03 अक्टूबर नवरात्रि पर्व पर विशेष –
– सुरेश सिंह बैस “शाश्वत”
इस वर्ष 03 अक्टूबर से नवरात्रि अर्थात दुर्गा पूजा उत्सव प्रारंभ हो रहा है! हमारे देश का यह उत्सव बड़े व्यापक रुप से हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। जगह-जगह भव्य पांडालों एवं झांकियों के साथ दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की जाती है। इन स्थलों की सजावट तो देखते ही बनती है। इन दिनों सारा वातावरण मां दुर्गा की भक्ति से सराबोर रहता है, सारा देश भक्तिमय रहता है। नवरात्रि पर्व. को मनाने के पीछे पौराणिक कथा प्रचलित है जो इस प्रकार है। एक समय की बात हैं ब्रम्हा आदि देवताओं ने पुष्प आदि विविध प्रकार से मां दुर्गा की पूजा की। फलस्वरुप दुर्गा जी प्रसन्न होकर उन्हें वरदान मांगने को कहा। तब दुर्गा की ममतामयी वाणी सुनकर देवतागण बोले – हे देवी हमारे शत्रु महिषासुर को, जो संपूर्ण जगत के लिये त्रासद का कारण था जिसे अपने हाथों से आपने संहार किया था. तब से समस्त विश्व निरापद होकर चैन की सांस ले पा रहें हैं। आपने पृथ्ची के समस्त दृष्टों अत्याचारियों का वध करके सब देवताओं को भयमुक्त कर दिया है। अतः अब हमारे मन में कुछ भी पाने की अभिलाषा नहीं है। हमें संब कुछ मिल गया। तथापि आपकी आज्ञा है, इसलिये हम जगत की रक्षा के लिये आपसे कुछ पूछना चाहते हैं- महेश्वरी ! कौन सा ऐसा उपाय है कि जिससे आप शीघ्र प्रसन्न होकर संकट में पड़े जीव की रक्षा करती हैं। देवश्वरी यह बात सर्वथा गोपनीय हो तो भी हमें अवश्य बताइये! देवताओं के इस प्रकार प्रार्थना करने पर दयालू मां ने कहा देवगण यह रहस्य अत्यंत गोपनीय और दुर्लभ है। मेरे बत्तीस नामों की माला सब प्रकार के दुःखों और विपत्तियों का नाश करने वाली है। तीनों लोकों में इसके समान दूसरी कोई स्तुति नहीं हैं। यह स्तुति रहस्य रूप है। इमे बताती हूं। सुनो ये बत्तीस नाम हैं (1) दुर्गा (2) दुर्गर्तिशमनी (3) दुर्गा पाद्धि निवारिणी (5) दुर्ग नाशिनी(6) दुर्गा साधिनी (7)) दुर्ग तौधरनी (8) दुर्ग मच्छेदनी(9) दुर्गमापडा (10) दुर्गमज्ञानदा(11) दुर्गा दैत्यलोक दानवला(12) दुर्गमा(13) दुर्गमालोका(14) दुर्गामात्म स्वरूपिणी(15) दुर्गमार्गप्रभा(16) दुर्गम विद्या(17) दुर्गा मांश्रिता(18) दुर्गम ज्ञानस्थाना(19) दुर्ग मोहा(20) दुर्ग मध्यानभाषिनी (21) दुर्गमना(22) दुर्गमार्थ स्वरुपिणी (23) दुर्गमासूर सहंस्त्री(24) दुर्गमां युद्धधारिणी(25) दुर्गभीमा (26) दुर्गामता (27)दुर्गम्या(28) दुर्गमेश्वरी(29) दुर्गमांगी (30)दुर्गभामा (31) दुर्गभाऔर (32) दुर्गमांगी
“नामावलिमियां यस्तु दुर्गाया मम मानव:।
पढेत् सर्वभवान्मुक्तों भविष्यति न संशयः ।।
कहा जाता है कि जो मनुष्य प्रतिदिन दुर्गाजी के इन नामों का एक सौ आठ बार पाठ करता है उसके लिये तीनों लोकों में कुछ भी असाध्य नहीं रहता है। वह निःसंदेह सब प्रकार के भय के मुक्त हो जाता है। कोई शत्रुओं से पीड़ित हो दुर्भेट्य बंधन में पड़ा हो, इन बत्तीस नामों के उच्चारण मात्र से संकट से छुटकारा पा जाता है। विपत्ति के समय इसके समान अवनाशक उपाय दूसरा नहीं है। देवगण! इस नाम माला का पाठ करने वाले मनुष्यों की कभी कोई हानि नहीं होती।
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