21 श्रेष्ठ नारीमन की कहानियाँ : दिल्ली

आज की आधुनिक नारी के मन की कहानी है जोकि शोषण के विरुद्ध विद्रोह करना जानती है

रिंकल शर्मा

यूँ तो हम सभी का जीवन एक कहानी ही होता है। हम सभी के मन में कुछ सुनने और कुछ कहने की प्रवृति ही कहानी को जन्म देती है। कहानी का स्वरुप सदैव गतिशील रहता है, सदा विकसित और परिवर्तित होता रहता है। जैसे-जैसे समाज में विरोधाभास बढ़ते जा रहे हैं, वैसे-वैसे कथाओं के लिए उर्वर जमीन तैयार होती जा रही है। एक लेखक किसी भी विधा में लिखे, उसकी संवेदनायें औरों की तुलना में कहीं अधिाक सक्रिय होती हैं। इसी सक्रियता को वह अपनी रचनाओं में उतारता है। इस कारण समाज में होने वाली घटनाएं अनेक रूपों में हमारे सामने आतीं हैं। यह काम वर्तमान में कहानियाँ बहुत प्रभावी तरीके से कर रही हैं। कम-से-कम शब्दों में अपनी भूमिका को श्रेष्ठ तरीके से निभा पाने के कारण ही, लघुकथाएँ, कथाएँ आज इतनी मात्र में लिखी और पढ़ी जा रही हैं।

डायमण्ड बुक्स द्वारा प्रकाशित बुक 21 श्रेष्ठ नारीमन की कहानियाँ दिल्ली, जिसके संपादक रिंकल शर्मा है। रिंकल शर्मा एक प्रख्यात लेखिका हैं जिनके अब तक तीन कहानी संग्रह, दो नाटक, दो काव्य संग्रह, तीन बाल-साहित्य, पांच बाल-कॉमिक्स, दो पत्रकारिता पुस्तकें, दो सेल्फ-हेल्प पुस्तकें इत्यादि प्रकाशित हो चुके हैं। समाचार पत्र एवं साहित्यिक पत्रिकाओं में कहानियाँ, कवितायें एवं आलेख प्रकाशित होते रहते हैं। लेखिका रिंकल शर्मा को उनके लेखन के लिये ‘सआदत हसन मंटो साहित्य सम्मान’, ‘कियान कथा सम्मान’, ‘राष्ट्रीय गौरव सम्मान 2022’, ‘डॉ- भीमराव अम्बेडकर साहित्य सम्मान 2022’, ‘नारी रत्न सम्मान 2022’, ‘मुंशी प्रेमचंद साहित्य सम्मान 2021’, ‘स्वामी विवेकानन्द युवा सम्मान 2021’, ‘महादेवी वर्मा सम्मान 2020’, ‘हिंदी गौरव सम्मान 2020’, ‘हिंदी भाषा सारथी सम्मान 2019’, कला एवं रंगमंच के ‘उत्कृष्ट अभिनय सम्मान’ इत्यादि से सम्मानित किया गया है।

दिल्ली प्रदेश नारीमन की कहानियाँ साझा संग्रह में कुल इक्कीस कहानियाँ हैं। सभी प्रस्तुत कहानियां आज के समय के कालचक्र के अनुसार रची गयीं हैं जो नारीमन को बहुत ही सुंदर ढंग से परिभाषित करते हुए, समाज को कहीं न कहीं मानवता का सन्देश भी देती हैं। सभी कहानियां वर्तमान सामाजिक परिस्तिथियों को दर्शाती हुई, मानवीय भावनाओं से ओत-प्रोत विभिन्न अंतर्द्वंदों के इर्द-गिर्द घूमती हैं। कहानियों के पात्र जनजीवन के इतने निकट हैं कि उन्हें समाज के हर वर्ग में देखा जा सकता है। संवादों की शैली बहुत ही सरल और सीधी है। 

