जाम्बिया के वरिष्ठ सिविल सेवकों के लिए सार्वजनिक नीति और शासन पर एक सप्ताह का प्रशिक्षण कार्यक्रम नई दिल्ली में संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम में जाम्बिया के 30 स्थायी सचिवों, उप स्थायी सचिवों और निदेशकों ने भाग लिया। जाम्बिया के सिविल सेवकों को प्रशिक्षित करने के लिए प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) और जाम्बिया लोक सेवा आयोग के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।
इस कार्यक्रम के समापन सत्र में प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) और पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण विभाग (डीपीपीडब्ल्यू) के सचिव एवं राष्ट्रीय सुशासन केन्द्र (एनसीजीजी) के महानिदेशक श्री वी. श्रीनिवास मुख्य अतिथि थे। अपने संबोधन में श्री वी. श्रीनिवास ने नागरिकों के जीवन को बदलने में प्रौद्योगिकी के महत्व पर बल दिया। उन्होंने लोगों की जरूरतों और अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए एक वैचारिक ढांचा बनाने और देश में समग्र विकास के लिए काम करने का आह्वान किया।
उन्होंने संबंधों के आपसी निर्माण और साझेदारी के साथ देशों के बीच एक सक्षम वातावरण बनाने के महत्व पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि राष्ट्रीय सुशासन केन्द्र (एनसीजीजी) सिविल सेवकों को आवश्यक ज्ञान एवं कौशल की शिक्षा देकर कार्य निष्ठा को प्रभावी ढंग से पूरा करने के लिए व्यवहार में बदलाव लाकर उनकी क्षमता को बढ़ाने के लिए काम कर रहा है।
अपने संबोधन में, उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम को ज्ञान और अभिनव अभ्यास के आदान-प्रदान के लिए सुविधाजनक बनाने के प्राथमिक उद्देश्य के साथ सावधानीपूर्वक तैयार किया गया है। इस कार्यक्रम द्वारा डिजिटल शासन और सार्वजनिक सेवा वितरण को बढ़ाने के लिए भारत में सफलतापूर्वक लागू किया गया है। महानिदेशक ने भाग लेने वाले अधिकारियों से आग्रह किया कि वे प्रशिक्षण कार्यक्रम से 4-5 प्रमुख अध्ययनों की पहचान करें, जिन्हें वे अपनी विशिष्ट आवश्यकताओं के आधार पर आवश्यक संशोधनों के साथ अनुकूलित कर सकते हैं और दोहरा सकते हैं।
समापन समारोह के दौरान जाम्बिया गणराज्य के उच्चायुक्त श्री मुस्तफा जवारा ने प्रत्येक क्षेत्र में प्रशिक्षण कार्यक्रम की सराहना की। उन्होंने भारत के विभिन्न संस्थानों के साथ सहयोग करने की आवश्यकता व्यक्त की जो जाम्बिया में लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए जन-केंद्रित शासन प्रदान करने में मदद करेंगे। उन्होंने जाम्बिया के सिविल सेवकों के लिए भविष्य में दो सप्ताह की अवधि के कुछ और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने का अनुरोध किया। उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि भारत किस तरह एक साझेदार के रूप में जाम्बिया के साथ मिलकर काम कर रहा है, जो जाम्बिया के लोगों की मदद कर रहा है।
इस आयोजित कार्यक्रम के अवसर पर पाठ्यक्रम समन्वयक डॉ. ए. पी. सिंह ने अपने संबोधन में प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल विषयों पर प्रकाश डाला। इन सम्मिलित किए गए विषयों में सरकार में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, स्वास्थ्य देखभाल में डिजिटल शासन, सभी के लिए आवास, सरकारी ई-मार्केटप्लेस (जीईएम), सुशासन की परख, आई-स्टार्टअप राजस्थान: राजस्थान के एक केस की स्टडी, डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा और भारत-अफ्रीका संबंध शामिल रहे। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि कार्यक्रम के प्रतिभागियों को एक्सपोजर यात्राओं में भाग लेने का सुअवसर मिला, जो उनकी समग्र सीखने की यात्रा को बढ़ाने में प्रशस्त रहा। इन नियोजित यात्राओं में विकासशील देशों के लिए अनुसंधान और सूचना प्रणाली, नीति आयोग और एम्स शामिल थे।
इस संपूर्ण क्षमता निर्माण कार्यक्रम का निरीक्षण बांग्लादेश के पाठ्यक्रम समन्वयक डॉ. ए. पी. सिंह, एसोसिएट पाठ्यक्रम समन्वयक डॉ. मुकेश भंडारी, कार्यक्रम सहायक श्री संजय दत्ता पंत और एनसीजीजी की क्षमता निर्माण टीम ने किया।