झारखंड की राजनीति में बड़े नाम के तौर पर उभर रहे हैं संजय मेहता

अपने बेबाक अंदाज के लिए जनता के बीच बनी है अलग छवि

संजय मेहता झारखंड की राजनीति में एक उभरता हुआ नाम। एक ऐसा नाम जो गरीबों – मजलूमों के आवाज के तौर पर जाने जाने लगे हैं। जो झारखंडी मुद्दों पर अपनी मुखरता के लिए जाने जाते हैं। जिन्हें अपने तेज तर्रार भाषणों के लिए जाना जाता है। जिनकी मुखरता और वाक शैली ने राजनीति के क्षेत्र में बड़े – बड़े दिग्गजों को प्रभावित किया है। इनके भाषणों को सुनने के लिए झारखंड में हज़ारों की भीड़ उमड़ रही है।

इन दिनों इनकी चर्चा झारखंड के अलग – अलग इलाकों में है। दरअसल इनकी चर्चा तब तेज हुई जब संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य के एजेंडा पर आधारित कांफ्रेंस में इन्होंने वैश्विक स्तर पर दुबई में भारत का प्रतिनिधित्व किया। इन्होंने गरीबी, भुखमरी, कुपोषण जैसे विषयों पर अपनी राय रखी।

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने इन्हें दुबई जाने के दौरान तिरंगा झंडा देकर विदा किया। दुबई में वैश्विक मंच पर संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्य के विषयों की डिप्लोमेटिक विशेषज्ञ रूस की टटीयाना ने उन्हें अपने हाथों से सम्मानित किया। इस सम्मान के बाद इन्हें झारखण्ड के सामान्य ज्ञान के सवाल में भी शामिल कर लिया गया। कई सामाजिक संस्थाओं ने इन्हें सम्मानित किया। इनकी लोकप्रियता युवाओं के बीच अच्छी खासी है।

क्या है इनका प्रारंभिक जीवन? कहाँ से शुरू हुई इनकी जिंदगी ?

संजय मेहता झारखंड के हजारीबाग जिले के बरही निवासी हैं। इनके पिता एक होमियोपैथिक चिकित्सक हैं। माँ गृहणी है। बरही के ही बगल में बसे सोकी पंचायत में इनका मूल निवास है। जो इटखोरी के बगल मयूरहंड प्रखंड के अंतर्गत आता है। इन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा बरही, माध्यमिक शिक्षा बरही एवं इंटरमीडिएट की शिक्षा हजारीबाग से हासिल की है।

बिल्कुल सामान्य परिवार में जन्मे संजय मेहता ने इंटरमीडिएट की परीक्षा के बाद पत्रकारिता एवं जनसंचार की पढ़ाई की। पत्रकारिता में स्नातक के बाद इन्होंने पत्रकारिता एवं जनसंचार में ही पीजी की शिक्षा हासिल की। इन्होंने एलएलबी की भी शिक्षा हासिल की और उसमें टॉपर रहे। फिलहाल एलएलएम में अध्ययनरत हैं।

राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर की टीम का हिस्सा रहे

पीजी की शिक्षा के तुरंत बाद संजय मेहता राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर की टीम का हिस्सा हो गए। यहाँ इन्होंने नौकरी की और राजनीति की बारीकियों को सीखा। इस दौरान इन्होंने यहाँ बूथ स्तर पर चुनावी प्रबंधन, चुनावी रणनीति, चुनावी अभियान को समझा।

पत्रकारिता के बाद एलएलबी की शिक्षा हासिल की, एलएलएम में हैं अध्ययनरत

अपनी कानूनी समझ को और बेहतर करने के लिए इन्होंने एलएलबी की शिक्षा हासिल की। वर्तमान में एलएलएम के अंतिम सेमेस्टर में अध्ययनरत हैं।।

