हुनर नहीं उम्र का मोहताज़

वॉइस ऑफ सीनियर्स- 5 में धीमे-सधे कदमों से मंच पर पहुँचे बुज़ुर्गों ने अपने सुरों से बाँध दिया समां

इंदौर : तालियों की गड़गड़ाहट रुकने का नाम नहीं ले रही थी, जब एक के बाद एक धीमे-सधे कदमों से मंच पर पहुँचे 12 फाइनलिस्ट्स ने अपने सुरों से समां बाँध दिया। बिल्कुल यही माहौल था बीते दिन आनंदम संस्था द्वारा आयोजित की गई वरिष्ठ नागरिकों की गायन प्रतियोगिता, वॉइस ऑफ सीनियर्स- 5 में। 278 प्रतिभागियों के गायन के साथ शुरू हुई इस शानदार प्रतियोगिता के फाइनल में 12 फाइनलिस्ट्स ने जगह बनाई। इंदौर ही नहीं, बल्कि दूसरे शहरों से भी हुनरबाज अपनी प्रतिभा का खूबसूरत प्रदर्शन करते बीते दिन शहर में दिखाई दिए। शास्त्रीय गायक पं. सुनील मसूरकर, प्रकाश शुजालपुरकर और संतूरवादक मंगेश जगताप इस प्रतियोगिता में जज के रूप में शामिल हुए।

12 फाइनलिस्ट्स की इस काँटे की टक्कर में प्रथम विजेता का ताज 70 वर्षीय आनंद कोल्हेकर जी ने पहना, जिन्हें 51000 रुपए के साथ ही बैंकाक की यात्रा करने के अवसर से सम्मानित किया गया। लगातार मो. रफी के दो गीतों- ‘रंग और नूर की बारात..’ और ‘दीवाना हुआ बादल’ को अपनी सुरीली आवाज़ में गाकर न सिर्फ दर्शकों, बल्कि जजेस को भी अपना बना लिया। वहीं दूसरे स्थान पर अनिल आप्टे रहे, जिन्हें 21000 रुपए के नकद पुरस्कार से सम्मानित किया गया। किशोर कुमार के गीत ‘मेरी भीगी-भीगी सी पलकों पे रह गए’ और मन्ना दे के गीत ‘ऐ मेरी जोहराजबीं’ से हॉल में बैठे सभी लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर लिया।  

अपने अनुभव साझा करते हुए प्रथम विजेता, आनंद कोल्हेकर जी ने कहा, “आनंदम के साथ मेरा अनुभव अद्भुत रहा है। फाइनलिस्ट बनने पर जो खुशी मन में है, मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकता हूँ। पत्नी और मैंने साथ में हिस्सा लिया था, इससे खास इस प्रतियोगिता की और क्या बात हो सकती है।” द्वितीय विजेता रहे अनिल आप्टे ने कहा, “इस उम्र में जहाँ वरिष्ठ नागरिक स्वयं को दर्शक ही महसूस करते हैं, वहीं इतने बड़े मंच पर प्रस्तुति देना और यहाँ तक कि प्रदर्शन से सभी का दिल जीतकर फाइनल तक पहुँचना अपने आप में बहुत बड़ी बात है। मैं बचपन से ही संगीत प्रेमी रहा हूँ, ऐसे में प्रतियोगिता में शामिल होने को ही मैं सबसे बड़ी जीत मानता हूँ।”

रविवार दोपहर प्रेस्टीज कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में आनंदम के सिंगिंग कॉम्पीटिशन, वॉइस ऑफ सीनियर्स, सीज़न 5 में 278 में से 12 सुरीली आवाज़ों के धनी सभी वरिष्ठजनों के तजुर्बे की खुशबू से पूरा सभागार महक उठा। गायन प्रतियोगिता में प्रतिस्पर्धियों की ऑडिशन प्रक्रिया 5 से लेकर 7 फरवरी तक चली। इसके बाद 9 और 10 फरवरी को सेमी फाइनल का आयोजन किया गया। चयनित हुनरबाज़ों ने 12 फरवरी, रविवार को एक-दूसरे को टक्कर दी, जिसका फाइनल वास्तव में देखने लायक रहा। मुस्कान सिंह