आसपास के इलाकों में रहने वाले कैंसर मरीजों को मिलेगी बड़ी राहत
अलीगढ़: हेल्थकेयर सर्विस के क्षेत्र में अग्रणी मैक्स सुपर स्पेशयलिटी अस्पताल (वैशाली) ने कैंसर मरीजों को राहत देने के मकसद से अपनी ऑन्कोलॉजी सेवा को विस्तार दिया है। अस्पताल ने अलीगढ़ में कुमार नर्सिंग होम के साथ मिलकर हेड एंड नैक ऑन्कोलॉजी ओपीडी सेवा की शुरुआत की है। अलीगढ़ में ये अपने तरह की पहली ओपीडी होगी, जिससे आसपास के दुर्गम क्षेत्रों के मरीजों को भी राहत मिलेगी। अलीगढ़ में रामघाट रोड स्थित कुमार नर्सिंग होम में इस ओपीडी में मरीज जा सकेंगे और डॉक्टर को दिखा सकेंगे। महीने के हर दूसरे और चौथे मंगलवार को दोपहर 12 बजे से 2 बजे तक यहां डॉक्टर उपलब्ध रहेंगे।
इससे न सिर्फ इलाके के लोगों को कहीं और जाकर इलाज कराने से मुक्ति मिलेगी, बल्कि उनका पैसा भी कम खर्च होगा। इस ओपीडी सेवा की शुरुआत मैक्स अस्पताल वैशाली में सर्जिकल ऑन्कोलॉजी-हेड एंड नैक कैंसर के एसोसिएट कंसल्टेंट डॉ.सुमंत बोलू की मौजूदगी में की गई। डॉ. सुमंत ने इस मौके पर बताया कि कैंसर का सही वक्त पर पता लगना और फिर उसका बेहतर इलाज कितना जरूरी है।
भारत में कैंसर एक ऐसी बीमारी है जो प्री-मैच्योर मौत का सबसे बड़ा कारण है। पुरुष और महिलाएं दोनों को ही ये कैंसर लील रहा है। ग्लोबाकैन के 2020 के डाटा के मुताबिक, लगभग 13.24 लाख केस में से 11.42ः मरीजों को ओरल कैंसर के कारण जान गंवानी पड़ी। जबकि सिर और गर्दन के कैंसर, खासकर पुरुषों के होंठ, मुंह और गले की नलिका के कैंसर से होने वाली मौतों का आंकड़ा दूसरे नंबर पर रहा।
इस तरह के कैंसर केस के कारण करीब 25 फीसदी मौतें हो रही हैं। पिछले साल की बात की जाए तो भारत में नए कैंसर पेशंट्स की संख्या में 18 फीसदी का इजाफा हुआ है। डॉ.सुमंत बोलू ने बताया, आमतौर पर लोग बीमारी को समझ नहीं पाते और वो एडवांस स्टेज में कैंसर पहुंचने के बाद अस्पताल का रुख करते हैं।
लिहाजा, कैंसर के इलाज और इसके बचाव को लेकर लोगों में अवेयरनेस लाने की जरूरत है। अगर किसी को ये घातक रोग हो भी जाता है, तो आजकल एडवांस तकनीक मौजूद है जिससे सफल इलाज किया जा सकता है। इसलिए लोगों को ये भी समझने की जरूरत है कि कैंसर के लक्षणों को इग्नोर न करें. कुछ लक्षण बहुत आम हैं, जिन्हें लोग यूं ही टाल देते हैं।
अगर मुंह में छाले पड़ जाते हैं और ठीक नहीं हो पाते, चबाने में मुश्किल आए और दर्द हो, मुंह के अंदर सफेद या लाल पैच पड़ जाएं, तो इस तरह के लक्षणों को बिल्कुल भी दरकिनार न करें। नहीं तो ये बड़ी गांठ का रूप ले सकते हैं और कैंसर हो सकता है। हेड और नैक कैंसर में चीक, जीभ, गला, वॉइस बॉक्स, खाने की नलिका और थायराइड के कैंसर केस भारत में सबसे ज्यादा पाए जाते हैं। इस तरह के कैंसर का सबसे अहम कारण तंबाकू का सेवन होता है और इनका इलाज भी संभव है। ये कैंसर अगर एडवांस स्टेज में भी हो तो एडवांस टेक्नोलॉजी जैसे प्लास्टिक सर्जरी, रोबोटिक सर्जरी और लेटेस्ट रेडियोथेरेपी मशीनों के जरिए सफलता से इनका इलाज किया जा सकता है। इसके साइड इफेक्ट भी नहीं होते और मरीज इलाज के बाद खुशहाल जिंदगी गुजार सकता है।
अगर शुरुआती स्टेज में ही इन कैंसर का पता लगाया जा सके और वक्त रहते इलाज शुरू करा दिया जाए तो इनसे बचा जा सकता है। इस तरह का कैंसर होने पर मुंह में सफेद या लाल धब्बे हो जाते हैं या अल्सर हो जाता है, आवाज बदल जाती है, खाना चबाने में दिक्कत होने लगती है, गर्दन में मोटी गांठ हो जाती है, जो सामान्य इलाज से 2-3 हफ्तों में भी ठीक नहीं होती है।