पत्रकारिता एवं राष्ट्रवादी सोच के जुझारू-व्यक्तित्व : ललित गर्ग

ललित गर्ग षष्ठीपूर्ति – 24 सितम्बर, 2024

प्रो. महेश चौधरी-

ललित गर्ग को हम भारतीयता, पत्रकारिता एवं सामाजिकता का अक्षयकोष कह सकते हैं, वे चित्रता में मित्रता के प्रतीक हैं तो गहन मानवीय चेतना के चितेरे जुझारु, निडर, साहसिक एवं प्रखर व्यक्तित्व हैं। लाखों-लाखों की भीड़ में कोई-कोई ललितजी जैसा विलक्षण एवं प्रतिभाशाली व्यक्ति जीवन-विकास की प्रयोगशाला में विभिन्न प्रशिक्षणों-परीक्षणों से गुजर कर अपनी मौलिक सोच, कर्मठता, कलम, जिजीविषा, पुरुषार्थ एवं राष्ट्र-भावना से समाज एवं राष्ट्र को अभिप्रेरित करता है। उन्होंने आदर्श एवं संतुलित समाज निर्माण के लिये कई नए अभिनव दृष्टिकोण, सामाजिक सोच और कई योजनाओं की शुरुआत की। ललितजी एक ऐसे जीवन की दास्तान है जिन्होंने अपने जीवन को बिन्दु से सिन्धु बनाया है। उनके जीवन की दास्तान को पढ़ते हुए जीवन के बारे में एक नई सोच पैदा होती है। उनके जीवन से कुछ नया करने, कुछ मौलिक सोचने, पत्रकारिता एवं सामाजिक जीवन को मूल्य प्रेरित बनाने, सेवा का संसार रचने, सद्प्रवृत्तियों को जागृत करने की प्रेरणा मिलती रहेगी।


ललित गर्ग एक सरल सा व्यक्तित्व। हर किसी के सुख दुख में साथ खड़े रहने वाले समाजसेवी ललित गर्ग का जन्म 24 सितंबर 1964 को राजस्थान में अजमेर जिले के किशनगढ़ में हुआ। आपको साहित्य और पत्रकारिता के संस्कार अपने पिता श्री रामस्वरूप गर्ग से मिले और समाजसेवा का हुनर अपनी दोनों माताओं स्वर्गीय श्रीमती सत्यभामा गर्ग और श्रीमती चंद्रप्रभा देवी गर्ग से विरासत में पाया। गांधी, विनोबा और जयप्रकाश नारायण के अनन्य सहयोगी आपके पिताश्री स्व. रामस्वरूपजी गर्ग राजस्थान के यशस्वी पत्रकार, समाजसेवी एवं विचारक रहे हैं, उन्होंने करीब तीस वर्षों तक जैन विश्वभारती के प्रारंभ से अपने जीवन के अंतिम समय तक प्रथम कार्यकर्ता के रूप में उल्लेखनीय सेवाएं प्रदान की। यही वजह है कि श्री ललित गर्ग का झुकाव तेरापंथ धर्मसंघ एवं अणुव्रत की प्रवृत्तियों में बचपन से ही शुरू हो गया था।


बचपन से कलम और स्याही के प्रति आकर्षण के चलते आपने छोटी-सी अवस्था में ही लेखन प्रारंभ कर दिया। आपकी प्रारंभिक शिक्षा राजस्थान के लाडनूं से और हायर एजूकेशन चूरू जिले के सुजानगढ़ के सुजला कॉलेज से हुई, जहां से आपने बीकॉम की डिग्री प्राप्त की । इसके बाद आप सीकर में लक्ष्मणगढ़ के प्रतिष्ठित बादूसरिया परिवार के श्री घनश्यामजी बादुसरिया एवं श्रीमती ग्यारसीदेवी बादुसरिया की सुपुत्री बेला के साथ परिणय सूत्र में बंध गए। आज आप तीन बच्चों के आदर्शवादी पिता हैं। पारिवारिक और सामाजिक जिम्मेदियों में संतुलन बनाकर चलने वाले ललित गर्ग पर मां सरस्वती की अद्भुत कृपा है। यही वजह है कि उन्होंने लेखन को ही अपने जीवन का आधार बनाया। नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यों के प्रति आस्था रखने वाले ललित गर्ग का लेखन हजारों लोगों को प्रेरणा प्रदान कर रहा है। आपके अणुव्रत पाक्षिक के परिक्रमा कॉलम में लिखे लेख एवं समृद्ध सुखी परिवार पत्रिका के संपादकीय सशक्त लेखनी के परिणाम हैं। आपका लेखन लगातार जारी है जैसे ही सुबह होती है देश के प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में आपके कॉलम और लेख पढ़े जा सकते हैं।
लेखन के साथ-साथ संपादन कला में सूक्ष्म दृष्टि रखने वाले ललित गर्ग ने अणुव्रत पाक्षिक पत्रिका का लगभग दो दशक तक संपादन करने के साथ तेरापंथ टाइम्स एवं युवादृष्टि का संपादकीय कार्य भी लंबे समय तक निभाया है। केवल इतना ही नहीं आपका सपना है कि हर परिवार सुखी और समृद्ध बने इसी परिकल्पना को लेकर आध्यात्मिक विचारों से ओतप्रोत समृद्ध सुखी परिवार पत्रिका का आपने लंबे वक्त तक संपादन किया। आपके संपादन में देशभर से निकलने वाली पत्र पत्रिकाओँ की सूची बहुत लंबी है इनमें श्री विजय इन्द्र टाइम्स मासिक, समाज दर्पण, अनुभूति, दृष्टि, निर्गुण चदरिया, आचार्य महाप्रज्ञ प्रवास समिति पत्रिका, स्वर्णिम आभा सूरज की और गाथा पुरुषार्थ की प्रमुख हैं। आप दिल्ली से हिन्दी और अंग्रेजी में निकलने वाली साप्ताहिक मैगजीन उदय इंडिया के आध्यात्मिक संपादक रहने के साथ कई वर्षों से ‘लोकतंत्र की बुनियाद’ एवं ‘सफर आपके साथ’ मासिक पत्रिका के संपादकीय सलाहकार भी हैं। आप देशभर की अनेक संस्थाओं से जुड़कर अपने सामाजिक दायित्व को बखूबी निभा रहे हैं। इनमें लायंस क्लब से लेकर मारवाडी सम्मेलन, अणुव्रत समिति और महासमिति से लेकर जैन विश्व भारती में आपका सक्रिय योगदान संस्थाओं को नई दिशा प्रदान कर रहा है। आपका अणुव्रत आंदोलन के व्यापक प्रचार-प्रसार एवं आचार्य तुलसी, आचार्य महाप्रज्ञ एवं वर्तमान में आचार्य महाश्रमण के मिशन और कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने में उल्लेखनीय योगदान है। पत्रकारिता और लेखन के आपको कई पुरस्कारों से नवाजा गया है। इनमें 1 लाख रूपये का आचार्य महाप्रज्ञ प्रतिभा पुरस्कार राष्ट्रीय चेतना पुरस्कार सहित इक्यावन हजार रूपये का अणुव्रत लेखक सम्मान सहित दर्जनों पुरस्कार शामिल हैं ।


