दुनिया की लगभग 60% आबादी काम करती है उनमें से 80% लोग कार्यस्थल पर काम के दौरान तनाव महसूस करते हैं। कार्यस्थल पर तनाव, कर्मचारियों को काम में आने वाली मांगों, दबावों व चुनौतियों के कारण होने वाले भावनात्मक, शारीरिक व मनोवैज्ञानिक तनाव को कहते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कार्यस्थल पर तनाव को 21वीं सदी की वैश्विक महामारी के रूप में मान्यता दी है। वैश्विक स्तर पर अवसाद व चिंता के कारण प्रतिवर्ष 12 बिलियन कार्य दिवस नष्ट हो जाता हैं, जिससे उत्पादकता में प्रति वर्ष 1 ट्रिलियन डॉलर की हानि होती है। वैश्विक स्तर पर 10 में से 6 कर्मचारी कार्यस्थल पर तनाव का अनुभव करते हैं। 2022 के एक सर्वे के मुताबिक 44% नियोक्ताओं को लगता है कि कर्मचारियों में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं बढ़ रही हैं।
महिलाओं में काम से संबंधित तनाव का अनुभव करने की दर पुरुषों की तुलना में 25% अधिक है, महिलाएं हर महीने लगभग 10 दिनों तक तनाव महसूस करती हैं जबकि पुरुष लगभग 7 दिनों तक तनाव महसूस करते हैं। एक शोध में लगभग 72.2% महिला ने उच्च तनाव स्तर की बात स्वीकार किया, जबकि 53.64% प्रतिशत पुरुषों ने ऐसा कहा। भारत में 71% कर्मचारी कहते हैं कि वे काम पर अपने मानसिक स्वास्थ्य के बारे में खुलकर बात कर सकते हैं, लेकिन 10 में से लगभग 6 (लगभग 56%) का यह मानना है कि उनके प्रबंधकों/सहकर्मियों के पास पूर्व धारणाओं के बिना मानसिक स्वास्थ्य संबंधी बातचीत करने के लिए अवसर नहीं है। भारत में 21-30 वर्ष की आयु के 64 प्रतिशत कर्मचारी उच्च तनाव के स्तर से जूझ रहे हैं। शोध से पता चलता है कि भारत में 40% कर्मचारी बर्नआउट का अनुभव करते हैं, जबकि 38% मध्यम तनाव का अनुभव करते हैं।
कार्यस्थल पर तनाव कारण
- क्षमता से अधिक कार्यभार
- लंबे समय तक काम करना
- नौकरी की असुरक्षा
- सहकर्मियों/अधिकारी के साथ मतभेद
- छोटा समय सीमा
- विफलता का डर
- मौखिक/शारीरिक दुर्व्यवहार
- रूढ़िबद्धता
- सामाजिक बहिष्कार
- भेदभाव
- अतार्किक प्रबंधन शैली
- निर्णय लेने में कर्मचारियों की भागीदारी की कमी
- खराब संचार
- असुविधाजनक कार्य वातावरण
- खराब व्यवहार
कार्यस्थल पर तनाव के लक्षण
शारीरिक लक्षण:
- सिर दर्द
- मांसपेशियों में दर्द
- नींद की समस्या
- कब्ज़ की शिकायत
- भूख की कमी
- दिल की बीमारी
- उच्च रक्तचाप
- मधुमेह
- प्रतिरक्षा प्रणाली की समस्याएं
भावनात्मक लक्षण:
- चिंता
- अवसाद
- गुस्सा
- चिड़चिड़ापन
- थकान
- निराशा
- आत्म सम्मान की कमी
मनोवैज्ञानिक लक्षण:
- ध्यान की समस्या
- स्मृति की कमी
- निर्णय लेने में समस्या
- प्रेरणा की कमी
- सामाजिक गतिविधियों से दूर रहना
- नौकरी छोड़ने
- सेवानिवृत्त लेने के विचार
कंपनी/संगठन की हानि:
- दुर्घटनाओं में वृद्धि
- अनुपस्थिति दर में वृद्धि
- स्टाफ टर्नओवर दर में वृद्धि
- कर्मचारियों में प्रेरणा कमी
- कार्य संतुष्टि में कमी
- काम के प्रतिबद्धता में कमी
- नकारात्मक ब्रांड प्रतिष्ठा
- भर्ती प्रक्रियाओं में पेशेवरों की कम रुचि
- उत्पादकता में कमी
- लाभ में गिरावट
- आर्थिक हानि