“ जैसा प्रेम पति को रहता,
निज पत्नी की बिंदी से,
शिवशंकर को अमर प्रेम है,
माँ गंगा कालिंदी से,
राधा- कान्हा का आकर्षण ,
दिखलाया है हिंदी ने,
राम प्रभु की मर्यादा,
चरित्र बताया हिंदी ने,
महापुरुषों की यशोगाथा का,
भार उठाया हिंदी ने,
हिंद-साहित्य का विश्वपटल पर,
मान बढ़ाया हिंदी ने ,
मातृभूमि के लाल तुम,
जान लुटाओ हिंदी पे,
हिंद की धरती पर जन्मे,
प्यार करो तुम हिंदी से ।।