पीएमओ ने माना सुझाव

पिछले आठ – नौ सालों से इन्होंने जनता के कई कार्यों को सिर्फ अपने पत्रों के माध्यम से करवा दिया। यहाँ तक की पीएमओ ने भी इनके सुझाव को स्वीकार कर अमल में लाया।  शैक्षणिक प्रमाण पत्रों को आधार से जोड़ने का सुझाव संजय मेहता ने प्रधामनंत्री कार्यालय को  दिया था। जिसे पीएमओ ने शिक्षा मंत्रालय को अग्रसारित कर दिया था। इसके बाद शिक्षा मंत्रालय ने सुझाव को स्वीकार करते हुए यूजीसी को पत्र लिखा था। इसके पश्चात यूजीसी ने एक दिशानिर्देश भी जारी किया था।

सारंडा के जंगलों में अध्ययन

इन्होंने सारंडा के जंगलों में जाकर अध्ययन किया। एशिया महादेश में साल वृक्षों के सबसे बड़े जंगल सारंडा के आदिवासियों के बीच इन्होंने लगभग चार माह गुजारे। उन आदिवासियों के बीच ही इन्होंने उनके ही घरों में उनके बीच रहकर उनका हाल जाना और वास्तविक स्थितियों से अवगत हुए। वहाँ उन्होंने कुपोषण के विषय पर लगातार केंद्र सरकार को लिखा और उस इलाके में काम कर खनन कंपनियों को सीएसआर के तहत काम करने को लेकर मजबूर किया।

2019 में रहे झारखंड में सबसे कम उम्र के प्रत्याशी

साल 2019 के झारखंड विधानसभा चुनाव के दौरान झारखंड के हजारीबाग लोकसभा के 21 – बरही विधानसभा से इन्हें आम आदमी पार्टी ने टिकट दिया था। आम आदमी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़कर इन्होंने अपने चुनावी अभियान से बड़े – बड़े राजनीतिक दिग्गजों को प्रभावित किया था। इन्होंने जिस सीट बरही से चुनाव लड़ा था वहाँ  प्रधानमंत्री मोदी स्वयं चुनावी सभा करने पहुँचे थे।

लॉक डाउन के दौरान चर्चा में रहे

संजय मेहता लॉक डाउन के दौरान देश स्तर पर चर्चा में आए। इन्होंने अपने हेल्पलाइन के माध्यम से हज़ारों लोगों तक राशन पहुँचाया। इस दौरान इनके कार्यों से प्रभावित होकर कई लोगों ने इन्हें झारखंड का असली हीरो बताया। दरअसल इन्होंने एक हेल्पलाइन जारी किया जिसके माध्यम से काफी मजदूरों की समस्याओं का समाधान इन्होंने किया।

मुफ्त में फ्लाइट से मजदूरों को घर तक पहुँचाया

लॉक डाउन के दौरान संजय मेहता ने 292 मजदूरों को फ्लाइट से अपने राज्य वापस लाया और फिर उन्हें एयरपोर्ट से घर तक भेजा। जिसकी प्रशंसा सभी ने की। झारखंड और उड़ीसा के मजदूर उनके प्रयास से घर तक पहुँचे। उन्होंने वैसे मजदूरों को फ्लाइट चढ़ा दिया जिन्होंने कभी हवाई चप्पल नहीं पहना था। संजय मेहता ने इस अभियान का नाम घर भेजो अभियान दिया था। इस घर भेजो अभियान की चर्चा ने इन्हें राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा के केंद्र में ला दिया।

मणिपुर में फँसे लोगों को घर तक लाए

पिछले दिनों मणिपुर हिंसा में छात्रों के फँस जाने के बाद इन्होंने रेस्क्यू अभियान को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। साथ ही सरकार से समन्वय स्थापित कर फँसे हुए छात्रों को घर तक लाया।

सऊदी अरब में फँसे शव को झारखंड मंगवाया

पिछले दिनों इन्होंने सऊदी अरब से एक शव झारखंड मंगवाया। चतरा जिले के मोहम्मद अहसान की मौत सऊदी अरब में हो गयी थी उसके बाद उन्होंने दूतावास से पत्र लिखकर संपर्क कर शव को भारत मँगवाया।