रेनू सैनी की कहानी ‘मेरे अपने’ हर उस नारी के मन की कहानी है जो पारिवारिक दायित्वों को निभाने हेतु अपनी इच्छाओं और अपने भविष्य को भी दांव पर लगा देती है। डॉ-सुरेश वशिष्ठ की कहानी ‘बुआ’ एक नारी की कहानी है जो अपने भाई के बच्चों पर अपना पूरा जीवन समर्पित कर देती है। कमलेश मलिक की कहानी ‘सुजाता’ एक ऐसी दिव्यांग नारी की कहानी है जो एकल जीवन व्यतीत करती है और जिसकी मानसिक स्तिथि कुछ स्पष्ट नजर नहीं आती। सुभाष चन्दर की कहानी ‘एक थी बिट्टो रानी’ एक मजेदार हास्य कहानी है जो कि हल्के-फुल्के अंदाज में धाोखेबाज प्रेमी को सबक सिखाती आधुनिक नारी की कहानी है। नेहा वैद की कहानी ‘समझ का फेर’ एक पारिवारिक कहानी है। कहानी की मुख्य नायिका के द्वारा एक ऐसी नारी के मनोभावों का चि=ण किया गया है जो अपने बेटे की बीमारी से चिंताग्रस्त होने के बावजूद भी अपने पारिवारिक दायित्वों को बखूबी निभाती है। डॉ- खुर्शीद आलम की कहानी ‘पहली गाली’ स्त्री के ऐसे रूप का चित्रण करती है जो आमतौर पर हर घर में देखने को मिलता है। एक सास के रूखे व्यवहार, कठोर वचनों और बहू की सहनशीलता को कहानी में बखूबी दर्शाया गया है। अंजू निगम की कहानी ‘रिश्तों की पाती’ मनोभावों से ओत-प्रोत तथा सहज और सरल शब्दों में पुरानी और नई पीढ़ी के बीच उपजी सोच के अंतर को दर्शाती हुई कहानी है। रश्मि पाठक की कहानी ‘मैं वहाँ नहीं गयी’ एक पारिवारिक कहानी है। समाज और परिवार में महिलाओं की स्थिति को उजागर करती है। सुनीता मुखर्जी की कहानी ‘खिलवाड़’ एक आधुनिक नारी की कहानी है जो प्रेम में मिले धाोखे के बाद, अपने संघर्ष के बल पर समाज में अपनी एक पहचान बनाती है। कहानी में आधुनिकता और शिक्षा के महत्त्व के साथ-साथ रूढ़िवादी विचारधारा पर भी प्रकाश डाला गया है। शिवराज सिंह की कहानी ‘मनोभाव’ एक ऐसी नारी के मन की कहानी है जो नयी पीढ़ी और पुरानी पीढ़ी के बीच सामंजस्य बैठाने के लिए एक सेतु का कार्य करती है। साथ ही कहानी में समाज में व्याप्त बाँझपन, लड़का पाने की चाहत, और उसके लिए तंत्र-मंत्र और टोटके करने जैसी रुढ़िवादी विचारधाारा को उजागर किया है।

रत्ना सिंह की कहानी ‘जिंदगी’ एक आधुनिक लड़की और उसके यहाँ काम करने वाली गुलाबो की कहानी है। ये कहानी स्त्री मनोभावों के साथ-साथ जाति-पाति, ऊँच-नीच और नारीमन में छुपे उस प्रेमभाव को प्रकट करती है जो समाज और पारिवारिक बंदिशों से लड़ते हुए अपनी पूर्णता को प्राप्त कर पाती है। कीर्ति सिंह की कहानी ‘कहाँ तक और कब तक’ आज की आधुनिक नारी के मन की कहानी है जोकि शोषण के विरुद्ध विद्रोह करना जानती है और अपने लिए आवाज उठाना जानती है। सभी लेखकों ने अपनी-अपनी कहानी में दिखाई गयीं परिस्थितियों का आंकलन और उनकी व्याख्या अपनी मानसिकता के आधाार पर की है। सभी कहानियाँ वर्तमान सामाजिक परिस्थितियों को दर्शाती हुई, मानवीय भावनाओं से ओत-प्रोत विभिन्न अंतर्द्वंदों के इर्द-गिर्द घूमती हैं। कहानियों के पात्र जनजीवन के इतना निकट हैं कि उन्हें समाज के हर वर्ग में देखा जा सकता है। संवादों की शैली बहुत ही सरल और सीधी है। पाठकों से अनुरोध है कि वो स्वयं को विभिन्न परिस्थितियों में रख कर देखें और फिर किसी निर्णय पर पहुँचे। इस पुस्तक में वरिष्ठ लेखकों के साथ-साथ कुछ युवा लेखकों की कहानियों को भी सम्मिलित किया गया है। जिससे वरिष्ठ लेखकों की कहानियों के सानिधय में युवा लेखकों की कहानियाँ भी प्रसारित हो सकें। आशा करते हैं कि पाठकों को ये कहानियाँ पसंद आएंगी और शायद कुछ सोचने पर भी मजबूर करेंगी।

उमेश कुमार सिंह

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