याद आते हैं कुआं, ताल-पोखर वाले दिन

         • प्रमोद दीक्षित मलय जून 2024, दूसरे पखवाड़े के 5 दिन ही…

अब तो मैं भी लिखूँगा

बेड के बगल में मेज, मेज के ऊपर 10-20 किताबें, किताबों के ऊपर बैग, बैग के…

बस स्टैंड की वह रात….? 

ये सन् 1995,  29 दिसंबर की ठिठुरती सर्द रात्  की बात है। तकरीबन रात्रि के उत्तरार्ध…

वोट खातिर जोत देले बा खेत खलिहान

वोट खातिर जोत देले बा खेत खलिहान। अपना देश के नेता लोग महान। गांवे-गांवे घुमत बा…

साहित्य अर्पण द्वारा आयोजित काव्य गोष्ठी

साहित्य अर्पण की दिल्ली  के काव्य मंच "अंजूमन काव्य गॉष्ठी" काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया।…

होली आई लेकर महंगाई

होली आई होली आई। भर के पिचकारी में महंगाई। अब कैसे खेलें हम रंग-रंग अब कैसे…

हिंदी हिंद का मान 

“ जैसा प्रेम पति को रहता,    निज पत्नी की बिंदी से,   शिवशंकर को अमर…

हुई मुलाकात चाँद से

कुबूल दुआ हुई कि, हुई मुलाकात चाँद से, तिरंगे ने लहरा सुनाई, मुलाकात चाँद से ।

मान हुआ नारी का जग में देखो तार- तार है…

मान हुआ नारी का जग में देखो तार- तार है। कोखों ने था जन्म दिया लो…

ऐ कवि सबकी कहते रहना।

ऐ कवि सबकी कहते रहना। नदियों की कलकल के संग बहते रहना। ऐ कवि सबकी कहते…

Translate »