राष्ट्रीय बौद्धिक दिव्यांगजन सशक्तिकरण संस्थान द्वारा दिनांक 11-12 दिसम्बर, 2023 को डॉ.अम्बेडकर इंटरनेशनल सेंटर, नई दिल्ली में इडियन स्केल फॉर असेसमेंट ऑफ ऑटीज्म (ईसा) पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का उद्घाटन मुख्य अतिथि, श्री राजेश अग्रवाल, आई.ए.एस.,,सचिव, दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा किया गया और दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री राजीव शर्मा, आई.एफ.ओ.एस., एवं निदेशक-राष्ट्रीय संस्थान भी इस अवसर पर उपस्थित रहे।
श्री बी.वी.रामकुमार, निदेशक, निपिड ने मुख्य अतिथि, सम्माननीय अतिथि व अन्य गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया। डॉ. सरोज आर्य ने ईसा उपकरण विकसित करने में अपनाई गई प्रक्रिया के बारे में बात की।
श्री राजेश अग्रवाल आईएएस, सचिव दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग ने प्रसन्नता व्यक्त की कि भारत नवोन्मेषण और अनुसंधान के लिए एक वैज्ञानिक केंद्र बन रहा है। उन्होंने कहा कि भारत वैश्विक तकनीकी संसाधनों में योगदान देने में अग्रणी भूमिका निभाई है, और कहा कि निपिड द्वारा विकसित कई परीक्षण और उपकरण कई देशों में उपयोग किए जा रहे हैं। उन्होंने एलिम्को में विकसित किए जा रहे नवीनतम सहायक उपकरणों पर प्रकाश डाला।
उन्होंने दिव्यांगजन के पुनर्वास के लिए अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी (सहायक उपकरण, साधन, चिकित्सा) के उपयोग करने और कम लागत पर सेवाएं प्रदान करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होने कहा कि वर्ष 2016 में विकसित ईसा स्केल आटीज्म का आकलन के लिए एक बहु उपयोगी स्वदेशी परीक्षण है। उन्होंने कहा कि, यह अत्यंत खुशी की बात है कि इंडियन स्केल फॉर असेसमेंट ऑफ आटीज्म पर इस दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला में भारत से 82 प्रतिभागी हैं और अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, जर्मनी, न्यूजीलैंड, कुवैत, अबू धाबी, दुबई, बांग्लादेश, भूटान और नेपालसहित 11 देशों से 18 प्रतिभागी शामिल हुए हैं। कई विदेशी विश्वविद्यालय दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग के अधीन कार्यरत् राष्ट्रीय संस्थानों के साथ समन्वयन करने और निपिड द्वारा विकसित उपकरणों को अपनाने में रुचि दिखा रहे है। उन्होंने निपिड द्वारा विकसित इंडियन टेस्ट ऑफ इंटलिडेंस के बारे में भी जानकारी दी कि यह एक ऐसी स्वदेशी परीक्षण है जो किफायती लागत पर भारतीय आबादी के लिए अधिक प्रासंगिक परीक्षण है। उन्होंने कहा कि विकसित सभी परीक्षण व उपकरण खुले स्रोत के रूप में उपलब्ध कराये जा रहे हैं। पेशेवरों को परीक्षण में प्रशिक्षित करने के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यशालाओं की श्रृंखला आयोजित की जा रही है, और जनवरी के महीने में निपिड में एक कार्यशाला आयोजित की जा रही है।
उद्घाटन समारोह, कार्यशाला की समन्वयक डॉ. सुनीता देवी द्वारा प्रस्तावित धन्यवाद प्रस्ताव के साथ समाप्त हुआ ।
कार्यशाला के पहले दिन डॉ. सुनीता देवी, पुनर्वास मनोविज्ञान के संकाय सदस्य, निपिड द्वारा ऑटिज्म के परिचय पर तकनीकी सत्र से शुरुआत हुई। तकनीकी सत्र-2 में निपिड के पुनर्वास मनोविज्ञान के संकाय सदस्य, डॉ. अमृता सहाय द्वारा ऑटिज्म के मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन में नवीनतम मूल्यांकन के बारे में विस्तार से बताया गया।
तीसरी तकनीकी सत्र ऑटिज़्म के शैक्षिक मूल्यांकन के बारे में था। इस सत्र में व्यवहारिक मूल्यांकन और मूल्यांकन की अन्य पद्धतियो के महत्व पर डॉ. अम्बाडी के.जी. द्वारा प्रकाश डाला गया। निपिड के संकाय सदस्य, डॉ. शिल्पा मनोज्ञ ने भारत में ऑटिज्म के मूल्यांकन और प्रमाणन के लिए दिशानिर्देशों के बारे में बताया। सम्मेलन का पहला दिन डॉ. सरोज आर्य द्वारा ईसा परीक्षण के बारे में सिंहावलोकन और विस्तृत विवरण सहभागियों को दिया गया। सहभागियों के प्रश्नों पर भी चर्चा की गई और स्पष्ट किया गया।
कार्यशाला के दूसरे दिन विशेषज्ञों द्वारा 2 प्रदर्शनों का आयोजन किया गया और प्रतिभागियों के लिए व्यावहारिक अनुभव किया गया। प्रशिक्षण और मूल्यांकन के लिए प्रतिभागियों की प्रतिक्रिया मांगी गई थी। इंडियन स्केल फॉर असेसमेंट ऑफ ऑटिज़्म पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला, निदेशक की टिप्पणियों और प्रमाणपत्र वितरण के साथ संपन्न हुआ। कार्यक्रम के समन्वयक डॉ. सुनीता देवी, संकाय सदस्य, निपिड धन्यवाद ज्ञापित किया गया।