घरों में इस्तेमाल होने वाली कुछ चीजें बढ़ा रही कैंसर के खतरे की संभावना

घरों में इस्तेमाल होने वाली कुछ चीजें, ब्यूटी प्रोडक्ट्स और युवाओं में धूम्रपान को लेकर नए प्रयोग, बढ़ा रहें कैंसर के खतरे की संभावना

आज के बदलते दौर में हर चीज एडवांस हो रही है, चाहे वो घरों में इस्तेमाल होने वाली कोई चीज हों, जैसे प्लास्टिक के बोतल में पानी, खाने पीने की चीजों में इस्तमाल होने वाला वाइट कलर का मेयोनीज हो, टी बैग हो या फिर ब्यूटी प्रोडक्ट्स हो जिनमें कई ऐसे केमिकल्स का इस्तेमाल होता है जो कैंसर के खतरे को बढ़ाते हैं, वहीं नई पीढ़ियों में नए शौक जिनमे ई-सिगरेट, हुक्का जैसी चीजें कैंसर की संभावनाओं को बढ़ा रही हैं। 

कैंसर को लेकर लोगों में जागरूकता उत्पन्न हो सके, इसीलिए विश्व में हर साल वर्ल्ड कैंसर डे 4 फरवरी को मनाया जाता है। वर्ल्ड कैंसर रिसर्च फंड इंटरनेशनल की एक रिपोर्ट के अनुसार 2020 में दुनिया भर में लगभग 18.1 मिलियन कैंसर के मामले थे। इनमें से लगभग 9.3 मिलियन मामले पुरुषों में और 8.8 मिलियन महिलाएं थीं। वहीं नेशनल इंस्टीट्यूट आफ हेल्थ की रिपोर्ट के अनुसार 2020 की तुलना में लगभग 2025 में कैंसर के मामलों में लगभग 12.8 प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान है। 

एक्शन कैंसर हॉस्पिटल के मेडिकल ऑनकोलॉजी, सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर जेबी शर्मा, अनुसार घरों में इस्तेमाल होने वाली ऐसे कई चीजें हैं जिनसे कैंसर के खतरे की संभावना बढ़ रही है, जैसे- प्लास्टिक की बोतल में रखा पानी पीना खतरनाक हो सकता है क्योंकि इसमें माइक्रो प्लास्टिक पाए जाते हैं, ठीक इसी प्रकार से लोग आजकल प्लास्टिक की थैली में पैक गर्म चाय लेकर पीते हैं जबकि इसमें भी माइक्रो प्लास्टिक होता है जिसकी आपके शरीर में जाने की संभावना होती है, वहीं आजकल टी बैग के इस्तेमाल के कारण भी कैंसर होने की संभावना बनी रहती है दरअसल इसमें एपिक्लोरो हाइड्रिन नामक एक रसायन होता है, जो गर्म पानी में घुल जाता है और आगे कैंसर का कारण बन सकता है। 

इसके अलावा आजकल की टेक्नोलॉजी में जहां आपके लिए चीज आसान हो गई है वहीं खतरे भी बढ़ गए हैं जैसे यदि आप ओवन में खाना गर्म करके खाते हैं, तो प्लास्टिक के बर्तनों आदि का इस्तेमाल न करें क्योंकि प्लास्टिक से एंडोक्रिन डिस्ट्रक्टिंग नामक खतरनाक केमिकल निकलता है, जो खाने के साथ घुलकर शरीर में चला जाता है और कैंसर की संभावना को बढ़ाता है। इसके अलावा आज कल लोग खाना नॉनस्टिक बर्तन में पकाते हैं और अगर उसमे खाना जल जाय तो एकदम न खाएं क्योंकि इसमें एक्रिलामाइड नाम का केमिकल बनने लगता है और ये कैंसर का कारण बनता है। वहीं मोमोज जैसे खाने पीने की चीजों में इस्तेमाल होने वाला वाइट कलर का मेयोनीज आज कल खूब पसंद किया जा रहा है, मगर इसमें मौजूद फूड एडिटिव की वजह से आपको कोलोरेक्टल कैंसर जैसी गंभीर बीमारी होने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। इसके साथ ही पिज्जा, बर्गर, हॉट डॉग, कार्बोनेटेड ड्रिंक्स, प्रोसेस्ड मीट, सॉसेज, पैकेज्ड फूड, रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट और अधिक मीठे खाद्य पदार्थ के सेवन से आपको कैंसर होने का ज्यादा खतरा होता है। 

