राष्ट्रीय बाल चौपाल-2023 में नन्हे कलमकारों के साथ जुटे प्रबुद्ध बाल साहित्यकार 

दिल्ली: देश की अग्रणी साहित्यिक संस्था ‘हिंदी की गूँज’ के तत्वावधान में  बाल दिवस के उपलक्ष्य में आभासी पटल पर आयोजित ‘बाल चौपाल’ का आयोजन रविवार (19 नवंबर) को हर्षोल्लास के साथ किया गया। इस चौपाल में देश के विभिन्न प्रांतों से बच्चे तथा बाल साहित्यकार, शिक्षाविद् , संपादक आदि ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति से देश के नन्हे क़लमकारों की हौसलाअफ़जाई की। कार्यक्रम नन्हे और प्रबुद्ध बाल रचनाकारों  अंशुमान (रांची, झारखंड), अर्णव (जैतरा धामपुर, उत्तर प्रदेश), अवनी राज (दिल्ली), शाम्भवी बरनवाल ( पश्चिम बंगाल), आराध्या गुप्ता (गुजरात), कुंदन गुप्ता, वर्षा सिंह (बिहार), लक्ष्य, लक्षिता, नमन जैन, जैसलीन (दिल्ली), रुध्वी,निहाल (तमिलनाडु) आदि की मिश्रित प्रस्तुतियों से विशिष्ट बन गया। 

कार्यक्रम का सफल संचालन सुप्रसिद्ध साहित्यकार एवं हिंदी की गूँज संस्था के अध्यक्ष श्री नरेंद्र सिंह नीहार तथा डॉ. ममता श्रीवास्तव ने किया। इस अवसर पर साहित्य अकादमी के बाल साहित्य पुरस्कार से सम्मानित सुप्रसिद्ध लेखक एवं सम्पादक डॉ.सूर्यनाथ सिंह मुख्य अतिथि और बाल भास्कर पत्रिका की संपादिका इंद्रा त्रिवेदी विशिष्ट अतिथि के रूप में सम्मिलित हुए। प्रबुद्ध बाल रचनाकारों में रमेश चंद्र पंत ने ‘ तितली बोली भैया मैं तो शहर न जाऊँगी’। नरेंद्र सिंह नीहार जी ने हवा घुटी-घुटी-सी है दीवाली के बाद’  रचना से पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया तो वहीं वरिष्ठ कहानीकार विमला रस्तोगी ने ‘तुम फिर आना’ तथा सुप्रसिद्ध लेखिका रोचिका अरुण शर्मा ने ‘सिद्धू बन गया जादूगर’ द्वारा वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बड़ी सहजता से प्रस्तुत किया। मध्यप्रदेश से वरिष्ठ बाल कहानीकार नीना सोलंकी जी ने भी बच्चों के लिए संदेशपरक कहानी पुरस्कार प्रस्तुत की। वरिष्ठ बाल रचनाकार गौरीशंकर वैश्य जी ने गुल्लक कविता द्वारा बच्चों को बचत का संदेश दिया। संचालन के बीच डॉ. ममता श्रीवास्तव की बाल रचनाओं ने भी वातावरण को सरस बनाए रखा। इन्दिरा त्रिवेदी की कहानी -पापा ने सही कहा था सबका ध्यान आकृष्ट किया। सुप्रसिद्ध बाल कहानीकार एवं साहित्य अकादमी के बाल साहित्य पुरस्कार से सम्मानित श्री सूर्यनाथ सिंह ने कहा कि बच्चों के मन में साहित्य के प्रति प्रेम जगाने के लिए ऐसे आयोजन विशिष्ट हैं। उन्होंने कहा कि यदि विद्यालयी स्तर पर बाल साहित्यकार बच्चों को साहित्य से जोड़ने का प्रयास करें, तो बच्चे साहित्य की ओर आकर्षित होंगे।

डॉ. विनोद प्रसून ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि साहित्य एक ऐसा संस्कार है, जो बालमन को संवेदनशीलता, सौहार्द, सौम्यता, सरसता, सकारात्मकता, सत्यता आदि से संपन्न बनाकर इंसान बनाता है।  उन्होंने बच्चों से कहा कि यदि उनके मन में साहित्य के संस्कार होंगे, तो समाज और संसार के लिए उनके मन में स्नेह और मानवता रहेगी। उन्होंने बच्चों को साहित्य के संस्कारों के लिए मंच उपलब्ध करवाने और प्रेरित करने के लिए ‘हिंदी की गूँज’ संस्था की भूरि-भूरि प्रशंसा की। इस अवसर पर उन्होंने बच्चों के लिए लिखा संज्ञा पर आधारित अपना अवधारणा गीत भी प्रस्तुत किया। इस अवसर पर प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ.मान सिंह,तरुणा पुंडीर , निर्मला जोशी , गिरीश जोशी , प्रमोद चौहान , पूर्णिमा उमेश, उर्मिला रौतेला, सहित हिंदी की गूँज के विभिन्न प्रांतों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।

भावना अरोड़ा ‘मिलन’

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