भारत की क्रिएटर इकॉनमी के लिए सफलता की अगली लहर लाएगा, क्रिएटिविटी और फैंस की इमोशनल भागीदारी के बीच का संबंध: यूट्यूब

भारत में अपने लोकलाइज्ड वर्जन लांच के 15 साल पूरे होने के अवसर पर, यूट्यूब ने अपना एक अनोखा इनसाइट शेयर किया है, जिसमें यह बताया गया है कि कैसे भारतीय क्रिएटर्स की सरलता ने प्रशंसकों की बढ़ती प्राथमिकताओं के साथ मिलकर, एक नए क्रिएशन, उसके बेहतर उपयोग और पॉप कल्चर में एक आवश्यक ट्रेंड्स को नया आकार दिया है। 2008 के बाद से, क्रिएशन टूल्स की बढ़ती संख्या और पर्सनलाइज्ड व्यूइंग की भारी डिमांड से प्रेरित होकर, भारत के क्रिएटिव आंत्रप्रेन्योर्स  ने क्रिएटिव एक्सप्रेशन के नए आयाम तलाशने के साथ-साथ उन पर जीत भी हासिल की है।

मौजूदा वक्त में जब डिजिटल वीडियो का दायरा, टेक्नोलॉजी, क्रिएटिविटी और पॉप कल्चर के मामले में महत्वपूर्ण बदलावों के शीर्ष पर पहुंच गया है, ऐसे में यूट्यूब क्रिएटिव टूल्स, मोनेटाइज करने के तरीकों और सार्थक तरीके से नए दर्शकों को जोड़ने में मदद करते हुए, क्रिएटर्स और दर्शकों को क्रिएट करने, डिस्कवर करने और एक दूसरे से कनेक्ट करने का सुरक्षित अनुभव प्रदान करता है।

इशान जॉन चटर्जी, डायरेक्टर, यूट्यूब इंडिया

इस मौके पर यूट्यूब इंडिया के डायरेक्टर इशान जॉन चटर्जी ने कहा, “डिजिटल वीडियो में हमेशा ही साक्षरता और भौगोलिक बाधाओं को तोड़ने की असामान्य क्षमता रही है। देश में यूट्यूब का सफर, कई मायनों में भारत के अपने डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन के सफर को प्रतिबिंबित करता है। 15 वर्षों में, यूट्यूब ने कई अवतार लिए हैं, जिनमें दुनियाभर में चल रहे ट्रेंड्स को डिस्कवर करने का एक स्थान देने और एक जिज्ञासु, जुड़े रहने वाले और जीवंत भारत का प्रतिबिंब पेश करने वाले वीडियोज को, उनकी ही भाषा में अपनाना शामिल है।

उन्होंने आगे कहा, “यूट्यूब की धड़कन इसके क्रिएटर्स, आर्टिस्ट व पार्टनर्स हैं और रहेंगे भी, और हम इस इकोसिस्टम की सफलता का समर्थन करने के लिए, हमेशा की तरह प्रतिबद्ध हैं। हम यूट्यूब को लंबी दूरी की सफलता के लिए सबसे अच्छा प्लेटफार्म बनाने पर ध्यान केंद्रित करना जारी रखेंगे।”

यहां पांच ट्रेंड्स हैं जो भारत में डिजिटल वीडियो लैंडस्केप और क्रिएटर इकॉनमी को आकार देने में, भारतीय क्रिएटर्स और फैंस के प्रभाव को दर्शाते हैं।

-फ्रिक्शनलेस हुआ क्रिएशन-

वर्तमान में यूट्यूब, क्रिएटिव टूल्स का एक विशाल कैनवास प्रदान करता है। बड़ी संख्या में वीडियो टूल्स की उपलब्धता ने किसी भी क्रिएशन को सरल और अधिक मज़ेदार बना दिया है। अधिक क्रिएटिव टूल्स ने फॉर्मेट्स के विस्तार को बढ़ावा दिया है, जिसके परिणामस्वरूप अधिक स्टोरीज, बड़ा पैमाना, अधिक प्रशंसक और अधिक प्रभाव उत्पन्न हुआ है।

