाईएन) के तत्वावधान में केंद्रीय योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (सीआरआईवाईएन), नागमंगला में 7वां प्राकृतिक चिकित्सा दिवस मनाया गया। इस कार्यक्रम में आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और मणिपुर जैसे राज्यों का प्रतिनिधित्व करने वाले पूरे देश के 800 से अधिक डॉक्टरों, स्नातक और स्नातकोत्तर विद्वान शामिल हुए।
इस अवसर पर आयुष मंत्रालय की संयुक्त सचिव सुश्री कविता गर्ग, सीसीआरवाईएन के निदेशक डॉ. राघवेंद्र राव, एसवीवाईएसए विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ. एच.आर. नागेंद्र, एसवीवाईएसए विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. मंजूनाथ एनके, सीसीआरवाईएन के गवर्निंग बोर्ड के सदस्य डॉ. प्रशांत शेट्टी, कृषि मंत्री और नागमंगला के विधायक श्री चेलुवरायस्वामी सहित अन्य गणमान्य उपस्थित हुए।
एक लिखित संदेश में केंद्रीय आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री प्रतापराव जाधव ने प्राकृतिक चिकित्सा को चिकित्सा की एक अनूठी प्रणाली कहा, जो प्रकृति के साथ तालमेल स्थापित कर स्वास्थ्य को बढ़ावा देती है। उन्होंने पूरे देश में योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा आहार केंद्रों (वाईएनडीसी) की स्थापना का सुझाव दिया और आश्वासन दिया कि भारत सरकार योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा प्रणालियों के लिए केंद्रीय कानून बनाने की दिशा में सक्रिय रूप से काम कर रही है।
श्री जाधव ने अनुसंधान और साक्ष्य सृजन पर सरकार के फोकस पर बल देते हुए कहा कि “हम विभिन्न राज्यों में उच्च स्तरीय अनुसंधान करने के लिए 100 से 200 बिस्तरों वाले अस्पतालों के साथ केंद्रीय योग और प्राकृतिक चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (सीआरआईवाईएन) जैसे अनुसंधान और शिक्षण संस्थानों की एक श्रृंखला बनाने जा रहे हैं।” उन्होंने कहा कि दो सीआरआईवाईएन, एक नागमंगला, कर्नाटक में और दूसरा झज्जर, हरियाणा में पहले से ही संचालित हो रहे हैं। आयुर्वेद दिवस 2024 के अवसर पर, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने रायपुर, छत्तीसगढ़ और खोरदा, ओडिशा में नए 100 बिस्तर वाले सीआरआईवाईएन की आधारशिला रखी। असम, आंध्र प्रदेश और केरल में इसी तरह के संस्थानों के लिए योजनाएं चल रही हैं।
आयुष मंत्रालय में संयुक्त सचिव श्रीमती कविता गर्ग ने प्राकृतिक चिकित्सा के कालातीत ज्ञान पर टिप्पणी करते हुए कहा, “प्राकृतिक चिकित्सा हमें खाना, पीना, कार्य करना और संयम से रहना सिखाती है। यह हमें आत्म-प्रबंधन की कला से युक्त करती है, जिससे हम आध्यात्मिक गतिविधियां करने के लिए स्वस्थ रहने में सक्षम होते हैं। हमें वर्तमान में जीना चाहिए और अतीत या भविष्य पर ध्यान नहीं देना चाहिए।”
डॉ. एच. आर. नागेंद्र ने योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा में अनुसंधान को बढ़ावा देने के महत्व पर प्रकाश डाला, हाई-एंड अनुसंधान के लिए उत्कृष्टता के वैश्विक केंद्रों के रूप में सीआरआईवाईएन की कल्पना की।
इस कार्यक्रम में योगाटेक चैलेंज के विजेताओं को सम्मानित भी किया गया, जिसने आधुनिक तकनीक के साथ योग को सम्मिश्रण करने वाले अभिनव स्टार्टअप को मान्यता प्रदान की। 70 से ज्यादा प्रविष्टियों में से चयनित, उपकरण, आईटी समाधान और प्रॉप्स और एक्सेसरीज जैसी श्रेणियों में 15 स्टार्टअप ने फाइनल में अपनी जगह बनाई: एनटी सॉल्यूशंस ने डिवाइसेज श्रेणी में जीत दर्ज की; योग4लाइफ समाधान श्रेणी में विजेता बना।
इस चुनौती ने एआई-संचालित एप्लिकेशन, पहनने योग्य उपकरणों और उन्नत योग सहायक उपकरण जैसे नवाचारों का प्रदर्शन किया, जो प्राचीन स्वास्थ्य प्रथाओं को आधुनिक युग में लाने में प्रौद्योगिकी की परिवर्तनकारी शक्ति को उजागर करते हैं।
संयुक्त राष्ट्र एसडीजी लक्ष्यों में योग की भूमिका, निम्हांस, एसयूवाईएएसए विश्वविद्यालय और सीसीआरवाईएन द्वारा एक सहयोगी पुस्तक जारी की गई, जो संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने में योग की भूमिका को दर्शाती है। इसके अलावा, योग पर 10 शोध पुस्तकें, प्राकृतिक चिकित्सा पर एक, और वोल्टर्स क्लूवर द्वारा प्रकाशित इंडियन जर्नल ऑफ योग एंड नेचुरोपैथी के उद्घाटन अंक का भी विमोचन किया गया।
इस कार्यक्रम ने 18-19 नवंबर, 2024 को होने वाले प्राकृतिक चिकित्सा पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन की प्रस्तावना के रूप में कार्य किया, जहां वैश्विक विशेषज्ञ समग्र स्वास्थ्य एवं कल्याण में नई सीमाओं का पता लगाएंगे।