कार्डियक अरेस्ट, हार्ट अटैक और दिल से संबंधित अन्य बीमारियों के बढ़ते जोखिम को लेकर लोगों को किया जागरुक
कानपुर उत्तर प्रदेश : कोरोना वायरस की महामारी के बाद के दौर में हृदय रोगों में काफी वृद्धि हुई है. इस तथ्य को देखते हुए जनता के बीच जागरुकता बढ़ाने की सख्त आवश्यकता है. इसी को ध्यान में रखते हुए दिल्ली स्थित मैक्स सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल साकेत ने आज शहर में जन जागरुकता सत्र का आयोजन किया. आयोजित जागरुकता सत्र का उद्देश्य पोस्ट कोविड मरीजों में कार्डियक अरेस्ट, हार्ट अटैक और दिल से संबंधित अन्य बीमारियों के बढ़ते जोखिम को लेकर जागरुकता बढ़ाना है. यहां बताया गया कि ऐसे मामलों में किस तरह समय पर उपचार कर मृत्यु दर को रोका जा सकता है. डॉ विवेका, रावतपुर चौराहा, स्वरूप नगर कानपुर के पास स्थित न्यू जीटी नर्सिंग होम (डॉ विनय गुप्ता ओपीडी पार्टनर) और देवकी सिनेमा, काकादेव, कानपुर के पास उजाला सिग्नस कुलवंती अस्पताल में अपनी नियमित ओपीडी सेवाएं भी संचालित करते हैं। मैक्स सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल साकेत के कैच लैब्स (पैन मैक्स) कार्डियक साइंस के प्रमुख और प्रिंसिपल डायरेक्टर डॉक्टर विवेक कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रें स में कहा, कोविड -19 को शुरुआती तौर पर फेफ ड़े और सांस की बीमारी माना जाता है. हमने देखा है कि संक्रमण के कारण दिल में सूजन आ जाती है जिसकी वजह से ये ठीक से काम नहीं कर पाता. वायरस हृदय की मांसपेशियों को सीधे प्रभावित करता है और नुकसान पहुंचाता है, वैसे ही जैसे अन्य वायरल संक्रमण से नुकसान पहुंचता है जिससे एक्टिव कोविड वाले लोगों और गुरु 6 और ए- एह एक जैसे इंफ्लेमेशन मार्कर्स ठीक होने के बाद भी कार्डियक अरेस्ट से पीडि़त होने का खतरा अधिक रहता है.
हमने ये भी देखा कि युवाओं को दिल का दौरा पडऩे की घटनाएं भी बढ़ी हैं. दिल का दौरा पडऩे के मामले लगभग दोगुने हो गए हैं और अनियंत्रित मधुमेह, धूम्रपान जैसी सहरुग्णता वाले युवा मरीजों की संख्या बढ़ी है, इनमें जोखिम भी अधिक है. कोविड से पहले एक महीने में हार्ट अटैक के लगभग 15 से 18 मामले सामने आते थे, जो बढक़र अब लगभग 30 से 35 हो गए हैं.
वायरस को शरीर में इंफ्लेमेशन के लिए जिम्मेदार माना जाता है जिससे शरीर को भारी तनाव से गुजरना पड़ता है. फेफड़ों से लेकर मस्तिष्क और अब हृदय तक कई अध्ययनों में ये बताया गया है कि कोरोना वायरस मानव शरीर को कैसे प्रभावित करता है और हृदय में व्यापक सूजन और मायोकार्डियल नुकसान का प्रमुख कारक बनता है. जबकि एक समय था जब दिल के दौरे को केवल वृद्धावस्था से जोड़ा जाता था.
युवा पीढ़ी में खराब जीवनशैली जैसे अनियंत्रित मधुमेह, उच्च रक्त दाब और बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल जैसी सहरुग्णता के साथ ही धूम्रपान और शराब पीने की आदत के कारण कोविड से रिकवरी के बाद हर्ट अटैक का खतरा बहुत अधिक है. डॉ. विवेका कुमार ने कहा कि हमने देखा है कि वैक्सीन की हर डोज लेने वाले यानी फु ली वैक्सीनेटेड लोगों में दिल का दौरा पडऩे का जोखिम बहुत कम होता है जबकि अन्य इंफ्लेमेटरी मार्कर्स के साथ रक्त को पतला करने वाली दवाएं दी जाती हैं और दिल का दौरा पडऩे के जोखिम को बढ़ाने वाले पारंपरिक फैक्टर्स को नियंत्रित करने की सलाह दी जाती है जिससे दिल के दौरे की रोकथाम में मदद मिल सके. कोविड की बीमारी के बाद के दौर में हर मरीज के लिए सावधानी से देखभाल और सहयोग के साथ ही आराम प्रॉपर रिकवरी के लिए महत्वपूर्ण है. वायरस की म्यूटेट करने की क्षमता के कारण ये महामारी अभी भी खत्म नहीं हुई है. मास्क लगाने और सोशल डिस्टेंसिंग के साथ ही कोविड से जुड़े अन्य नियमों का अनिवार्य रूप से पालन करें.