अप्रैल फूल दिवस हर वर्ष 1 अप्रैल को मनाया जाता है। इसे “ऑल फूल्स डे” के नाम से भी जाना जाता है। यह दिन छुट्टी का दिन नहीं होता, फिर भी इसे दुनियाभर में हंसी-मजाक और हल्के-फुल्के व्यावहारिक परिहास के लिए जाना जाता है। इस दिन लोग अपने मित्रों, परिवारजनों, शिक्षकों, सहकर्मियों और पड़ोसियों के साथ मज़ाक करते हैं। उद्देश्य होता है—हंसी-मजाक के माध्यम से आपसी संबंधों को और अधिक मधुर बनाना।

अप्रैल फूल दिवस की शुरुआत का कोई निश्चित प्रमाण नहीं है, लेकिन इसे 16वीं शताब्दी से जोड़ा जाता है। कहा जाता है कि जब ग्रेगोरियन कैलेंडर अपनाया गया, तब नववर्ष 1 जनवरी से मनाया जाने लगा। लेकिन कुछ लोग अब भी इसे 1 अप्रैल को मनाते थे, जिससे वे हंसी और परिहास का पात्र बन गए। धीरे-धीरे यह परंपरा लोकप्रिय हो गई और इसे ‘मूर्ख दिवस’ के रूप में मनाया जाने लगा। अप्रैल फूल केवल एक देश की परंपरा नहीं है, बल्कि यह दुनिया भर में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है।
ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और दक्षिण अफ्रीका में यह परंपरा है कि अप्रैल फूल का मज़ाक केवल दोपहर तक ही किया जाता है। यदि कोई दोपहर के बाद मज़ाक करता है, तो उसे स्वयं ही अप्रैल फूल घोषित कर दिया जाता है।
फ्रांस और बेल्जियम में इसे “पोइसन डी एव्रिल” (Poisson d’Avril) कहा जाता है। यहाँ परंपरा है कि लोग कागज की मछली बनाकर दूसरों की पीठ पर चुपके से चिपका देते हैं और जब तक वह व्यक्ति इसे खुद न देख ले, तब तक सभी उसका मज़ाक उड़ाते हैं।
ईरान में इसे “सिज़्दा बेदर” के नाम से जाना जाता है। यह परंपरा फारसी नववर्ष ‘नौरोज’ के 13वें दिन मनाई जाती है, जो 1 या 2 अप्रैल को पड़ती है। यह दुनिया की सबसे पुरानी ज्ञात परिहास परंपरा मानी जाती है।
जर्मनी और नीदरलैंड में मज़ाक पूरे दिन चलता है। लोग एक-दूसरे को झूठी खबरें देते हैं और फिर “अप्रैल-अप्रैल!” कहकर उनकी प्रतिक्रिया पर हंसते हैं।
स्पेन और कई लैटिन अमेरिकी देशों में मज़ाक का दिन 28 दिसंबर को “डे ऑफ होली इनोसेंट्स” के रूप में मनाया जाता है। इस दिन लोग एक-दूसरे से हल्के-फुल्के मज़ाक करते हैं और अंत में कहते हैं, “इनोसेंट!” जिससे यह स्पष्ट हो जाता है कि यह सिर्फ़ एक मज़ाक था।
स्कॉटलैंड में इसे “हंट द गौक डे” कहा जाता है। यहाँ लोग किसी को एक पत्र देकर किसी अन्य व्यक्ति के पास भेजते हैं और पत्र में लिखा होता है, “हंट द गौक” (मूर्ख को और दूर भेजो)। इस प्रकार व्यक्ति को एक से दूसरी जगह भेजा जाता है और अंततः उसे समझ में आता है कि वह मज़ाक का शिकार हो गया है।
डेनमार्क में 1 अप्रैल को “माज-काट” (Maj-kat) कहा जाता है, जिसका अर्थ है ‘मई की बिल्ली’। इस दिन मीडिया और समाचार पत्र भी नकली खबरें प्रकाशित करते हैं, जिन्हें अंत में “अप्रैल फूल!” कहकर उजागर किया जाता है।
हालांकि, अप्रैल फूल का उद्देश्य केवल हंसी-मजाक होता है, लेकिन यह जरूरी है कि किसी भी प्रकार के मज़ाक से किसी को ठेस न पहुंचे। आजकल सोशल मीडिया के ज़माने में फर्जी खबरें फैलाना भी एक समस्या बन गई है, इसलिए हमें ध्यान रखना चाहिए कि मज़ाक अच्छे इरादे से किया जाए और इससे किसी को कोई नुकसान न पहुंचे।
अप्रैल फूल एक ऐसा अवसर है, जब लोग अपनी चिंताओं को भूलकर हंसी-मजाक करते हैं। यह सामाजिक सौहार्द को बढ़ाने में भी सहायक होता है। हर संस्कृति में इसे मनाने के अलग-अलग तरीके हैं, लेकिन मुख्य उद्देश्य लोगों के चेहरे पर मुस्कान लाना होता है।
तो इस 1 अप्रैल को, किसी को हल्के-फुल्के और स्वस्थ मनोरंजन के साथ हंसाने का प्रयास करें, लेकिन ध्यान रहे कि आपका मज़ाक किसी की भावनाओं को ठेस न पहुँचाए।
