बिलासपुर की हरियाली हुई कम, बढ़ गया प्रदूषण
बिलासपुर: न्यायधानी छत्तीसगढ़ का दूसरा सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर बन गया है। एयर पॉल्यूशन की वेबसाइट पर जारी रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार नगर की हवा (69ug/m3) माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर है। इसकी वजह से भी शहर में सांस की बीमारी का ग्राफ बढ़ता जा रहा है।पर्यावरण विशेषज्ञ शहर की सड़कों पर फैली गंदगी, आसपास जलाए जा रहे कचरे और वाहनों से निकलने वाले धुएं को प्रदूषण का कारण मान रहे हैं। न्यायधानी सहित प्रदेश के दो करोड़ 55 लाख 45 हजार 198 लोग जहरीली हवा में सांस ले रहे हैं। जो डब्ल्यूएचओ के स्वच्छ हवा दिशा-निर्देशों को पूरा नहीं करता है।
छत्तीसगढ़ में सबसे खराब वायु प्रदूषण वाला जिला जांजगीर-चांपा (69.4 ug/m3) माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर पाया गया है।प्रदूषित शहरों में कबीरधाम तीसरे और कोरबा चौथे नंबर पर है। प्रदेश की राजधानी रायपुर और दुर्ग की हालत इन शहरों से ठीक है। दुर्ग छठवें और रायपुर 9वें स्थान पर है। बीजापुर की हालत अच्छी है। यहां स्वच्छ हवा चल रही है। यहां (14µg/m3) माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर हवा चल रही है। एयर पॉल्यूशन ने अपनी वेबसाइट में बताया है कि वायु प्रदूषण एक वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थिति है।

न्यायधानी का वायु गुणवत्ता सूचकांक चिंताजनक स्तर पर
मौसम विभाग के अनुसार, शहर का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 190 तक पहुंच गया, जो कि एक चिंताजनक स्तर है। पहले वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 से 100 के बीच रहता था, लेकिन दिवाली के बाद से यह लगातार बढ़ रहा है और अब प्रदूषण के कारण यह 190 के स्तर तक पहुंच चुका है। इससे पहले यह सूचकांक 100 से ऊपर बना हुआ था। बढ़ता वायु प्रदूषण स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। बिलासपुर में हवा की गुणवत्ता अभी मध्यम प्रदूषित है। यह आज 3+ सिगरेट पीने के बराबर है। दिल या फेफड़ों की बीमारी वाले लोग, बड़े वयस्क, बच्चों और किशोरों को लंबे समय तक थकान को कम करना चाहिए। बाहर सक्रिय होना ठीक है, लेकिन अधिक ब्रेक लेना और कम गहन गतिविधियां करना। अस्थमा से पीड़ित लोगों को अपनी अस्थमा की कार्ययोजना का पालन करना चाहिए और त्वरित राहत दवा को संभाल कर रखना चाहिए। आप अपने वायु प्रदूषण के जोखिम को कम करने के लिए एयर प्यूरीफायर का उपयोग करके और बाहरी गतिविधियों को कम करने के लिए फेस मास्क पहनने पर विचार कर सकते हैं।
न्यायधानी के 86 हजार मकानों से हरियाली गायब
आंकड़ों की ओर देख जाए तो नगर निगम सीमा क्षेत्र में कुल 1 लाख 78 हजार मकान हैं। इन मकानों में 36 फीसदी मकान पुराने हैं और शेष पिछले 15 वर्षों में बने हैं। इन मकानों के लिए जारी की गई अनुज्ञा में पांच पौधे लगाने की शर्त शामिल है, लेकिन बिलासपुर के 86 हजार से अधिक मकानों से हरियाली गायब है। नगरीय निकाय सीमा क्षेत्र में अपना आशियाना बनाने के लिए लोग नियम और शर्तों का पालन करने की हामी तो भरते हैं, लेकिन अनुमति मिलते ही इसे भूल जाते हैं। मकान निर्माण की अनुमति देते समय लोगों को 5 पौधे लगाने और उसे बड़ा होने तक सेवा करने के नियम और शर्ते नगर निगम एक्ट में है, लेकिन अनुमति मिलने के बाद लोग पौधे लगाने की निर्धारित जगह तक नहीं छोड़ रहे हैं। यही कारण है कि निकाय क्षेत्रों में बनने वाले घरों और संस्थानों से हरियाली गायब होती जा रही। निगम अधिकारी इसकी मॉनिटरिंग भी नहीं करते।
