सावरकर रहे विशुद्ध हिंदू राष्ट्रवाद के अनुयाई

Live News
पहलगाम आतंकी हमले को लेकर बड़ी खबर, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने NIA को सौंपी जांचकांग्रेस सांसद गौरव गोगोई का बयान, बोले- PoK को भारत का हिस्सा बनाने का सही समय हैPahalgam Attack: ईरान और UAE के राष्ट्रपति ने पीएम मोदी को किया फोन, पहलगाम हमले पर की चर्चा'PoK को भारत का हिस्सा बनाने का समय आ गया है', रामपुर में बोले भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी'बिलावल भुट्टो अपनी मानसिक स्थिति की जांच कराएं', बोले केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी'...लेकिन अत्याचारियों को मारना भी धर्म ही है', पहलगाम आतंकी हमले के बाद मोहन भागवत का बड़ा बयानभारत के एक्शन से घबराया पाकिस्तान, राजस्थान बॉर्डर पर फौज को बंकर में रहने के निर्देश दिए, कश्मीर में घरों की तलाशी ले रहे सुरक्षाबलसावधान! भारतीय सेना के स्पेशल फंड को लेकर नहीं हुई कोई कैबिनेट मीटिंग, भ्रामक दावे के साथ पुराना मैसेज वायरलभारतीय रेलवे ने कश्मीर में तैनात गैर-कश्मीरी कर्मचारियों के लिए एडवाइजरी जारी की, जानिए किन बातों का रखना है ख्यालRajat Sharma's Blog | पाकिस्तान के झूठ का पर्दाफाश
पहलगाम आतंकी हमले को लेकर बड़ी खबर, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने NIA को सौंपी जांचकांग्रेस सांसद गौरव गोगोई का बयान, बोले- PoK को भारत का हिस्सा बनाने का सही समय हैPahalgam Attack: ईरान और UAE के राष्ट्रपति ने पीएम मोदी को किया फोन, पहलगाम हमले पर की चर्चा'PoK को भारत का हिस्सा बनाने का समय आ गया है', रामपुर में बोले भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी'बिलावल भुट्टो अपनी मानसिक स्थिति की जांच कराएं', बोले केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी'...लेकिन अत्याचारियों को मारना भी धर्म ही है', पहलगाम आतंकी हमले के बाद मोहन भागवत का बड़ा बयानभारत के एक्शन से घबराया पाकिस्तान, राजस्थान बॉर्डर पर फौज को बंकर में रहने के निर्देश दिए, कश्मीर में घरों की तलाशी ले रहे सुरक्षाबलसावधान! भारतीय सेना के स्पेशल फंड को लेकर नहीं हुई कोई कैबिनेट मीटिंग, भ्रामक दावे के साथ पुराना मैसेज वायरलभारतीय रेलवे ने कश्मीर में तैनात गैर-कश्मीरी कर्मचारियों के लिए एडवाइजरी जारी की, जानिए किन बातों का रखना है ख्यालRajat Sharma's Blog | पाकिस्तान के झूठ का पर्दाफाश

-26 फरवरी विनायक सावरकर पुण्यतिथि पर विशेष-

विनायक दामोदर सावरकर तेजस्वी पुरुष थे। ओज और तेज से भरपूर और राष्ट्र की स्वतंत्रता के लिये पूर्णरुपेण समर्पित, राष्ट्र की स्वतंत्रता के पूर्व और स्वतंत्रता के बाद भी उनका संपूर्ण जीवन राष्ट्र के हित में‌ ही बीता। विप्लवी सावरकर का जन्म 28 मई 1883 को देवलाली के पास भंगुर ग्राम में हुआ। उनके पिता का नाम दामोदर पंत और माँ का राधादेवी था। सावरकर के और दो भाई गणेशपंत, नारायण राव भी थे। ये जाति से ब्राम्हण थे। दोनों भाई देश भक्ति में आगे ही आगे रहते। इसी कारण बड़े भाई गणेश पंत को विनायक के पहले से ही काले पानी की सजा हो गई थी। भंगुर ग्राम में प्रारंभिक शिक्षा के बाद वे उच्च शिक्षा के लिये नासिक गये।