स्थानीय और नियोजन नीति आंदोलन में मुखरता, सभाओं में उमड़ती है हज़ारों की भीड़

झारखंड में शुरू हुए स्थानीय एवं नियोजन नीति आंदोलन में इन्होंने बौद्धिक स्तर पर आंदोलन को अपना सहयोग दिया। इसके बाद इन्होंने कई जनसभाओं में जाकर अपने तेज तर्रार भाषणों से जनता के बीच जाकर अपने मुद्दों को रखा। आज भी वे लगातार अलग – अलग इलाकों में जाकर झारखंड में स्थानीय हक अधिकारों की आवाज को बुलंद कर रहे हैं। इनकी सभाओं में हज़ारों की भीड़ उमड़ रही है।

जनसंवाद यात्रा

इन्होंने जनसंवाद यात्रा की शुरूआत की है। इसके माध्यम से वे अगले 200 दिनों में लगभग एक हज़ार नुक्कड़ सभाओं को संबोधित करेंगे। इस यात्रा के माध्यम से वे झारखंडी हक अधिकारों एवं स्थानीय मुद्दों की आवाज को बुलंद कर रहे हैं। साथ ही झारखंड में निर्वाचन के स्तर पर लोकसभा एवं विधानसभा क्षेत्रों में राजनीतिक प्रतिनिधित्व में हो रही हकमारी को लेकर जनता के बीच जाकर अपनी राय रख रहे हैं।

बड़े एवं परिपक्व नेता के तौर पर दिखाई देती है झलक

संजय मेहता की खासियत है कि वे काफी सुलझे हुए अंदाज में अपनी बातों को रखते हैं। तर्क के साथ अपनी बातों को प्रस्तुत करते हैं। एक बड़े, मंझे हुए परिपक्व नेता के तौर पर शालीन अंदाज में अपनी बातों को रखते हैं।

उम्मीद की नजरों से देख रही है जनता

जनता इन्हें उम्मीद की नजरों से देख रही है। काफी कम उम्र में इन्होंने अपने नेतृत्व कौशल का लोहा मनवाया है। बिना किसी पद पर रहते हुए इन्होंने अपने कार्यों से प्रभावित किया है।

सुभाष चंद्र बोस के परिवार से है गहरा नाता

सुभाषचंद्र बोस की जीवनी इन्हें काफी प्रभावित करती है। वे लगातार सुभाषचंद्र बोस के परिवार से मिलकर एतिहासिक विषयों पर जानकारी हासिल करने का प्रयास करते रहते हैं।

पद्म श्री ने किया है सम्मानित

पद्मश्री मधु मंसूरी हँसमुख और छूटनी देवी ने संजय मेहता को उनके बेहतर कार्यों के लिए सम्मानित भी किया है।

समर्पित भाव से माटी की सेवा लक्ष्य : संजय मेहता

अपनी गतिविधियों को लेकर संजय मेहता कहते हैं कि मुझे पढ़ने में बहुत मन लगता है। मैं यूपीएससी की तैयारी कर रहा हूँ। सिविल सर्विसेज में जाने की इच्छा तो हर नौजवान की होती है। मेरी भी है। इसी दौरान काम करते – करते, पढ़ते-लिखते, सोचते-समझते, चिंतन करते हुए अपनी माटी की बेबसी और पीड़ा ने अंदर से काफी उद्देलित किया।

सबसे ज्यादा पीड़ा इस बात से हुई जब हमने देखा कि आजादी के सात दशक और झारखंड निर्माण के दो दशक बाद भी हमारे इलाके में हमारी बहनों के पढ़ने के लिए एक महिला कॉलेज तक नहीं है। झारखंड की स्थानीय नीति नहीं है। नियोजन नीति नहीं है।

इसके बाद हमने यह फैसला किया कि अब अपना सम्पूर्ण जीवन अपनी माटी को संवारने में लगाऊँगा। उसके बाद लगातार अपनी माटी में प्रयासरत हूँ। जिस – माटी ने पाल पोसकर बड़ा किया है उसे अब वापस कुछ देना चाहता हूँ। संजय मेहता के इस समर्पित सेवा भाव की हर कोई सराहना कर रहा है। अब यह तो भविष्य ही बताएगा कि जनता इन्हें किस रूप में स्वीकार करती है। हालांकि यह बात तो तय है कि इनकी सक्रियता और कार्य ने बड़े – बड़े लोगों को प्रभावित किया है। हर तरफ इनकी चर्चा हो रही है

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