-26 फरवरी महाशिवरात्रि पर्व पर विशेष-
यह महाशिवरात्रि पर्व प्रायः सारे भारत में मनाए जाने वाला पवित्र पर्व है। जहां यह पर्व शिव के भक्तों और उपासकों के लिए व्रत स्नान और शिवालयों में पूजन से जुड़कर मोक्ष प्रदान करता है। वहीं दार्शनिकों तत्व ज्ञानियों और प्रबुद्ध जनों के लिए शिवत्व की महिमा का विशेष महत्व है। महाशिवरात्रि पर जहां हिंदू जनता पवित्र पूजन करती है और उपवास रखती है, वहीं अनेक लोग शिव पार्वती की मूर्ति बनाकर बेल पत्रों से उनका पूजन करते हैं। कुछ लोगों के पास तो भगवान शिव के वाहन नंदी बैल की भी चांदी की प्रतिमा होती है इसे वे बनाते हैं और उसकी भी पूजा-अर्चना की जाती है।

नंदी पर सवार रहने के कारण शिव को नंदीकेश्वर भी कहा जाता है। भगवान शिव को काम शास्त्र तथा रसायन शास्त्र का प्रतीक माना जाता है। ऐसी कल्पना भी है कि शिव की उत्पत्ति परम शिव से हुई है। सृष्टि की रचना में अन्न, दूध घी तथा वर्षा पोषक तत्व है। इन सब का प्रतीक वृषभ है।
शिव की आराधना मनुष्य की जड़ता और अज्ञानता को काटती है,और मनुष्य में सृजन शक्ति का विकास होता है। इस सृजन शक्ति से ही जगत का अधिकतम कल्याण संभव है। पर यह तभी संभव है।जब हर मानव भीतर के शिव को जागृत करके परम शिव में समाहित कर दे।
वास्तव में प्रतिभाशाली एवं बुद्धिमान व्यक्ति वह है जो प्रिय वस्तु खो जाने पर कभी शोक संतप्त नहीं होता अर्थात सुख एवं दुख में समभावी बना रहता है। नील रूद्रोपनिषद ग्रंथ में ऋषियों ने भगवान शंकर से विश्व कल्याण हेतु याचना करते हुए कहा है कि ” हे कैलाश वासी शिव” हम अपनी मंगलमयी वाणी द्वारा आपके अत्यंत निर्मल यश का गान करते हैं। क्योंकि ऐसा करने से यह संपूर्ण विश्व हमारे अनुकूल होकर दु:ख शून्य हो जाएगा। आपके बाण कल्याणकारी हैं। आपका धनुष और उसकी प्रत्यंचा भी कल्याणकारी है ।
“हे कल्याण स्वरूप अपने इन आयुधों के द्वारा आप हमें जीवन देते हैं।”हे भगवान रुद्र आप पर्वत पर निवास करते हुए भी सबका मंगल करते हैं। आपका जो पाप नाशक स्वरूप है, उसके द्वारा हमें सब और से प्रकाश दीजिए।”