ब्यूटी प्रोडक्ट्स कई प्रकार के कैंसर से संबंधित खतरा उत्पन्न कर सकते हैं

धर्मशिला नारायणा सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल के मेडिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के सीनियर कंसलटेंट डॉ. राजित चानना अनुसार, ब्यूटी प्रोडक्ट्स में आजकल बालों को सिल्की करने और चिकना करने के लिए कई प्रकार के केमिकल युक्त उत्पादों का प्रयोग किया जाता है जिसमें फॉर्मेल्डिहाइड और फॉर्मेल्डिहाइड-रिलीजिंग जैसे रसायनों पर एफडीए का प्रतिबंध है। इस प्रकार के प्रोडक्ट का इस्तेमाल कैंसर के खतरे को बढ़ाता है। बालों को सीधा करने वाले इस प्रकार के कुछ उत्पादों के प्रयोग से अल्पकालीन और दीर्घकालीन गंभीर समस्याएं होने की संभावना बनी रहती है। ‌फॉर्मेल्डिहाइड धुएं के संपर्क में आने से आंख, नाक और गले में जलन हो सकती है, साथ ही श्वसन समस्याएं भी हो सकती हैं और आगे चलकर कैंसर का भी जोखिम बढ़ जाता है।

इसको लेकर 2022 के राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान द्वारा अध्ययन से भी कई संकेत मिलते हैं, जिनमें इन रसायनों के धुएं से महिलाओं में गर्भाशय कैंसर की अधिक संभावना को बताया गया है। इसलिए रोजमर्रा के उत्पादों में कार्सिनोजेनिक एजेंटों को पहचान कर उनका प्रयोग न करना अत्यंत महत्वपूर्ण है, इसी से आप संभावित कैंसर की समस्याओं से बच सकते हैं और इसी के साथ यह भी जरूरी है कि आप सुरक्षित हेयर प्रोडक्ट्स की पहचान करके उन्हीं का प्रयोग करें। इसलिए जरुरी है कि कैंसर से बचाव के लिए इनके उपाय के महत्व को समझा जाए और भविष्य में होने वाली इन समस्याओं से बचा जाए।

नई पीढ़ियों में नए शौक से कैंसर का खतरा

डॉक्टर रणदीप सिंह, सीनियर कंसलटेंट एंड डायरेक्टर, मेडिकल ऑनकोलॉजी, नारायणा हॉस्पिटल, गुरुग्राम ने बताया कि, धूम्रपान और शराब के सेवन के साथ-साथ आजकल सिगरेट की लत छुड़ाने के लिए मार्केट में आई ई-सिगरेट जो युवा वर्ग में काफी लोकप्रिय हो रही है, यह सभी कैंसर के खतरे को तेजी से बढ़ा रहे हैं। इसमें प्रयोग होने वाले केमिकल काफी खतरनाक हैं, जैसे निकोटिन, फॉर्मेल्डिहाइड, टिन, निकिल, कॉपर, लेड, क्रोमियम, आर्सेनिक एवं डाई एसेटाइल मेटल जैसे पदार्थ क्वाइल में मिले होते हैं। दरअसल ई-सिगरेट के वेपर को गर्म करने के लिए क्वाइल का इस्तेमाल होता है और इनसे लंग्स कैंसर का खतरा तेजी से बढ़ा है।

इसके अलावा युवा वर्ग में हुक्का पीने का भी चलन तेजी से बढ़ा है, जिसमें कई खतरनाक केमिकल मिलकर फ्लेवर बन रहे हैं। चाहे वह ई सिगरेट हो या फिर फ्लेवर्ड हुक्का दोनों में खतरनाक केमिकल डाई एसिटाइल मिला होता है जो आपकी सेहत के लिए घातक है। इनमें कुछ अन्य प्रकार के हानिकारक केमिकल भी जैसे कार्बन मोनोआक्साइड, कैडमियम, अमोनिया, रे-डॉन (खतरनाक न्यूक्लियर गैस), मिथेन, टॉर (चारकोल), एसिटोन आदि मिले होते हैं जो कैंसर के खतरे को बढ़ाते हैं।

विनीता झा
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