पुस्तक जिनके उर बसे

पुस्तक उर पैदा करे, नीर क्षीर सत्बुद्धि। नाम, काम धन जग मिले, सहज सुखद उपलब्धि।।

पुस्तक जिनकी हैं सखा

हरे अँधेरा राह का, भरे उजाला रेख। सुगम बनाती पथ सदा, देख सको तो देख।।

पुस्तक सच्ची मीत

पुस्तक मन को प्रिय सदा, पुस्तक लगती गीत। शुष्क हृदय रस घोलती, पुस्तक मृदु नवनीत।

शैक्षिक संवाद मंच द्वारा होली पर कवि गोष्ठी का आयोजन

शैक्षिक संवाद मंच उत्तर प्रदेश द्वारा होली के शुभ अवसर पर 4 मार्च की शाम 7…

मुझे नहीं लिखना कविता

वजन कम करने के स्वप्निल प्रयास में ढाई किलोमीटर टहलने के उपरान्त कुर्सी पर बैठकर सामने…