इस संसार में अकेले रहना संभव ही नहीं, चाहे दिन हो या रात, चाहे जाड़ा हो या बरसात, चाहे घर के अंदर हो या घर के बाहर आपको लोगों से मिलना ही पड़ता है और आपकी ख़ुशी और आपकी सफलता का बहुत बड़ा प्रतिशत इस बात पर निर्भर करता है कि आप लोगों से कैसे व्यवहार करते हैं। सरल शब्दों में जो लोग लोक व्यवहार की कला में माहिर होते हैं उनका जीवन सुखमय और सफल तो होता ही है साथ ही साथ उनकी लोकप्रियता भी बढ़ती है और जो लोग इस कला में पीछे रह जाते हैं, दुर्भाग्यवश उन्हें जीवन में – दूसरों से सहयोग पाने में, अपनी बातों को समझाने और मनवाने में समस्याएं आती हैं, जिसकी वजह से उनके जीवन में दुख और असंतोष बढ़ जाता है। डायमंड बुक्स द्वारा प्रकाशित पुस्तक राजलनीति लोक व्यवहार लोकप्रिय बनें, सफल बनें जिसके लेखक राजल गुप्ता है।
“राजल” बेस्ट सेलर लेखक व वक्ता हैं। उनकी पुस्तक ‘राजलनीति टाइम मैनेजमेंट’ और ‘राजलनीति स्ट्रेस मैनेजमेंट’ बेस्ट सेलर रही है। टाइम मैनेजमेंट और स्ट्रेस मैनेजमेंट विषय पर किसी भी भारतीय लेखक की किताब का अनुवाद इतनी भाषाओं में नहीं हुआ जितनी कि राजल द्वारा लिखित पुस्तकों का हुआ है। राजलनीति श्रृंखला की पुस्तकें 14 से अधिक भाषाओं में अनुवादित हो चुकी हैं और भी कई अन्य भाषाओं में तेज़ी से अनुवाद की जा रही है ।
राजलनीति लोक व्यवहार” को 6 खंडों में बाँटा है :-
- पहला खंड जिसमें “आप ख़ुद के साथ तालमेल कैसे बैठाएँ” विषय पर ।
- दूसरे खंड में “दूसरों के साथ लोक व्यवहार और बेहतर तालमेल कैसे स्थापित करें” विषय पर।
- तीसरे खंड में “लोक व्यवहार की कला” में महारथी बनने की तकनीकों के बारे में बताया गया है ।
- चौथे खंड हम “लोक व्यवहार से जुड़ी कुछ और महत्त्वपूर्ण बातों” पर।
- पाँचवे खंड “अन्य क्षेत्रों के लोक व्यवहार” पर।
- छठवें खंड में हम “समापन” यानी अंत में लोक व्यवहार से जुड़ी।
अगर आप सिर्फ़ लोक व्यवहार की कला को इस्तेमाल करने की बातों को ही जानना चाहते हैं तो सीधे खंड 3 पर जाएँ, जहां आपको प्रशंसा कैसे करें, धन्यवाद कैसे दें, ग़ुस्से से कैसे बचे, आलोचना से कैसे निपटें और अगर आपको आलोचना करनी हो तो कैसे करें, मुस्कुराना आवश्यक क्यों है इत्यादि जैसी महत्त्वपूर्ण लोक व्यवहार की कलाओं पर जानकारी दी गयी है ।
“राजलनीति लोक व्यवहार” पढ़िये और जानिए की लोक व्यवहार की कला के महारथी कैसे दूसरे लोगों के साथ इतनी आसानी से तालमेल बना लेते हैं और लोकप्रिय और सफल बनते हैं । लोक व्यवहार की कला में महारथ कैसे हासिल करें -कैसे लोक व्यवहार की कला आपको एक अच्छा इंसान बनाएगी ? कैसे लोक व्यवहार की कला आपको लोकप्रिय बनाएगी और आपके मित्रों और शुभचिंतकों की संख्या बढ़ाएगी ? कैसे लोक व्यवहार की कला आपका आत्मविश्वास बढ़ाएगी ? कैसे लोक व्यवहार की कला आपको ज़्यादा ख़ुश व उत्साही बनाएगी ? कैसे लोक व्यवहार की कला आपके परिचित का दायरा और आपका नेटवर्क बढ़ाएगी ? कैसे लोक व्यवहार की कला आपको धनवान बनने में और धन बचाने में भी आपकी सहायता करेगी?
आप इस पुस्तक को केवल एक बार पढ़कर न रखें बल्कि इसका अध्ययन नियमित अंतराल पर करते रहें क्योंकि जब आप किसी किताब को दोबारा पढ़ते हैं तो आपको उसमें कुछ ऐसा दिखता है जो आपको पिछली बार दिखाई नहीं दिया था। और हर बार जब आप किताब को दोबारा पढ़ेंगे तो आपको कुछ नया और उपयोगी मिलेगा। एक और भी कारण है कि आपको किताब को दोबारा पढ़ना चाहिए और वह है हमारी भूलने की आदत, हम चीज़ों को बहुत तेज़ी से भूलते जातें हैं और चीज़ें हमारे दिमाग़ में रहे, इसलिए हमें बार-बार उन्हें दोहराना पड़ता है । इसलिए कंपनियाँ अपने प्रोडक्ट के प्रचार को बार-बार दिखाती हैं ताकि उनका प्रोडक्ट हमारे दिमाग़ में हमेशा रहे ।
एक आदमी जो अपना वजन कम करने के उद्देश्य से एक एक्सरसाइज साइकिल खरीदने के लिए इसकी दुकान पर गया । उसने दुकानदार से पूछा कि इस साइकिल से मेरा कितना वजन कम हो जाएगा, इस पर दुकानदार ने मुस्कुरा कर जवाब दिया ‘आप जितना अधिक साइकिल चलाएंगे उतना ही अधिक आपका वजन कम होगा ।’ मैं आपसे कहना चाहूंगा कि जैसे उस वजन कम करने वाले व्यक्ति का वजन कम होना इस बात पर निर्भर है कि वह एक दिन नहीं बल्कि नियमित रूप से वह कितनी देर तक साइकिल चलाता है उसी प्रकार आपका लोक व्यवहार की कला में माहिर होना (लोकप्रिय और सफल बनना) भी इस बात पर निर्भर है कि आप “राजलनीति लोक व्यवहार” में बताए गए सिद्धांतों को कितनी बार पढ़ते हैं और कितनी बार अमल में लाते हैं ।