शोध से यह बात साफ हो चुकी है कि शादी शुदा लोगों व कुंवारे लोगों के पैसे खर्च करने की आदत में बहुत अंतर होता है
आज के समय में यदि मैं यह कहूं कि जिंदगी से अधिक महत्वपूर्ण है पैसा तो शायद गलत नहीं होगा। पढ़ाई से लेकर सगाई, जीवन से लेकर मरण तक केवल आवश्यकता है पैसों की। इसलिए मनी ईश्यू को कहीं पर भी भूलना नहीं चाहिए। दरअसल नए-नए रिलेशंस में अक्सर युवा पीढ़ी मनी ईश्यू को नजरअंदाज कर देती है, जो आगे चलकर उनके रिश्ते में एक कड़वाहट घोलने का बहुत बड़ा कारण बन जाता है। इसलिए किसी भी नतीजे पर पहुंचने से पहले डेटिंग करके अपने पार्टनर की आर्थिक स्थिति का जायजा लेना चाहिए। उसके साथ अच्छी पटे इसलिए यह जान लेना महत्वपूर्ण है कि वह पैसों या मनी ईश्यू से कैसे डील करता है? वैसे भी पैसा एक भावनात्मक ईश्यू है जो कई रिश्तों में तनाव या खटास पैदा कर सकता है। यह एक साधारण सी बात है। हर रिश्ते में एक पार्टनर दूसरे से ज्यादा कमाता है और बहुत से बिल और खर्चों का निवारण करता है। ऐसे में आप चाहे कोई भी भूमिका अदा कर रहे हों ये जरूरी है कि आप हर बात को साफ कर लें। यदि आप अधिक पैसा कमाते हैं तो अपने पार्टनर के साथ बैठिए और समझाइए कि आप को उसके साथ समय बिताना अच्छा लगता है इसलिए आप उसे उन सभी जगहों पर ले जाते हैं जो आप के लिए खास हैं। यदि आप कम पैसा कमाते हैं और यदि आप को लगता है कि आप का पार्टनर सही जगह पर पैसा खर्च कर रहा है, तो आप उसे बताइए कि आप भी अपने बजट में रहकर किसी-किसी मौके पर खर्चा कर सकते हैं।
अगर औरत अधिक कमाए :-
बहुत कम केसों में ही ऐसा होता है कि आदमी अपने दोस्तों या रिश्तेदारों को बताए कि उसकी पार्टनर ज्यादा कमाती है और लगभग सभी खर्चे वहन करती है। अधिकतर ऐसे केशों में रिश्तों के टूटने का यही कारण होता है।
एक दूसरे को सुनें व समझें:-
घर के खर्चो के अलावा आप लोगों को उन तत्वों व कारणों को भी ढूंढना चाहिए जिससे कि आप लोगों का रिश्ता व भविष्य बेहतर बने।
एक दूसरे को उत्साहित करें:-
यह समझने का प्रयास करें कि आप के पार्टनर को तरक्की क्यों मिल रही है? उसे बताओ कि जो भी वह करता है आप उससे प्रेरणा लेते हो। आप के मन में यह भरोसा रखना चाहिए कि उसका पार्टनर आप के रिश्ते को और अधिक खास बनाता है। वर्ना आप का रिश्ता बिखर जाएगा।
मेरे, तुम्हारे और हमारे खाते खोलिए:-
ज्वाइंट अकाउंट खोलिए, ताकि आप अपने डिनर का बिल उससे भरें और तब यह ईश्यू भी नहीं रहेगा कि यह पैसा न मेरा है न तुम्हारा है। आप घर के लिए, गाड़ी व बाकी सामानों के लिए भी वही पैसा इस्तेमाल कर सकते हैं। अलग-अलग खाते आप को आत्मनिर्भरता प्रदान करते हैं। जिससे पार्टनर पर निर्भर रहने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
लक्ष्य निर्धारित करें:-
इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कौन ज्यादा कमा रहा है लेकिन एक साथ सभी अपने आर्थिक सपनों की प्लॉनिंग करें। शॉर्ट टर्म, मीडियम टर्म व लांग टर्म, लक्ष्यों को निर्धारित करें जैसे गाड़ी व घर आदि।
याद रखें कि शादी के बाद सब बदल जाता है:-
शोध से यह बात साफ हो चुकी है कि शादी शुदा लोगों व कुंवारे लोगों के पैसे खर्च करने की आदत में बहुत अंतर होता है। यदि दो पार्टनर एक साथ रहते हैं तो वे दो अलग-अलग प्राणियों की तरह ही एक छत के नीचे रहते हैं। दोनों अपने बर्तन धोते हैं। अपने-अपने बिल भरते हैं। लेकिन शादी-शुदा मियां बीवी संस्कृति के साथ चलते हैं। यदि रखिए कि मनी ईश्यू पर ही आप का भविष्य टिका है। तो इसमें समझदारी दिखाएं।