हिंदू संघर्ष समिति, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) प्रमुख श्री राज ठाकरे द्वारा मुंबई में फैलाए जा रहे भाषा और क्षेत्रवाद के ज़हर की कड़ी निंदा करती है। राज ठाकरे के उत्तर भारतीयों एवं अन्य गैर-मराठी नागरिकों को लेकर दिए गए भड़काऊ बयान देश की एकता, अखंडता और सामाजिक समरसता पर सीधा हमला हैं।
हिंदू संघर्ष समिति के राष्ट्रीय महामंत्री अनूप पांडेय के अनुसार राज ठाकरे द्वारा बाहरी लोगों को पीटने की धमकी देना न केवल आपराधिक कृत्य है, बल्कि यह सार्वजनिक शांति और कानून व्यवस्था के लिए भी खतरा है। उनकी इस गुंडागर्दी पर तत्काल राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। यदि समय रहते यह नहीं हुआ, तो देश के विभिन्न हिस्सों में सांप्रदायिक तनाव और असंतोष पैदा हो सकता है।

राष्ट्रीय महामंत्री
हिंदू संघर्ष समिति
यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिन बाल ठाकरे जी ने अपने जीवन को हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के लिए समर्पित किया, उनके वंशज आज समाज को क्षेत्र और भाषा के आधार पर बांटने में लगे हैं। राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे सत्ता प्राप्ति के लिए नफरत की राजनीति का सहारा ले रहे हैं, लेकिन अब देश की जनता जागरूक हो चुकी है और ऐसे विभाजनकारी नेताओं को खारिज करेगी।
मुंबई की पहचान हमेशा एक समावेशी और बहु-सांस्कृतिक महानगर की रही है, जिसके निर्माण और विकास में यूपी, बिहार, झारखंड, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, बंगाल, असम जैसे राज्यों के लोगों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 26/11 के मुंबई हमले के समय उत्तर प्रदेश के मरीन कमांडो प्रवीण तेवतिया ने जिस साहस से आतंकियों का सामना किया और मराठी नागरिकों की जान बचाई, वह इस बात का प्रमाण है कि मुंबई भारत की है – न कि किसी एक क्षेत्र की जागीर।
2008 की घटनाएँ आज भी हमारे ज़हन में ताज़ा हैं, जब एमएनएस कार्यकर्ताओं ने गैर-मराठियों पर हिंसक हमले किए थे। अगर आज फिर वही इतिहास दोहराने का प्रयास किया गया, तो हिंदू संघर्ष समिति चुप नहीं बैठेगी।
हमारी माँगें:
- राज ठाकरे के खिलाफ रासुका (NSA) के तहत तत्काल कानूनी कार्रवाई की जाए।
- मुंबई में रह रहे सभी बाहरी नागरिकों की सुरक्षा की गारंटी सुनिश्चित की जाए।
- भाषा या क्षेत्र के आधार पर भेदभाव या हिंसा करने वालों पर सख्त और निष्पक्ष कानूनी कार्रवाई हो।
यदि शीघ्र और प्रभावी कार्रवाई नहीं की गई, तो हिंदू संघर्ष समिति सड़क से संसद तक राष्ट्र की एकता के लिए आंदोलन करने को बाध्य होगी। राज ठाकरे की सोच गंगा-जमुनी तहज़ीब और भारत की साझा संस्कृति के खिलाफ एक सुनियोजित साज़िश है, और इस पर अब चुप रहना राष्ट्रद्रोह के समान होगा।
