– ललित गर्ग –
एक युगांतरकारी घटना के तहत भगवान श्रीराम पांच सौ वर्षों के बाद टेंट से मन्दिर में स्थापित होंगे। अयोध्या में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी श्रीराम मन्दिर का उद्घाटन 22 जनवरी, 2024 को करेंगे, निश्चित ही नये वर्ष से जन-जन को रामराज्य की सकारात्मक ऊर्जा मिलेगी, भारत एक नये युग में प्रवेश करेगा। जितनी आस्था एवं भक्ति से जन-जन ने श्रीराम के प्रति भक्ति एवं आस्था व्यक्त की है, उतनी ही आस्था एवं संकल्प से अब हर व्यक्ति श्रीराम के आदर्शों को अपने जीवन में उतारे एवं स्वयं को श्रीराममय बनाये। श्रीराम बनने की तैयारी करें। अब पुनर्जन्म श्रीराम का ही नहीं, हमारा भी हो। हमारे इर्द-गिर्द श्रीराम की बहुत-सी श्रेष्ठताएं हैं, जो हमें महानता तक ले जाती है और जीवन-मूल्यों की प्रतिष्ठा करती हैं।
नया वर्ष भारत के लिये वास्तविक रूप में रामराज्य की स्थापना का ऐतिहासिक वर्ष होगा। श्रीराम को ‘मर्यादा पुरुषोत्तम’ कहा गया है अर्थात पुरुषों में सबसे श्रेष्ठ उत्तम पुरुष। आज की जटिल, समस्याग्रस्त एवं अनैतिक स्थितियों के समाधान के लिये अपेक्षा है कि हर व्यक्ति श्रीराम बने, उत्तम पुरुष बने। हर व्यक्ति के सामने एक विचारणीय एवं बड़ा प्रश्न है कि वह आज का राम कैसे बने? राम वही बन सकता है जिसने स्वयं को पाने के लिये सकारात्मक यात्रा प्रारंभ की है, जिसमें लक्ष्य के प्रति पूर्ण समर्पण है। जिसमें कष्टों को सहने की सहिष्णुता और धैर्य है, प्रतिकूलताओं एवं कष्टों के बीच सुख और श्रेयस् खोज लेने की प्रकृति है। शब्दों के कोलाहल में मौन रहने का संकल्प है। जो पुरुषार्थ से अपना भाग्य बदलना जानता है। जिसमें प्राणीमात्र के प्रति प्रेम, करूणा एवं मैत्री का भाव है। जो अपने विरोधी या शत्रु से भी सीखने को वरीयता दे। जिसका जीवन सादगी एवं संयम का प्रेरक हो। जो बुराइयों एवं अत्याचार के खिलाफ मोर्चा लेने को तत्पर हो। उन्नत एवं आदर्श समाज एवं राष्ट्र रचना जिसका जीवन-सपना हो। जो स्व और पर के अभ्युदय के लिये तत्पर हो। श्रीराम के इन गुणों को अपनाते हुए हर व्यक्ति राम बनने की ओर प्रस्थान कर सकता है।