मेघालय की राजधानी शिलांग में चार दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय जैविक आयोजन का भव्य शुभारंभ हुआ, जिसने वैश्विक क्रेताओं, जैविक विशेषज्ञों, संस्थागत प्रतिनिधियों और अंतर्राष्ट्रीय युवा प्रतिनिधियों को एक साथ एक मंच पर ला खड़ा किया। यह आयोजन 28 नवंबर से 1 दिसंबर 2025 तक चलने वाले प्रथम पूर्वोत्तर भारत जैविक सप्ताह, एपीडा क्रेता-विक्रेता बैठक और चौथे आईएफओएएम विश्व जैविक युवा शिखर सम्मेलन का संयुक्त विस्तार है। मेघालय सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा मेगनोलिया, एपीडा, आईएफओएएम-ऑर्गेनिक्स एशिया के सहयोग से तथा नेरामेक के समर्थन से इसे आंतरिक और वैश्विक स्तर पर एक महत्वपूर्ण कृषि-कूटनीतिक पहल बनाया गया है।

उद्घाटन सत्र में पूर्वोत्तर परिषद के सचिव श्री सतिंदर कुमार भल्ला, मेघालय सरकार के मुख्य सचिव डॉ. शकील पी. अहमद, एपीडा के अध्यक्ष श्री अभिषेक देव, आईएफओएएम-एशिया की कार्यकारी निदेशक जेनिफर चांग, आईएफओएएम एशिया के अध्यक्ष मैथ्यू जॉन, क्रिसिल की एसोसिएट निदेशक श्रीमती प्रियंका उदय सहित कई अन्य वरिष्ठ प्रतिनिधि और नीति-निर्माता उपस्थित रहे। प्रतिनिधियों की यह विविध उपस्थिति इस बात का प्रमाण है कि पूर्वोत्तर भारत के जैविक उत्पाद वैश्विक मूल्य-श्रृंखला में अपनी विशेष जगह बनाने की क्षमता रखते हैं।
अपने संबोधन में एपीडा अध्यक्ष श्री अभिषेक देव ने पूर्वोत्तर भारत की जैविक उर्वरता और वैश्विक जैविक बाजार में इसकी संभावनाओं को अत्यंत महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर भारत जैविक सम्मेलन के प्रथम संस्करण में 22 देशों के प्रतिनिधित्व ने इस क्षेत्र की जैविक क्षमता के प्रति विश्व-स्तरीय रुचि को प्रमाणित किया है। उन्होंने यह भी कहा कि एपीडा, राज्य सरकारों, कृषि मंत्रालय, एनईसी और आईएफओएएम एशिया के संयुक्त प्रयासों से मेघालय तथा पूर्वोत्तर भारत के जैविक उत्पादों को अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाने का रास्ता और अधिक सुदृढ़ होगा।

श्री देव ने इस आयोजन को केवल एक सम्मेलन नहीं, बल्कि एक निरंतर प्रक्रिया का प्रारंभ बताते हुए कहा कि इसे एक वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय परंपरा बनाने का लक्ष्य रखा गया है, जिसके माध्यम से पूर्वोत्तर के विभिन्न राज्य हर वर्ष वैश्विक जैविक मंच के मेजबान रूप में अपनी पहचान को समृद्ध करेंगे। साथ ही, उन्होंने मेघालय के किसानों, किसान उत्पादक संगठनों और जैविक उत्पादन-प्रणालियों से जुड़े हितधारकों को आगामी बायोफैच में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया, जहां भारत एक भागीदार देश की भूमिका निभाएगा।
यह आयोजन केवल बाज़ार-आधारित संपर्क का प्लेटफ़ॉर्म नहीं, बल्कि सतत कृषि, पुनर्योजी कृषि-पद्धतियों और पर्यावरण-उत्तरदायी उत्पादन मॉडलों को बढ़ावा देने का मार्ग भी प्रस्तुत करता है। इस दौरान निर्धारित बी2बी संवाद, उत्पाद प्रदर्शनकारी सत्र, विशेषज्ञ विमर्श, क्षेत्रीय कृषि यात्राएं और सांस्कृतिक कार्यक्रम पूर्वोत्तर भारत की विशिष्ट खाद्य-विविधता और कृषि-आधारित पहचान को वैश्विक दृष्टि में प्रस्तुत करेंगे।
इस सम्मेलन का एक प्रमुख पहलू युवा नेतृत्व और ज्ञान-विनिमय पर आधारित है, जिसके माध्यम से युवा उद्यमियों, कृषि-प्रवर्तकों और नवाचार-आधारित किसानों को अंतरराष्ट्रीय जैविक नेटवर्क से जोड़ने का प्रयास किया जाएगा। मेघालय सरकार इस मंच के माध्यम से राज्य को जैविक उत्पादन में राष्ट्रीय अग्रणी स्थिति प्रदान करने और छोटे किसानों को वैश्विक बाजार से सीधे जोड़ने का प्रयास कर रही है।
यह आयोजन न केवल जैविक कृषि की आर्थिक संभावनाओं के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह पूर्वोत्तर भारत को वैश्विक जैविक खाद्य-मानचित्र पर निर्णायक रूप से स्थापित करने की दिशा में एक रणनीतिक कदम भी है। इसकी सफलता से भारत, विशेषकर पूर्वोत्तर क्षेत्र, अंतर्राष्ट्रीय जैविक बाजारों में एक स्थिर और विश्वसनीय स्रोत के रूप में उभर सकता है, जो किसानों की आय वृद्धि, क्षेत्रीय विकास, और वैश्विक कृषि-न्यायिकरण की दिशा में एक निर्णायक भूमिका निभाएगा।