श्री सर्बानंद सोनोवाल ने 169.17 करोड़ रुपये की कोच्चि फिशरीज हार्बर की आधारशिला रखी

केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल तथा केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री श्री परशोत्तम रूपाला ने केरल के थोप्पुमपडी में कोच्चि फिशिंग हार्बर के आधुनिकीकरण और उन्नयन कार्यों की आधारशिला रखी।

यह परियोजना 169.17 करोड़ की अनुमानित लागत से विकसित की जा रही है। समग्र परियोजना को मत्स्य पालन विभाग (50 करोड़ रुपये) के अंतर्गत प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) योजना और पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय की सागरमाला परियोजना योजना (50 करोड़ रुपये) से अनुदान के माध्यम से वित्त पोषित किया गया है और पीपीपी ऑपरेटर का निवेश 55.84 करोड़ रुपये है।

परियोजना के पहले चरण में तीन वातानुकूलित नीलामी हॉल, एक गैर-वातानुकूलित हॉल, एक मछली ड्रेसिंग इकाई और अन्य सहायक इकाइयों का निर्माण शामिल है। इस परियोजना के अंतर्गत आंतरिक सड़कों का निर्माण किया जाएगा, लोडिंग और अनलोडिंग प्लेटफॉर्म बनाए जाएंगे, अपशिष्ट प्रबंधन क्षेत्र विकसित किया जाएगा और कैंटीन की सुविधा, चालकों के प्रतीक्षा क्षेत्र, ड्रेजिंग कार्य, क्षेत्र मशीनरी और उपकरण इत्यादि होंगे। यांत्रिक पुनर्प्राप्ति और परिवहन के साथ 60एमx18एम के चार तापमान नियंत्रित नीलामी हॉल मछली पकड़ने के बंदरगाह की क्षमता प्रतिदिन 415 टन मछली बढ़ाएंगे।

-पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय तथा मत्स्य विभाग इस परियोजना को मूर्त रूप देने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं, यह परियोजना मछली और मत्‍स्‍य उत्पादों के निर्यात को प्रति वर्ष 1500 करोड़ रुपये बढ़ाएगी : श्री सर्बानंद सोनोवाल-

श्री सर्बानंद सोनोवाल ने उद्घाटन के दौरान कहा, श्री नरेन्‍द्र मोदी मत्स्य पालन क्षेत्र को बढ़ावा देने और उत्पादन को दोगुना करने में विश्वास करते हैं। उनके नेतृत्व में पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय तथा मत्स्य विभाग दोनों मिलकर इस परियोजना को साकार करने के लिए काम कर रहे हैं। कोच्‍चि‍ फिशरीज हार्बर के विकास से मछुआरों को मदद मिलेगी और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।’

श्री सोनोवाल ने कहा कि यह परिकल्पना की गई है कि परियोजना के पूरा होने पर मछली और मत्‍स्‍य उत्पादों का निर्यात प्रति वर्ष 1500 करोड़ रुपये होगा। इसके अतिरिक्‍त स्वच्छता की स्थिति में काफी सुधार होगा।

सर्बानंद सोनोवाल

थोप्पुमपडी बंदरगाह ने अगस्त से नवंबर के दौरान पीक सीजन के साथ मछली पकड़ने की 10 महीने की गतिविधि देखी है। बंदरगाह में औसतन लगभग 40 से 60 नावें उतरती हैं, जो प्रति दिन 250 टन की पकड़ में योगदान देती हैं। बंदरगाह पर उतरने वाली प्रमुख मछलियां श्रिम्प, कटलफिश, कैरांगिड्स, रिबन फिश, सीर फिश, टूना और मार्लिंस हैं।

पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय का प्रमुख सागरमाला कार्यक्रम 5.5 लाख करोड़ रुपये की 802 परियोजनाओं के साथ देश के समुद्री विकास का नेतृत्व कर रहा है जिसे 2035 तक क्रियान्वित करने का लक्ष्य है। इसमें से 99,281 करोड़ रुपये की 202 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं। 45,000 करोड़ रुपये की कुल 29 परियोजनाएं पीपीपी मॉडल के तहत सफलतापूर्वक लागू की गईं हैं। इस प्रकार, सरकारी खजाने पर वित्तीय बोझ कम हुआ है। वर्तमान में 51,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त 32 पीपीपी परियोजनाएं कार्यान्वित की जा रही हैं। इसके अतिरिक्‍त, 2.12 लाख करोड़ रुपये की 200 से अधिक परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं और 2 वर्ष में पूरा होने की आशा है।

-इस सागरमाला परियोजना में कोच्चि फिशरीज हार्बर में अंतरराष्ट्रीय मानकों के साथ ढांचागत सुविधाएं शामिल हैं-

सागरमाला के अंतर्गत पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय ने 10,900 करोड़ रुपये की 171 परियोजनाओं को तटीय राज्‍यों और केन्‍द्र शासित प्रदेशों में वित्त पोषित किया है। 171 परियोजनाओं में से 2,900 करोड़ रुपये की 48 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं और 8,000 करोड़ रुपये की 123 परियोजनाएं कार्यान्वयन और विकास के विभिन्न चरणों में हैं। वित्तीय वर्ष 22-23 में 2500 करोड़ रुपये की 37 परियोजनाएं सागरमाला योजना के अंतर्गत मंत्रालय द्वारा स्वीकृत की गईं हैं।

संचालन में निजी क्षेत्र की दक्षता का उपयोग करने के लिए 40,200 करोड़ रुपये की 52 परियोजनाएं सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) मोड में प्रमुख बंदरगाहों पर पूरी की गईं हैं। इसके अतिरिक्‍त, 49,500 करोड़ रुपये की 84 परियोजनाएं कार्यान्वयन और विकास के विभिन्न चरणों में हैं। इनके अतिरिक्‍त, सागरमाला डेवलपमेंट कंपनी लिमिटेड ने आंध्र प्रदेश, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में 4 परियोजनाओं में 530 करोड़ रुपये निवेश किया है जो पूरी हो गईं हैं।

उल्लेखनीय है पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय के सागरमाला कार्यक्रम के अंतर्गत अब तक 620 करोड़ रुपये की 9 मछली पकड़ने वाली बंदरगाह परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं। इससे 30,000 मछुआरों को लाभ पहुंचा है। इसके अतिरिक्‍त 550 करोड़ रुपये की लागत से 5 मछली पकड़ने के बंदरगाहों का आधुनिकीकरण किया गया है।

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