बर्ड फ्लू पर कड़ा प्रहार: सरकार और कुक्कुट उद्योग की संयुक्त रणनीति

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देश में बर्ड फ्लू के बढ़ते खतरे के बीच सरकार और पोल्ट्री उद्योग ने मिलकर इससे निपटने के लिए एक सशक्त रणनीति तैयार की है। मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के तहत पशुपालन एवं डेयरी विभाग (DAHD) द्वारा आयोजित उच्च स्तरीय बैठक में देशभर के वैज्ञानिक विशेषज्ञ, नीति निर्माता और पोल्ट्री उद्योग के प्रमुख प्रतिनिधि एक मंच पर आए।

बैठक की अध्यक्षता सचिव श्रीमती अलका उपाध्याय ने की, जिन्होंने बर्ड फ्लू के वर्तमान परिदृश्य की गंभीर समीक्षा की और इसके व्यापक नियंत्रण के लिए त्वरित कदम उठाने की आवश्यकता पर बल दिया।

बर्ड फ्लू नियंत्रण की त्रि-आयामी रणनीति

DAHD ने एक सशक्त त्रि-आयामी रणनीति तैयार की है जिसमें शामिल हैं:

  • कड़ी जैव सुरक्षा: पोल्ट्री फार्मों को अब स्वच्छता मानकों को कड़ा करना होगा, प्रवेश पर निगरानी रखनी होगी और संक्रमण की आशंका को कम करने के लिए कठोर प्रोटोकॉल अपनाने होंगे।
  • सुदृढ़ निगरानी: सक्रिय निगरानी तंत्र के ज़रिए वायरस की पहचान और त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
  • फार्मों का अनिवार्य पंजीकरण: एक महीने के भीतर सभी पोल्ट्री फार्मों को राज्य पशुपालन विभागों के साथ पंजीकृत कराना अनिवार्य किया गया है।

सख्त संदेश: 100% अनुपालन जरूरी

सरकार ने उद्योग के हितधारकों से स्पष्ट शब्दों में कहा है कि इस दिशा-निर्देश का पूरी तरह पालन सुनिश्चित किया जाए, ताकि किसी भी संभावित प्रकोप को समय रहते रोका जा सके।

वैज्ञानिक समाधान और टीकाकरण पर जोर

बैठक में यह बात प्रमुखता से सामने आई कि भविष्य में बर्ड फ्लू की भविष्यवाणी और शुरुआती चेतावनी के लिए एक पूर्वानुमान आधारित मॉडल विकसित किया जाना चाहिए। साथ ही, ICAR-NIHSAD, भोपाल द्वारा विकसित H9N2 वैक्सीन के प्रयोग को भी हरी झंडी दी गई है। वैक्सीन की प्रभावशीलता का राष्ट्रीय स्तर पर मूल्यांकन किया जाएगा।

एचपीएआई (HPAI) वैक्सीन के उपयोग को लेकर विचार-विमर्श हुआ, जिसमें विशेषज्ञों ने स्पष्ट किया कि वर्तमान टीके बाँझ प्रतिरक्षा नहीं देते, केवल वायरस के प्रभाव को सीमित करते हैं। इस विषय पर वैज्ञानिक रूप से ठोस मूल्यांकन के बाद ही अंतिम नीति बनाई जाएगी।

देशभर में प्रकोप की स्थिति

वर्तमान में झारखंड, तेलंगाना और छत्तीसगढ़ में छह सक्रिय प्रकोप क्षेत्र हैं। 1 जनवरी से 4 अप्रैल 2025 तक देश में कुल 34 केंद्रों पर बर्ड फ्लू का असर देखा गया, जो 8 राज्यों में फैले हुए हैं।

गैर-पोल्ट्री प्रजातियों पर भी असर

बर्ड फ्लू की भयावहता का अंदाज़ा इससे लगाया जा सकता है कि इस बार इसका प्रभाव बाघ, तेंदुआ, कौआ, बगुला जैसी कई जंगली और पालतू प्रजातियों पर भी पड़ा है। महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार और गोवा जैसे राज्यों से ऐसे मामले सामने आए हैं।

सरकार की कार्रवाई: मारो और नियंत्रण करो नीति

भारत सरकार ‘पता लगाओ और मारो’ की सख्त नीति पर कायम है। संक्रमण के बाद प्रभावित पक्षियों को मारना, आवाजाही रोकना और संक्रमित क्षेत्र कीटाणुरहित करना अनिवार्य है। इसके अलावा, सरकार ने किसानों को नुकसान की भरपाई के लिए मुआवजा देने की व्यवस्था भी की है।

वैश्विक स्तर पर सहयोग और डेटा साझा करना

भारत, एच5एन1 वायरस के नमूनों को अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क्स के साथ साझा कर वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा में भी योगदान दे रहा है। साथ ही, केंद्रीय टीमों को राज्यों में प्रकोप प्रबंधन के लिए सक्रिय रूप से तैनात किया जा रहा है।

सख्ती, सजगता और सहयोग—इन्हीं से होगा नियंत्रण संभव

इस सामूहिक प्रयास का उद्देश्य है—देश को बर्ड फ्लू के खतरे से बचाना और पोल्ट्री उद्योग की सुरक्षा करना। सरकार, वैज्ञानिक समुदाय और उद्योग की संयुक्त प्रतिबद्धता ही भारत को इस महामारी से उबार सकती है।

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