भारत सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा उत्तर प्रदेश के आगरा में आयोजित दो दिवसीय चिंतन शिविर के पहले दिन की शुरुआत कमजोर और वंचित समुदायों के सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण के लिए चलाई जा रही योजनाओं की समीक्षा के साथ हुई। इस सम्मेलन में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के सामाजिक न्याय एवम कल्याण विभागों के मंत्री और वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। यह सम्मेलन सरकारी पहलों की समीक्षा करने और हाशिए पर रहने वाले समुदायों के लिए भविष्य की नीतियों पर रणनीति बनाने के लिए एक मंच के रूप में कार्य कर रहा है। उद्घाटन सत्र में गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत हुआ और दीप प्रज्वलन के साथ कार्यक्रम की शुरुआत की गई। इस अवसर पर केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार, राज्य मंत्री श्री बी.एल. वर्मा और श्री रामदास आठवले उपस्थित रहे।
आर्थिक सशक्तिकरण पर हुआ मंथन: आर्थिक सशक्तिकरण सत्र में समाज के हाशिए पर रहने वाले वर्गों, जैसे अनुसूचित जाति,जनजाति , अन्य पिछड़ा वर्ग , आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग, विमुक्त जनजाति , और दिव्यांगजनो के उत्थान के लिए सरकार की रणनीतिक योजनाओं को प्रस्तुत किया गया। इस सत्र में प्रधानमंत्री अनुसूचित जाति अभ्युदय योजना जैसी योजनाओं पर विस्तार से चर्चा की गई, जिसमें प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना और राज्यों एवम जिलों को अनुदान सहायता जैसे उप-कार्यक्रम शामिल थे, जो अनुसूचित जाति एवम जनजाति
समुदायों के सशक्तिकरण के लिए हैं। निर्माण व मरम्मत छात्रावास योजना पर भी चर्चा की गई, जिसमें अनुसूचित जाति एवम जनजाति छात्रों के लिए आवासीय बुनियादी ढांचे में सुधार पर जोर दिया गया।
इस सत्र के अन्य मुख्य कार्यक्रमों में दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 (SIPDA) के क्रियान्वयन की योजना शामिल थी, जिसका उद्देश्य दिव्यांगजनों के लिए समावेश और पहुंच सुनिश्चित करना है, और प्रधानमंत्री दक्ष योजना , जो कौशल विकास और व्यावसायिक प्रशिक्षण पर केंद्रित है। सत्र में अनुसूचित जाति उद्यमियों के लिए वेंचर कैपिटल फंड पर भी चर्चा की गई, जो अनुसूचित जाति समुदायों में उद्यमिता को प्रोत्साहित करने के लिए वित्तीय सहायता और पूंजी प्रदान करता है।
इस सत्र में सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया गया, जिसका उद्देश्य हाशिए पर रहने वाले समुदायों को आर्थिक स्वतंत्रता प्रदान करना है, ताकि वे भारत की आर्थिक वृद्धि में सक्रिय भागीदार बन सकें।
शैक्षिक सशक्तिकरण पर ध्यान केंद्रित: शैक्षिक सशक्तिकरण सत्र में हाशिए पर रहने वाले समुदायों को सशक्त बनाने और सामाजिक गतिशीलता को बढ़ावा देने में शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया गया। इस सत्र में कमजोर वर्गों के लिए शिक्षा में बाधाओं को दूर करने के लिए छात्रवृत्तियों और पहलों पर प्रस्तुतियां दी गईं।
इस सत्र में अनुसूचित जाति के लिए पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना और अनुसूचित जाति
एवं अन्य के लिए प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजनाओं को प्रदर्शित किया गया, जो योग्य छात्रों को विभिन्न स्तरों पर शिक्षा प्राप्त करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती हैं, ताकि कोई भी छात्र वित्तीय बाधाओं के कारण शिक्षा से वंचित न हो। राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल , जो देश भर के छात्रों के लिए विभिन्न छात्रवृत्तियों तक आसान पहुंच प्रदान करने वाला एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है, पर भी चर्चा की गई।