यहां तक कि भारत में 69% जेनेरशन ज़ेड को यह अधिक पसंद आता है जब उनके पसंदीदा क्रिएटर्स, अलग फॉर्मेट्स में नए क्रिएशन्स (जैसे शार्ट फॉर्म, लॉन्ग फॉर्म, पॉडकास्ट, लाइव स्ट्रीमिंग) तैयार करते हैं।

स्रोत: गूगल/आईपीएसओएस, यूट्यूब ट्रेंड्स सर्वे, आईएन, मई 2023, एन=603, ऑनलाइन जेन जेड एडल्ट्स, आयु 18-24।

यह क्रिएटिव विस्तार गेमिंग, टेक, कॉमेडी या कुकिंग जैसी लोकप्रिय और बेहतर ढंग से स्थापित शैलियों में, नई जान फूंकने में मदद कर रहा है, इसके अलावा यह कई विशेष टॉपिक्स और कल्चर्स (मामले: शायरी और कविता का बढ़ता समुदाय) में रुचि को पुनर्जीवित कर रहा है और साइंस, फैक्ट्स या मोटिवेशन जैसी नई विधाओं को बढ़ावा दे रहा है।

-मल्टीफॉर्मेट और सीमलेस कंजप्शन-

15 साल पहले, वीडियो को ज्यादातर सिंगल कंटेंट फॉर्मेट के आधार पर ही देखा जाता था। लेकिन, आज दर्शक व्यक्तिगत अनुभवों की अधिक अपेक्षा रख रहे हैं, और अपनी अलग-अलग जरूरतों को पूरा करने के लिए, मोबाइल और कनेक्टेड टीवी स्क्रीन पर लॉन्ग-फॉर्म, शार्ट-फॉर्म, लाइव और प्री-रिकार्डेड कंटेंट देखना, जैसे विभिन्न फॉर्मेट्स का उपयोग कर रहे हैं।

71% लोग एक विशेष टॉपिक के बारे में कई अलग-अलग फॉर्मेट्स (जैसे शार्ट फॉर्म, लॉन्ग फॉर्म, पॉडकास्ट, लाइव स्ट्रीम) में वीडियो देखते हैं, जिस कारण कंजप्शन, असीमित और निर्बाध हो गया है।

स्रोत: गूगल/आईपीएसओएस, यू ट्यूब ट्रेंड्स सर्वे, आईएन, मई 2023,एन=1828, ऑनलाइन एडल्ट्स, आयु 18-44।

-पॉप कल्चर को इस बात से देखा जाता है कि फैंस उन्हें किस प्रकार से अपना बना रहा है-

लगभग डेढ़ दशक पहले, ‘वायरल’ ट्रेंड्स एक मोनोलिथिक पॉप कल्चर का प्रतिनिधित्व करते थे, जहां हर कोई एक ही तरह से डिजिटल कल्चर का अनुभव कर रहा था। आज, दर्शक भी शौकिया क्रिएटर्स में बदल गए हैं, जो वीडियो फॉर्मेट्स की बढ़ोतरी, उपयोग में आसान क्रिएटिव टूल्स और स्पेशल इफ़ेक्ट फीचर्स के कारण, आसानी से वीडियो ट्रेंड्स में व्यक्तिगत अभिव्यक्ति और एक अलग दृष्टिकोण जोड़ रहे हैं।

इस पर विचार करें: सर्वे में शामिल 49% लोगों ने जवाब दिया कि उन्होंने पिछले 12 महीनों में एक मीम में भाग लिया था। (स्रोत: गूगल/इप्सोस, यूट्यूब ट्रेंड्स सर्वे, आईएन, मई 2023, एन=1828, ऑनलाइन एडल्ट, उम्र 18-44।) इसके परिणामस्वरूप, ट्रेंड्स ने काफी अंदर तक काम किया है, व्यक्ति विशेष द्वारा वायरल चीज़ों को परिभाषित किया जा रहा है, और पॉप कल्चर कुल मिलाकर व्यक्तिगत अभिव्यक्ति को ही दर्शा रहा है।

