जाने कहाँ गए वो दिन, जब बचपन की मासूमियत और बेफिक्री जीवन का हिस्सा हुआ करती…
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बदली हुई न्याय की देवी से क्या सचमुच बदलेंगे हालात?
देश में आजकल बदलाव की लहर चल रही है। अब तक तो हमने शहरों के नाम…
गरीबी और अशिक्षा का भंवर.. : अतुल मलिकराम
विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के बाद भी आज देश में आन्तरिक तौर पर…
सपनों से दूर करती यह कैसी पढ़ाई….
भारत के हलचल और महत्वाकांक्षाओं से भरे एक शहर में, आन्या रहती है। आन्या 20-22 साल…
और सब बढ़िया…..! : अतुल मलिकराम (लेखक और राजनीतिक रणनीतिकार)
सुख और दुःख, हमारे जीवन के दो पहिये हैं, दोनों की धुरी पर ही जीवन की…
क्यों हम क्वालीफाई हो रहे, एजुकेट नहीं??
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने कहा था,"शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य केवल डिग्री प्राप्त करना नहीं है,…