सन् 1905 में सावरकर ने बी.ए. की परीक्षा उत्तीर्ण की। सन् 1906 से उन्होंने कानून की पढ़ाई शुरु की। आगे की पढ़ाई के लिये वे लंदन गये। कहने को तो ये बैरिस्ट्री की सनद लेने गये थे पर वास्तव में सावरकर विदेश में रहकर भारत की आजादी के लिये कार्य करने गये थे। वे 1906 में लंदन के ग्रेइन में दाखिला लिये। उन्होंने ग्रेइन की अंतिम परीक्षा भी उत्तीर्ण कर ली। लेकिन ग्रेइन की संचालन समिति के बेंचरों ने उन्हें बार में बुलाने से इंकार कर दिया। सावरकर ने राष्ट्रवादी विचारों के लिये लंदन में ही “फ्री इंडिया सोसायटी” की स्थापना की। जिसके माध्यम से वे अभिनव भारत को अपनी परिकल्पना को साकार करने के लिये समान विचारों वाले युवको को एक मंच पर एकत्र करते थे। ब्रिटिश अधिकारियो को उनकी गतिविधियों की भनक लग गई थी तथा स्काटलैण्ड यार्ड के जासूस उन पर नजर रख रहे थे। ग्रेइन ब्रिटिश में कानून की पढ़ाई का सबसे पुराना अध्ययन केन्द्र था। उसके अलावा तीन अन्य केंद्र लिंकन्स इन, इनर टेपल, मिडिल टैपुल भी थे। वे चारों केंद्र कानूनी अध्ययन के प्रतिष्ठित केंद्रों में थे।

ब्रिटेन में परंपरानुसार प्रत्येक बैरिस्टर को इन चार में से किसी एक सोसायटी का सदस्य होना अनिवार्य हैं। ये सोसायटियां ही उत्तीर्ण छात्रों को वैरिस्टर की उपाधि प्रदान करती थीं। सावरकर ने जब कानून की अंतिम परीक्षा भी पास कर ली तब उन्हें उपाधि के लिये बार में नहीं बुलाया गया तो उन्होंने उच्च अधिकारियों के समक्ष इसकी शिकायत की। इस मामले में एक जांच कमेटी बनाई गई जिसके पास पहले से ही सावरकर के खिलाफ ब्रिटेन विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने का आरोप पत्र था। जाँच में सावरकर के विरुद्ध कुछ भी साबित नहीं हो सकने के बावजूद कमेटी ने सावरकर के विरुद्ध ही निर्णय लेकर उन्हें उपाधि नहीं देने का अन्यायी निर्णय लिया। और सावरकर को कानून की पूरी पढ़ाई कर लेने के बाद भी वैरिस्टर के रुप में मान्यता नहीं दी गई। जाँच कमेटी ने उन्हें यह कहा कि वे यह लिखकर दें कि वे राजनीति में कभी भाग नही लेंगे तो उन्हें वैरिस्टर बनाने पर विचार किया जा सकता है। लेकिन सावरकर ने बेझिझक उनका वह प्रस्तात ठुकरा दिया।

सन् 1905 में इनका विवाह जवाहर के दीवान श्री चिपणुकर की पुत्री से हुआ था। प्रसिद्ध क्रांतिकारी कृष्ण शर्मा से संपर्क होने पर उनकी बैरिस्टर की पढ़ाई एवं क्रांतिकारी गतिविधिया दोनों साथ चलने लगी। सावरकर की राजनीतिक गतिविधियों पर गुप्तचर, विभाग की निगाहें शुरु से ही थी। अतएव उन्हें वैरिस्टी की पढ़ाई के बाद भारत आने से रोक दिया गया। उन पर राजद्रोह के आरोप लगाये गये। और उनकी गिरफ्तारी का वारंट इंग्लैंड भेजा गया। 13 मार्च 1910 को सावरकर गिरफ्तार कर लिये गये। उन पर ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध राजद्रोह तथा नासिक में एक ब्रिटिश कलेक्टर ए एस टी जैक्सन की हत्या के पड्यंत्र में शामिल होने का आरोप लागाया गया। उन्हें इस अभियोग में अंडमान निकोबार द्वीप में पचास वर्ष के आजीवन काले पानी कारावास की सजा सुनाई गई।

अंडमान द्वीप में सावरकर पर अंग्रेज सरकार ने यंत्रणाओ की बौछार कर दी, जिससे उनका स्वास्थ्य बहुत खराब हो गया। 1924 में सावरकर को वहाँ कलकत्ता भेज दिया गया। अलीपुर जेल एवं रत्नागिरी जेलों में उन्हें क्रमशः बंद रखा गया। सन् 1937 में काग्रेस मंत्रीमंडल का गठन होने पर दस मई 1937 का सावरकर को कारावास से मुक्त कर दिया गया। मुक्त होने के बाद सावरकर पुनः स्वतंत्रता संग्राम की आग में कूद पड़े। इस बार सावरकर का राष्ट्रवाद विशुद्ध हिंदू राष्ट्रवाद था और इसी विचारधारा क कारण वे उपेक्षित रहे।    

सुरेश सिंह बैस "शाश्वत"
सुरेश सिंह बैस “शाश्वत”

Loading

Book Showcase
Book 1 Cover

मोदी की विदेश नीति

By Ku. Rajiv Ranjan Singh

₹495

Book 2 Cover

पीएम पावर

By Kumar Amit & Shrivastav Ritu

₹228

संभोग से समाधि की ओरर

By Osho

₹288

चाणक्य नीति - चाणक्य सूत्र सहितढ़ता

By Ashwini Parashar

₹127

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Translate »