-फैनडम्स बहुस्तरीय हो गए हैं-

फैनडम कई स्तरों में विभाजित होता जा रहा है, जिसमें नई टेक्नोलॉजी और फॉर्मेट्स के विस्तार का काफी योगदान है। यूट्यूब ने पाया कि जहाँ एक तरफ कैज़ुअल फैंस के पास एक फीड हो सकती है, जो उन्हें निष्क्रिय रूप से अपने फैंस से संबंधित अधिक कॉन्टेंट को कंज्यूम करने में मदद करती है, वहीं दूसरी तरफ एक अधिक सक्रिय फैन मीम्स बनाने के लिए शॉर्ट्स का उपयोग कर सकता है, या फिर इसके कॉन्टेंट को रीमिक्स या रिफिंग करके अपने फैंस के साथ बातचीत कर सकता है। सुपर फैंस अन्य फैंस के लिए कॉन्टेंट बना सकते हैं, और प्रोफेशनल फैंस सामान्य दर्शकों के लिए कॉन्टेंट बनाने हेतु अपनी विशेषज्ञता का उपयोग करते हैं।

48% जेन ज़ेड सर्वे में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने कहा कि विगत 12 महीनों में उन्होंने विशिष्ट कॉन्टेंट, आर्टिस्ट्स या हस्तियों के फैंस द्वारा बनाए गए वीडियो देखे हैं। उच्च स्तर के इन फैंस की बढ़ती लोकप्रियता स्पष्ट है।

स्रोत: गूगल / इप्सोस, यूट्यूब ट्रेंड्स सर्वे, आईएन, मई 2023, n=603, ऑनलाइन जेन ज़ेड वयस्क, आयु 18-24।

पवन अग्रवाल, डायरेक्टर, म्यूज़िक पार्टनरशिप्स, यूट्यूब इंडिया

पवन अग्रवाल, डायरेक्टर, म्यूज़िक पार्टनरशिप्स, इंडिया, यूट्यूब, ने कहा, “आज के समय में विविध जरूरतों के चलते दर्शक विभिन्न फॉर्मेट्स में व्यक्तिगत अनुभव चाहते हैं। हर दिन विकसित होती ये प्राथमिकताएँ न सिर्फ मनोरंजन को पुनर्परिभाषित कर रही हैं, बल्कि इन्हें कंज्यूम करने के लिए अधिक सहभागी भी बना रही हैं। यह ट्रेंड्स को तेजी से आगे बढ़ाने में सहायता कर रहा है, जिससे फैंस को बहुस्तरीय बनने और उपसंस्कृतियों को मुख्यधारा बनने में मदद मिल रही है।”

-रचनात्मक आंत्रप्रेन्योर्स की एक समानांतर, नई दुनिया को बढ़ावा मिल रहा है-

आर्टिस्ट्स और क्रिएटर्स सफल ऑनलाइन और ऑफलाइन बिज़नेस बनाने के लिए यूट्यूब को एक स्प्रिंगबोर्ड के रूप में उपयोग कर सकते हैं, जिसमें वे अगली पीढ़ी की मीडिया कंपनियों को लॉन्च करने से लेकर रचनात्मक करियर स्थापित करने या प्रोडक्ट्स और व्यापारिक वस्तुओं की सीरीज़ बनाने तक का काम करने में सक्षम हैं। जैसे-जैसे अधिक परिष्कृत क्रिएशन टूल्स बड़े स्तर पर रचनात्मकता को बढ़ावा दे रहे हैं, वैसे-वैसे यूट्यूब पर क्रिएटर इकॉनमी नया आकार ले रही है।

ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स के नवीनतम सर्वे से पता चला है कि भारत में, वर्ष 2022 में यूट्यूब से पैसा कमाने वाले 80% क्रिएटर्स इस बात से सहमत हैं कि यूट्यूब न सिर्फ कॉन्टेंट बनाने, बल्कि पैसा कमाने का भी अवसर प्रदान करता है, जो कि ट्रेडिशनल मीडिया से उन्हें नहीं मिलता है।

क्रिएशन की बड़े स्तर पर लोगों के बीच पहुँच और मॉनेटाइज़ेशन के अधिक विकल्पों के माध्यम से पूरे देश में अगली पीढ़ी के क्रिएटर्स के लिए समृद्ध क्रिएटर इकॉनमी में हिस्सा लेने के अवसरों में इजाफा हुआ है।

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