अन्य महत्वपूर्ण पहलों में यंग अचीवर्स योजना के लिए उच्च शिक्षा छात्रवृत्ति, जो चुनिंदा संस्थानों में उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे अनुसूचित जाति
और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए छात्रवृत्ति प्रदान करती है, शामिल हैं। इसके अलावा, दिव्यांग छात्रों के लिए छात्रवृत्ति योजनाओं को भी प्रस्तुत किया गया, ताकि विशेष आवश्यकताओं वाले छात्रों को शैक्षिक अवसर प्राप्त हो सकें। सत्र में प्रधानमंत्री युवा अचीवर्स छात्रवृत्ति पुरस्कार योजना और लक्षित क्षेत्रों में छात्रों के लिए आवासीय शिक्षा योजना पर भी चर्चा की गई, जो उच्च विद्यालय के छात्रों को आवासीय शिक्षा प्रदान करती है।
इस सत्र में सरकार की यह प्रतिबद्धता स्पष्ट हुई कि सभी के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच सुनिश्चित की जाए, जिससे दीर्घकालिक सशक्तिकरण और सामाजिक समावेश को बढ़ावा मिले।
सामाजिक सशक्तिकरण पर ध्यान केंद्रित:
दिन के अंतिम सत्र में सामाजिक सशक्तिकरण के लिए महत्वपूर्ण सामाजिक कल्याण पहलों की प्रगति की समीक्षा की गई, जो कमजोर समुदायों के अधिकारों की रक्षा और उन्हें बढ़ावा देने के उद्देश्य से हैं।
सत्र में नागरिक अधिकार अधिनियम, 1955 और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के कार्यान्वयन की स्थिति पर चर्चा की गई, जो अनुसूचित जाति और जनजाति के खिलाफ अत्याचार और भेदभाव को रोकने के लिए कानूनी सुरक्षा प्रदान करते हैं। चर्चा के केंद्र में यांत्रिक स्वच्छता पारिस्थितिकी तंत्र के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना थी, जो मैनुअल सफाई को समाप्त करने और सफाई कर्मचारियों के कल्याण को बढ़ावा देने के लिए एक प्रमुख पहल है।
अटल वयो अभ्युदय योजना , जो वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण और सम्मानजनक वृद्धावस्था पर केंद्रित है, पे भी चर्चा हुई। यह योजना बुजुर्गों को वित्तीय सहायता, स्वास्थ्य देखभाल और सामाजिक सुरक्षा प्रदान करती है। इसके अलावा, सहायक उपकरणों की खरीद के लिए दिव्यांग व्यक्तियों को सहायता पर भी चर्चा की गई, जो दिव्यांगजनों को आवश्यक उपकरण और उपकरण प्रदान करके उनकी गतिशीलता, कार्यक्षमता, और स्वतंत्रता को बढ़ाता है।
इसके बाद नशीली दवाओं की मांग में कमी के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना और नशा मुक्त भारत अभियान पर चर्चा की गई, जिनका उद्देश्य जागरूकता अभियानों, पुनर्वास और निवारक उपायों के माध्यम से मादक पदार्थों के सेवन और नशा की लत से निपटना है।
अंत में, दिव्यांगजन पुनर्वास योजना को हाइलाइट किया गया, जो गैर सरकारी संगठनों और सरकारी निकायों के नेटवर्क के माध्यम से दिव्यांगजनों को व्यापक पुनर्वास सेवाएं प्रदान करती है।
इस सत्र ने सरकार के समग्र दृष्टिकोण को सशक्त किया, जिसमें सामाजिक सशक्तिकरण के लिए कानूनी, सामाजिक और कल्याणकारी ढांचे को सुनिश्चित करने पर जोर दिया गया, ताकि हाशिए पर रहने वाले समुदायों को एक बेहतर भविष्य के अवसर प्राप्त हो सकें।दिन का समापन एक शानदार सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ हुआ, जिसमें भारत की विविधता और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का उत्सव मनाया गया। यह कार्यक्रम सरकार की हाशिए पर रहने वाले समुदायों के सामाजिक-आर्थिक और शैक्षिक सशक्तिकरण के प्रति अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है।