उमेश कुमार सिंह
मेडिकल सांइस की दुनिया में डॉ. बिमल छाजेड़, एम.बी.बी.एस., एम. डी. एक जाने-पहचाने व्यक्ति हैं। ये भारत में नॉन इन्वेसिव कॉर्डियोलॉजी के जन्मदाता हैं। डॉक्टर छाजेड़ ने विख्यात अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में छह वर्ष तक सीनियर रेसीडेण्ट और सहायक प्रोफेसर के पद पर काम कर चुके हैं। वर्ष 1995 में इन्होंने AIIMS छोड़ दिया और अपनी रिसर्च के आधार पर ‘साओल’ की स्थापना की। साओल का मतलब है- विज्ञान तथा जीवन जीने की कला (साइंस एण्ड आर्ट ऑफ लीविंग) जो आधुनिक मेडिकल साइंस और जीवन जीने की कला को जोड़ता है। इनका हृदय रोग के रिवर्सल के लिए चलाया गया त्रिदिवसीय कार्यक्रम बहुत प्रसिद्ध हुआ। यह कार्यक्रम भारत के लगभग सभी मुख्य शहरों में शुरू किया गया है। हृदय की देखभाल के लिए इन्होंने जो ‘साओल हृदय कार्यक्रम’ चलाया है वह भारत में हृदय की देखभाल का सबसे लोकप्रिय तरीका है जिसमें चीर-फाड़ की कोई आवश्यकता नहीं पड़ती।
डॉ. छाजेड़ ने सौ से ज्यादा किताबें लिखी हैं, जिनकी गिनती सर्वाधिक बिकने वाली किताबों में होती है। इनकी किताबों का भारत की लगभग सभी क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद किया गया है। इन्होंने ‘जीरो ऑयल कुकिंग’ के माध्यम से भोजन बनाने का नया तरीका भी बताया, जो पूरे भारत में बहुत प्रसिद्ध हुआ । इन्होंने हृदय रोगियों के लिए बिना तेल के 1000 व्यंजन तैयार किए हैं तथा भारत में सौ से ज्यादा शहरों में तथा विदेशों में भी व्याख्यान दिए हैं। इनकी तनाव प्रबंधन की कक्षाओं और तकनीकों ने हजारों लोगों की जिंदगी बदल दी है। इस क्षेत्र में अपनी इन उपलब्धियों के लिए इन्हें कई बार सम्मानित भी किया जा चुका है। लोग इन्हें नॉन-इनवेसिव डॉक्टर, हार्ट केयर और लाइफ स्टाइल एक्सपर्ट पुकारते हैं। यह खुद को उन डॉक्टरों (कॉर्डियोलॉजिस्ट्स और हार्ट सर्जन्स) से पूरी तरह अलग मानते हैं जो हृदय संबंधी अस्पतालों में हृदय रोगियों का उपचार करते हैं। इनकी संस्था साओल यानी ( साइंस एंड आर्ट ऑफ लिविंग) हृदय रोगियों की जीवनशैली में बदलाव करके बाईपास, एंजियोप्लास्टी किए बिना उनका उपचार करती है। हृदय रोगियों को हृदय सुरक्षा संबंधी चिकित्सकीय पहलुओं के साथ-साथ पारंपरिक दवाइयों, खानपान में बदलावों और योग के बारे में भी बताया जाता है।
डायमंड बुक्स द्वारा “योग द्वारा हृदय रोग से मुक्ति” पुस्तक प्रकाशित की गयी है जिसके लेखक डॉ. बिमल छाजेड़ हैं। हृदय रोगियों को इस नई प्रकार की परिवर्तित चिकित्सा पद्धति ( रिवर्सल थैरेपी) योग वस्तुतः जीवनशैली और जीवन को जीने का मार्ग बताया है, जिसमें आसन, प्राणायाम और ध्यान का समावेश होता है। यह एक विशाल विषय है और इस पर अनेक पुस्तकों की रचना की जा सकती है। चूंकि अलग-अलग लोग योग के ग्रंथों की अपने-अपने तरीके से व्याख्या करते हैं इसलिए इसके विभिन्न संस्करण होना स्वाभाविक है। यह 5,000 वर्ष पुरानी साधना और विषय है। जो प्रागैतिहासिक काल में यकीन करते हैं, उनका कहना है कि योग अनादिकाल ( लगभग 15,000 वर्षों) से चला आ रहा है। योग के हर अंश के कई रूप हैं किंतु इसका एक अभिन्न अंग है जिसमें यम और नियम के दर्शन का समावेश है जो योग में क्या करें और क्या न करें, का बोध कराता है। यह जीवन को किस प्रकार जीना चाहिए संबंधी निर्देश देता है। योग का दर्शन अत्यंत वृहद है जिसमें राजयोग, भक्तियोग, कर्मयोग आदि शामिल हैं।