संसद का बजट सत्र 2025, जो 31 जनवरी से शुरू हुआ था, 4 अप्रैल को समाप्त हो गया। इस सत्र में कुल 26 बैठकें हुईं और संसद ने कुल 16 अहम विधेयकों को पारित किया। लोकसभा की उत्पादकता लगभग 118% और राज्यसभा की 119% दर्ज की गई।

दो चरणों में हुआ बजट सत्र
पहले चरण में 9 बैठकें हुईं और फिर 13 फरवरी से 9 मार्च तक का अवकाश लिया गया, ताकि विभिन्न मंत्रालयों के लिए संसदीय समितियां “अनुदान मांगों” पर रिपोर्ट तैयार कर सकें। दूसरे चरण में 17 बैठकें हुईं।
राष्ट्रपति का अभिभाषण और धन्यवाद प्रस्ताव
31 जनवरी को राष्ट्रपति ने संविधान के अनुच्छेद 87(1) के तहत दोनों सदनों को संयुक्त रूप से संबोधित किया। लोकसभा में धन्यवाद प्रस्ताव पर 173 सांसदों ने चर्चा की, जो 17 घंटे 23 मिनट तक चली। राज्यसभा में यह चर्चा 21 घंटे 46 मिनट तक चली और 73 सांसदों ने भाग लिया।
केंद्रीय बजट पर गहन चर्चा
1 फरवरी को केंद्रीय बजट 2025-26 प्रस्तुत किया गया। लोकसभा में 169 और राज्यसभा में 89 सांसदों ने बजट पर चर्चा में भाग लिया। इस दौरान रेल, जलशक्ति और कृषि मंत्रालयों की अनुदान मांगों पर विस्तार से चर्चा हुई।
वित्त विधेयक और अन्य महत्वपूर्ण विधेयक
25 मार्च को लोकसभा में वित्त विधेयक पारित किया गया और 27 मार्च को राज्यसभा ने इसे लौटाया। इसी तरह 11 मार्च को मणिपुर से संबंधित पूरक अनुदान विधेयक भी पारित हुआ।
पारित हुए प्रमुख विधेयक
- वक्फ संशोधन विधेयक, 2025: वक्फ संपत्तियों के कुशल प्रबंधन और आधुनिक तरीके अपनाने हेतु।
- आपदा प्रबंधन संशोधन विधेयक, 2025: राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर आपदा योजना को सुदृढ़ करने के लिए।
- “त्रिभुवन” सहकारी विश्वविद्यालय विधेयक, 2025: सहकारी क्षेत्र में शिक्षा व प्रशिक्षण हेतु।
- प्रवासन और विदेशी नागरिक विधेयक, 2025: वीजा व पासपोर्ट नियमों को सरल बनाने के लिए।
- बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक, 2025: बैंकों में शासन सुधार, आरबीआई के प्रति रिपोर्टिंग प्रणाली को बेहतर बनाना।
कुल 11 विधेयक संसद में पेश किए गए, जिनमें से 16 विधेयक लोकसभा और 14 विधेयक राज्यसभा द्वारा पारित या लौटाए गए। इससे यह सिद्ध होता है कि बजट सत्र 2025 न केवल प्रभावी बल्कि ऐतिहासिक रूप से उत्पादक रहा।