आप हंसमुख और मिलनसार व्यक्तित्व के धनी हैं यही वजह है कि देशभर में आपका राजनेताओं, साहित्यकारों, पत्रकारों, समाजसेवियों से व्यापक जनसंपर्क है। नैतिक एवं स्वस्थ लेखन आपकी प्राथमिकता है और इसको शक्तिशाली बनाने के लिए अणुव्रत लेखक मंच के संयोजक के रूप में आपने अनेक राष्ट्रीय संगोष्ठियों एवं सम्मेलनों का आयोजन किया। ये आपकी दूरदर्शिता का ही परिणाम रहा कि संत हरचंद सिंह लोंगोवाल एवं आचार्य श्री तुलसी-आचार्य श्री महाप्रज्ञ के बीच पंजाब समस्या को लेकर हुई महत्वपूर्ण वार्ता के आप साक्षी बने एवं इस वार्ता का आपने देशव्यापी प्रचार-प्रसार किया। यही वार्ता पंजाब समस्या के समाधान का माध्यम बनी थी। साल 2006 में आपने आदिवासी जनजीवन के प्रेरक जैन संत गणि राजेन्द्र विजयजी के नेतृत्व में आदिवासी उत्थान एवं उन्नयन के साथ-साथ परिवार संस्था को मजबूती देने के लिए सुखी परिवार अभियान का सूत्रपात किया। इसी के लिए सुखी परिवार फाउंडेशन को संगठित किया एवं गुजरात के आदिवासी अंचल कवांट, बलद गांव एवं बोडेली में शिक्षा, सेवा और जनकल्याण की वृहद् योजनाओं को आकार दिया गया। आपके महामंत्री रहते हुए कवांट में एक विशाल आदिवासी समागम हुआ जिसमें डेढ़ लाख से ज्यादा आदिवासी उपस्थित रहे। इस आयोजन में तत्कालीन मुख्यमंत्री एवं वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने सुखी परिवार एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय की आधारशिला रखी।
राष्ट्र प्रथम का भाव आपके हृदय में निवास करता है। आप राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एवं उससे जुड़े विद्या भारती उपक्रम के साथ सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं और दिल्ली से अखिल भारतीय स्तर पर विद्या भारती के विद्वत परिषद के सदस्य होने के साथ दिल्ली के संवाददाता प्रमुख भी हैं। आप वर्तमान में गाजियाबाद के सूर्यनगर एज्यूकेशनल सोसायटी एवं उसके द्वारा संचालित प्लेटिनम वैली इन्टरनेशनल स्कूल के कार्यकारी अध्यक्ष हैं। ललितजी आपका दृष्टिकोंण मानवीय है, नैतिकता और आदर्श आपके व्यक्तित्व के सूचक हैं। आप दूसरों के दर्द को अपना समझते हैं। आपका ज्ञान मां गंगा की तरह आपका धैर्य धरती जैसा है आपका व्यक्तित्व हिमालय जैसा विराट है। आप जैसा निश्चल व्यक्तित्व सदियों में जन्म लेता है। आपके हृदय में राष्ट्र और राष्ट्रीयता का भाव कूट-कूट कर भरा है। कहते हैं कि प्रत्येक पर्वत पर मणि नहीं होती प्रत्येक वन में चन्दन नहीं होता। ऐसे ही हर किसी को आप जैसा पिता, भाई, पति, और मित्र नहीं मिलता। आपको ईश्वर चिर-आयु के आशीर्वाद से सदैव परिपूर्ण रखे। आपका ओजस्वी तेजस्वी और यशस्वी व्यक्तित्व समाज एवं राष्ट्र का मार्गदर्शन करता रहे।

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-प्रो. महेश चौधरी-