सरकारी भवनों और व्यावसायिक संस्थानों का भी यही हाल
शहर के सरकारी भवनों और व्यावसायिक संस्थानों के भवनों में भी 5 पौधे लगाने के नियम का पालन नहीं हो रहा है। भवन अनुज्ञा के बाद जमीन में खुदाई कर बेसमेंट पार्किंग बना रहे हैं, लेकिन पौधे लगाने के लिए जगह तक नहीं छोड़ रहे हैं। जिससे शहर के पर्यावरण में सुधार नहीं दिखाई दे रहा है। सरकारी भवनों में पहले लगे पौधे भी नष्ट होते जा रहे हैं। नगरीय निकाय क्षेत्रों में निर्माण की अनुमति लेते समय भवन के सामने 10 फुट और घर के पीछे 5 फुट की खाली जगह छोड़ने का नक्शा पास कराते हैं। भवन निर्माण की अनुमति मिलने के बाद इस नियम और शर्त को किनारे कर पौधे लगाने तक की जगह नहीं छोड़ रहे है। यही कारण है कि शहरी क्षेत्रों में बने निजी आवासों और संस्थानों की बिल्डिंग के आसपास से हरियाली गायब होती जा रही है।पिछले दिनों रेलवे प्रशासन ने अकस्मात रेलवे तारबहार एरिया के सैकड़ो पर काट दिए थे। सबसे विडंबना यह है कि कटाई के लिए न तो वन विभाग से अनुमति मिलने का इंतजार किया गया और ना ही कटाई के दौरान उन्हें सूचना दी गई। एक के बाद एक 267 हरे- भरे वृक्षों को काट दिया गया।इस अवैध कटाई के प्रकरण को वन विभाग ने गंभीरता से लिया।
अस्थमा और एलर्जी के मरीज बढ़े
सिम्स के आंकड़ों के मुताबिक पिछले वर्षों के मुकाबले इस वर्ष 6 फीसदी टीबी, 39 फीसदी अस्थमा और 28 फीसदी एलर्जी के मरीज बढ़े हैं। जनवरी से अब तक टीबी के 920 मरीज इलाज कराने सिम्स पहुंचे। 450 मरीज अस्थमा का इलाज कराने पहुंचे। 820 लोगों को एलर्जी हुई।
एक्सपर्ट व्यू (1)
वायु प्रदूषण मानव शरीर के हर अंग और लगभग हर कोशिका को नुकसान पहुंचा सकता है। बच्चों को भी बुरी तरह प्रभवित करता है। बच्चे भी अस्थमेटिक हो रहे हैं। श्वांस से संबंधित सभी बीमारियां प्रदूषण से होती हैं। धूल, धुआं, वाहनों से फैलने वाला प्रदूषण हानिकारक है। पांच एमएम माइक्रोन से कम धूल हमारी सांस नली में जाती है जिससे दमा, अस्थमा, सीओपीडी और सिलिकोसिस नाम की बीमारी का जन्म होता है। – डा. अखिलेश देवरस वरिष्ठ चिकित्सक, बिलासपुर
एक्सपर्ट व्यू (2)
पेड़ पौधे मानव जीवन सहित सभी जीव जंतुओं के लिए पर्यावरण का एक अनिवार्य हिस्सा है। पेड़ों व पौधों के अस्तित्व के बिना मनुष्य और जानवरों की अन्य प्रजातियों का जीवन संभव नहीं है। पेड़ पौधे हमें शुद्ध ऑक्सीजन देते हैं जो हमारे जीवन के लिए अनमोल है। ऑक्सीजन का महत्व कोरोनाकाल में सभी को गहराई से समझ में आ गया था। पेड़-पौधे ही हैं जो हो कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित पर्यावरण को शुद्ध और स्वच्छ कार्य कर हमें ऑक्सीजन देते हैं। पौधों से ही हमें सब्जी और फल मिलते हैं जिससे सभी का जीवन चलता है। पौधे लगाने से ही ग्लोबल वार्मिंग को कम किया जा सकता है। – भुवन वर्मा संयोजक, हरिहर आक्सीजोन