हिंदी साहित्य में प्रकाश मनु एक ऐसा नाम है, जिसे बच्चे और बड़े समान रूप से सम्मान देते हैं। विशेष रूप से, बाल साहित्य में उनके योगदान ने उन्हें एक अद्वितीय स्थान दिलाया है। सरल भाषा, गहरे भाव, और मानवीय संवेदनाओं से परिपूर्ण उनकी रचनाएँ हर आयु वर्ग के पाठकों को आकर्षित करती हैं। उनकी पुस्तक “बालिकाओं की मनभावन कहानियाँ” इसी श्रेणी में एक और रत्न है।
प्रकाश मनु का जन्म 12 मई 1950 को शिकोहाबाद, उत्तर प्रदेश में हुआ। विज्ञान के विद्यार्थी होते हुए भी उनका साहित्य की ओर झुकाव उन्हें इस क्षेत्र में खींच लाया। उनका लेखन समाज, संस्कृति और मानवता के प्रति उनकी गहरी समझ का परिचायक है। बाल साहित्य के प्रति उनके योगदान के लिए उन्हें कई प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त हुए हैं, जिनमें साहित्य अकादमी का पहला बाल साहित्य पुरस्कार और उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान का ‘बाल साहित्य भारती’ पुरस्कार शामिल हैं।
पुस्तक की विशेषताएँ
“बालिकाओं की मनभावन कहानियाँ” डायमंड बुक्स द्वारा प्रकाशित है। इसमें कुल 43 कहानियाँ हैं, जो बालिकाओं की उत्साही, नटखट, और स्वप्नमयी दुनिया को जीवंत करती हैं। ये कहानियाँ न केवल मनोरंजक हैं, बल्कि प्रेरणादायक भी हैं।
आज के दौर में, जब लड़कियाँ हर क्षेत्र में नए मुकाम हासिल कर रही हैं, यह पुस्तक उनके सपनों और संघर्षों को उजागर करती है। खेल, शिक्षा, कला, और अन्य क्षेत्रों में उनकी असाधारण उपलब्धियाँ समाज में उनके बढ़ते कद का प्रतीक हैं। कहानियों में जीवन के बड़े सपने देखने और उन्हें पूरा करने का संदेश है, जो हर बालक और बालिका के भीतर आत्मविश्वास और प्रेरणा का संचार करता है।
प्रकाश मनु की अन्य प्रमुख कृतियाँ
प्रकाश मनु ने बाल साहित्य में अद्वितीय योगदान दिया है। उनकी चर्चित रचनाओं में ‘यह जो दिल्ली है’, ‘कथा सर्कस’, और ‘पापा के जाने के बाद’ जैसे उपन्यास शामिल हैं। बाल कहानियों की उनकी कृतियाँ – ‘प्रकाश मनु की चुनिंदा बाल कहानियाँ’, ‘खुशी का जन्मदिन’, और ‘मातुंगा जंगल की अचरज भरी कहानियाँ’ – पाठकों के बीच अत्यधिक लोकप्रिय हैं।
इसके अलावा, उन्होंने हिंदी बाल साहित्य के इतिहास पर भी गहन कार्य किया है। उनकी पुस्तकें ‘हिंदी बाल साहित्य का इतिहास’, ‘हिंदी बाल कविता का इतिहास’, और ‘हिंदी बाल साहित्य के शिखर व्यक्तित्व’ बाल साहित्य के अध्ययन में मील का पत्थर हैं।